पुरातत्वीय संग्रहालय, एहोल: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
गोविन्द राम (talk | contribs) (''''पुरातत्वीय संग्रहालय, एहोल''' (अक्षांश 16° 01' उत्तर, देश...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
{{सूचना बक्सा संग्रहालय | |||
|चित्र=Aihole-Museum.jpg | |||
|चित्र का नाम=पुरातत्वीय संग्रहालय, एहोल | |||
|विवरण=एहोल, जिसे आर्यपुरा, अय्यावोल इत्यादि प्राचीन नामों से भी जाना जाता है, कर्नाटक के [[बगलकोट ज़िला|बगलकोट ज़िले]] के हुंगुंडा तालुक में स्थित है। | |||
|राज्य=[[कर्नाटक]] | |||
|नगर=[[एहोल]] | |||
|निर्माण=[[1970]] ई. | |||
|स्थापना= | |||
|भौगोलिक स्थिति=अक्षांश 16° 01' उत्तर, देशांतर 75° 52' पूर्व | |||
|मार्ग स्थिति= | |||
|प्रसिद्धि= | |||
|मानचित्र लिंक=[https://www.google.co.in/maps/dir/Bagalkot+Bus+Station,+Kaulpet,+Bagalkote,+Karnataka/Aihole+Museum,+Aihole,+Karnataka+587124/@16.1119898,75.7359262,11z/data=!4m13!4m12!1m5!1m1!1s0x3bc778889d7e0d13:0x572a6486e462c453!2m2!1d75.702438!2d16.183442!1m5!1m1!1s0x3bb87833f63693ff:0x1a5383dbd3949065!2m2!1d75.882533!2d16.020395?hl=en गूगल मानचित्र] | |||
|संबंधित लेख= | |||
|शीर्षक 1=खुलने का समय | |||
|पाठ 1=सुबह 10 बजे से शाम 5.00 बजे तक | |||
|शीर्षक 2=अवकाश | |||
|पाठ 2=[[शुक्रवार]] | |||
|अन्य जानकारी= | |||
|बाहरी कड़ियाँ=इस संग्रहालय में मुख्य रूप से [[ब्राह्मण]], [[जैन]] और [[बौद्ध]] मतों की पाषाण मूर्तियां, खण्डमय उत्कीर्ण की गई वास्तुशास्त्रीय इकाइयां, [[अभिलेख]], वीर-पाषाण, सती-पाषाण इत्यादि मौजूद हैं। | |||
|अद्यतन={{अद्यतन|15:15, 5 जनवरी 2015 (IST)}} | |||
}} | |||
'''पुरातत्वीय संग्रहालय, एहोल''' (अक्षांश 16° 01' उत्तर, देशांतर 75° 52' पूर्व) [[कर्नाटक]] के ऐतिहासिक स्थल [[एहोल]] में स्थित है। एहोल, जिसे आर्यपुरा, अय्यावोल इत्यादि प्राचीन नामों से भी जाना जाता है, कर्नाटक के [[बगलकोट ज़िला|बगलकोट ज़िले]] के हुंगुंडा तालुक में स्थित है। यह हुंगुंडा से 21 कि.मी. पश्चिम और [[बादामी कर्नाटक|बादामी]] से 47 कि.मी. पूर्व, बागलकोट से 40 कि.मी. और [[बीजापुर]] से 135 कि.मी. दक्षिण में स्थित है। गडग-शोलापुर मीटर गेज लाइन पर स्थित बादामी निकटतम रेलवे स्टेशन है। [[हैदराबाद]] (लगभग 450 कि.मी. की दूरी पर) निकटतम हवाई अड्डा है। एहोल तक बागलकोट, बादामी और बीजापुर के बीच अनेक बसें चलती हैं। | '''पुरातत्वीय संग्रहालय, एहोल''' (अक्षांश 16° 01' उत्तर, देशांतर 75° 52' पूर्व) [[कर्नाटक]] के ऐतिहासिक स्थल [[एहोल]] में स्थित है। एहोल, जिसे आर्यपुरा, अय्यावोल इत्यादि प्राचीन नामों से भी जाना जाता है, कर्नाटक के [[बगलकोट ज़िला|बगलकोट ज़िले]] के हुंगुंडा तालुक में स्थित है। यह हुंगुंडा से 21 कि.मी. पश्चिम और [[बादामी कर्नाटक|बादामी]] से 47 कि.मी. पूर्व, बागलकोट से 40 कि.मी. और [[बीजापुर]] से 135 कि.मी. दक्षिण में स्थित है। गडग-शोलापुर मीटर गेज लाइन पर स्थित बादामी निकटतम रेलवे स्टेशन है। [[हैदराबाद]] (लगभग 450 कि.मी. की दूरी पर) निकटतम हवाई अड्डा है। एहोल तक बागलकोट, बादामी और बीजापुर के बीच अनेक बसें चलती हैं। | ||
==इतिहास== | ==इतिहास== | ||
Line 7: | Line 28: | ||
* इस संग्रहालय में छह दीर्घाएं हैं और एक खुली दीर्घा है। पूर्व और आद्य ऐतिहासिक तत्वों तथा पुरालेखों और वास्तुकला को प्रदर्शित करने के लिए दो दीर्घाओं को हाल ही में पुन: व्यवस्थित किया जा रहा है। एक दीर्घा में एहोल तथा विभिन्न स्मारकों सहित इसके आसपास के क्षेत्रों (मलप्रभा घाटी) के विहंगम दृश्य वाला नमूना मौजूद हैं। | * इस संग्रहालय में छह दीर्घाएं हैं और एक खुली दीर्घा है। पूर्व और आद्य ऐतिहासिक तत्वों तथा पुरालेखों और वास्तुकला को प्रदर्शित करने के लिए दो दीर्घाओं को हाल ही में पुन: व्यवस्थित किया जा रहा है। एक दीर्घा में एहोल तथा विभिन्न स्मारकों सहित इसके आसपास के क्षेत्रों (मलप्रभा घाटी) के विहंगम दृश्य वाला नमूना मौजूद हैं। | ||
* घाटी के आसपास के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण संरक्षण कार्यों को उजागर करने वाले मॉडल को दीवार पर प्रदर्शित किया जा रहा है। प्रदर्शित वस्तुओं में [[शैव]], [[शाक्त]], गणपत्य, [[वैष्णव]], [[जैन]] और [[बौद्ध]] आस्थाओं की मूर्तियाँ शामिल हैं। | * घाटी के आसपास के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण संरक्षण कार्यों को उजागर करने वाले मॉडल को दीवार पर प्रदर्शित किया जा रहा है। प्रदर्शित वस्तुओं में [[शैव]], [[शाक्त]], गणपत्य, [[वैष्णव]], [[जैन]] और [[बौद्ध]] आस्थाओं की मूर्तियाँ शामिल हैं। | ||
* वीर-पाषाण, सती-पाषाण और [[शिलालेख]] भी खुली दीर्घा में प्रदर्शित हैं। इस खुली दीर्घा को भी पुन: व्यवस्थित किया जा रहा है। प्रदर्शित वस्तुएं प्रारंभिक मध्यकाल के सामाजिक-धार्मिक और सांस्कृतिक पहलुओं के अलावा कला एवं वास्तुकला की चालुक्य शैली को दर्शाते हैं। | * वीर-पाषाण, सती-पाषाण और [[शिलालेख]] भी खुली दीर्घा में प्रदर्शित हैं। इस खुली दीर्घा को भी पुन: व्यवस्थित किया जा रहा है। प्रदर्शित वस्तुएं प्रारंभिक मध्यकाल के सामाजिक-धार्मिक और सांस्कृतिक पहलुओं के अलावा कला एवं वास्तुकला की चालुक्य शैली को दर्शाते हैं।<ref>{{cite web |url=http://asi.nic.in/asi_museums_aihole_hn.asp |title=संग्रहालय-एहोल |accessmonthday=5 जनवरी |accessyear=2015 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण |language=हिन्दी }}</ref> | ||
==महत्त्वपूर्ण जानकारी== | ==महत्त्वपूर्ण जानकारी== | ||
;खुलने का समय | ; खुलने का समय | ||
सुबह 10 बजे से शाम 5.00 बजे तक | सुबह 10 बजे से शाम 5.00 बजे तक | ||
; बंद रहने का दिन | ; बंद रहने का दिन | ||
[[शुक्रवार]] | [[शुक्रवार]] | ||
Line 23: | Line 42: | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{संग्रहालय}} | {{संग्रहालय}} | ||
[[Category:संग्रहालय]][[Category:कर्नाटक]][[Category: | [[Category:संग्रहालय]][[Category:कर्नाटक]][[Category:कर्नाटक के पर्यटन स्थल]] | ||
[[Category:संग्रहालय कोश]][[Category:पर्यटन कोश]] | [[Category:संग्रहालय कोश]][[Category:पर्यटन कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ | __NOTOC__ |
Latest revision as of 09:45, 5 January 2015
पुरातत्वीय संग्रहालय, एहोल
| |
विवरण | एहोल, जिसे आर्यपुरा, अय्यावोल इत्यादि प्राचीन नामों से भी जाना जाता है, कर्नाटक के बगलकोट ज़िले के हुंगुंडा तालुक में स्थित है। |
राज्य | कर्नाटक |
नगर | एहोल |
निर्माण | 1970 ई. |
भौगोलिक स्थिति | अक्षांश 16° 01' उत्तर, देशांतर 75° 52' पूर्व |
चित्र:Map-icon.gif | गूगल मानचित्र |
खुलने का समय | सुबह 10 बजे से शाम 5.00 बजे तक |
अवकाश | शुक्रवार |
बाहरी कड़ियाँ | इस संग्रहालय में मुख्य रूप से ब्राह्मण, जैन और बौद्ध मतों की पाषाण मूर्तियां, खण्डमय उत्कीर्ण की गई वास्तुशास्त्रीय इकाइयां, अभिलेख, वीर-पाषाण, सती-पाषाण इत्यादि मौजूद हैं। |
अद्यतन | 15:15, 5 जनवरी 2015 (IST)
|
पुरातत्वीय संग्रहालय, एहोल (अक्षांश 16° 01' उत्तर, देशांतर 75° 52' पूर्व) कर्नाटक के ऐतिहासिक स्थल एहोल में स्थित है। एहोल, जिसे आर्यपुरा, अय्यावोल इत्यादि प्राचीन नामों से भी जाना जाता है, कर्नाटक के बगलकोट ज़िले के हुंगुंडा तालुक में स्थित है। यह हुंगुंडा से 21 कि.मी. पश्चिम और बादामी से 47 कि.मी. पूर्व, बागलकोट से 40 कि.मी. और बीजापुर से 135 कि.मी. दक्षिण में स्थित है। गडग-शोलापुर मीटर गेज लाइन पर स्थित बादामी निकटतम रेलवे स्टेशन है। हैदराबाद (लगभग 450 कि.मी. की दूरी पर) निकटतम हवाई अड्डा है। एहोल तक बागलकोट, बादामी और बीजापुर के बीच अनेक बसें चलती हैं।
इतिहास
एहोल बादामी के पूर्ववर्ती चालुक्यों की सांस्कृतिक राजधानी थी जिन्होंने 6वीं से 8वीं शताब्दी के दौरान बादामी पर शासन किया था। यह गांव वास्तुशास्त्र की दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इसमें विभिन्न शैलियों और अवधियों में बनाए गए सौ से भी अधिक मंदिर मौजूद हैं जिसके कारण इसे उचित रूप से 'भारतीय वास्तुकला का पालना' कहा गया है। पुरातत्वीय स्थल संग्रहालय दुर्गा मंदिर परिसर में स्थित है। इसे मूल रूप से 1970 में मूर्ति निर्माण-शाला के रूप में बनाया गया था और 1987 में इसे पूर्णत: संग्रहालय के रूप में परिवर्तित कर दिया गया।
विशेषताएँ
- एहोल संग्रहालय में मुख्य रूप से ब्राह्मण, जैन और बौद्ध मतों की पाषाण मूर्तियां, खण्डमय उत्कीर्ण की गई वास्तुशास्त्रीय इकाइयां, अभिलेख, वीर-पाषाण, सती-पाषाण इत्यादि मौजूद हैं। अवधि की दृष्टि से वे 6वीं ई. शताब्दी से 15वीं ई. शताब्दी के बीच की हैं। इन पुरावस्तुओं को संरक्षित स्मारकों के निकट अन्वेषण, उत्खनन और वैज्ञानिक मलवा छनाई में प्राप्त किया गया है।
- विभिन्न किस्मों की गणेश भगवान की मूर्तियां, पुराकालीन विशेषताओं वाली सप्तमत्रिकाएं, नटराज, जैन मत संबंधी अम्बिका, बोधिसत्व की आकर्षक मूर्तियां तथा महापाषाण काल की एक क्षतिग्रस्त मानव रूपी प्रतिमा कुछ महत्वपूर्ण प्रदर्शित वस्तुएं हैं।
- इस संग्रहालय में छह दीर्घाएं हैं और एक खुली दीर्घा है। पूर्व और आद्य ऐतिहासिक तत्वों तथा पुरालेखों और वास्तुकला को प्रदर्शित करने के लिए दो दीर्घाओं को हाल ही में पुन: व्यवस्थित किया जा रहा है। एक दीर्घा में एहोल तथा विभिन्न स्मारकों सहित इसके आसपास के क्षेत्रों (मलप्रभा घाटी) के विहंगम दृश्य वाला नमूना मौजूद हैं।
- घाटी के आसपास के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण संरक्षण कार्यों को उजागर करने वाले मॉडल को दीवार पर प्रदर्शित किया जा रहा है। प्रदर्शित वस्तुओं में शैव, शाक्त, गणपत्य, वैष्णव, जैन और बौद्ध आस्थाओं की मूर्तियाँ शामिल हैं।
- वीर-पाषाण, सती-पाषाण और शिलालेख भी खुली दीर्घा में प्रदर्शित हैं। इस खुली दीर्घा को भी पुन: व्यवस्थित किया जा रहा है। प्रदर्शित वस्तुएं प्रारंभिक मध्यकाल के सामाजिक-धार्मिक और सांस्कृतिक पहलुओं के अलावा कला एवं वास्तुकला की चालुक्य शैली को दर्शाते हैं।[1]
महत्त्वपूर्ण जानकारी
- खुलने का समय
सुबह 10 बजे से शाम 5.00 बजे तक
- बंद रहने का दिन
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संग्रहालय-एहोल (हिन्दी) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण। अभिगमन तिथि: 5 जनवरी, 2015।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख