राजसमन्द झील: Difference between revisions

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'''राजसमन्द झील''' [[राजस्थान]] के शहर राजसमन्द में स्थित है। राजसमन्द झील महाराणा राजसिंह द्वारा सन् 1660 ई. में बनवायी गयी थी।
'''राजसमन्द झील''' [[राजस्थान]] के शहर राजसमन्द में स्थित है। इस [[झील]] का निर्माण [[मेवाड़]] के राजा राजसिंह ने [[गोमती नदी]] का पानी रोककर (1662-76 ई.) करवाया था।
*चालीस लाख रुपये की लागत की राजसमन्द झील [[मेवाड़]] की विशालतम [[झील|झीलों]] में से एक हैं।
*चालीस लाख [[रुपया|रुपये]] की लागत से बनवाई गई राजसमन्द झील मेवाड़ की विशालतम झीलों में से एक है।
*7 किलोमीटर लम्बी व 3 किलोमीटर चौडी यह झील 55 फीट गहरी हैं।
*इस झील का निर्माण [[गोमती नदी|गोमती]], केलवा तथा ताली नदियों पर बाँध बनाकर किया गया है।
*राजसमन्द झील की पाल, नौचौकी व इस ख़ूबसूरत झील के पाल पर बनी छतरियों की छतों, स्तम्भों तथा तोरण द्वार पर की गयी मूर्तिकला व नक़्क़ाशी देखकर स्वतः ही देलवाडा के जैन मंदिरों की याद आ जाती है।
*सात किलोमीटर लम्बी व तीन किलोमीटर चौडी यह झील 55 फीट गहरी है।
*झील के किनारे की सीढियों को हर तरफ से गिनने पर योग 9 ही होता है, इसलिए इसे नौचौकी कहा जाता हैं।
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Latest revision as of 10:27, 10 February 2017

राजसमन्द झील
नाम राजसमन्द झील
देश भारत
राज्य राजस्थान
नगर/ज़िला राजसमन्द
निर्देशांक 25.07° उत्तर - 73.88° पूर्व
अधिकतम लंबाई 6.4 किमी (लगभग)
अधिकतम गहराई 18 मीटर (लगभग)
अधिकतम चौड़ाई 2.82 किमी (लगभग)
गूगल मानचित्र गूगल मानचित्र
निर्माता महाराणा राजसिंह
निर्माण काल 1660 ई.
बाहरी कड़ियाँ झील के किनारे की सीढियों को हर तरफ से गिनने पर योग 9 ही होता है, इसलिए इसे नौचौकी कहा जाता हैं।
अद्यतन‎

राजसमन्द झील राजस्थान के शहर राजसमन्द में स्थित है। इस झील का निर्माण मेवाड़ के राजा राजसिंह ने गोमती नदी का पानी रोककर (1662-76 ई.) करवाया था।

  • चालीस लाख रुपये की लागत से बनवाई गई राजसमन्द झील मेवाड़ की विशालतम झीलों में से एक है।
  • इस झील का निर्माण गोमती, केलवा तथा ताली नदियों पर बाँध बनाकर किया गया है।
  • सात किलोमीटर लम्बी व तीन किलोमीटर चौडी यह झील 55 फीट गहरी है।
  • राजसमन्द झील की पाल, नौचौकी व इस ख़ूबसूरत झील के पाल पर बनी छतरियों की छतों, स्तम्भों तथा तोरण द्वार पर की गयी मूर्तिकला व नक़्क़ाशी देखकर स्वतः ही दिलवाड़ा के जैन मंदिरों की याद आ जाती है।
  • झील के किनारे की सीढ़ियों को हर तरफ़ से गिनने पर योग नौ ही होता है, इसलिए इसे 'नौचौकी' कहा जाता है। यहीं पर 25 काले संगमरमर की चट्टानों पर मेवाड़ का पूरा इतिहास संस्कृत में उत्कीर्ण है। इसे 'राजप्रशस्ति' कहते हैं, जो की संसार की सबसे बड़ी प्रशस्ति है।[1]
  • राजप्रशस्ति 'अमरकाव्य वंशावली' नामक पुस्तक पर आधारित है, जिसके लेखक रणछोड़ भट्ट तैलंग हैं।
  • राजसमन्द झील के किनारे पर घेवर माता का मन्दिर है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. राजस्थान की सिंचाई परियोजनाएँ (हिन्दी) rajasthangyan.com। अभिगमन तिथि: 10 फ़रवरी, 2017।

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