अमित्रकेटे: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''अमित्रकेटे''' मौर्य सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
m (Text replacement - "अर्थात " to "अर्थात् ")
 
(2 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 1: Line 1:
'''अमित्रकेटे''' [[मौर्य]] सम्राट [[चन्द्रगुप्त मौर्य]] के पुत्र [[बिन्दुसार]] को कहा जाता था। चन्द्रगुप्त की मृत्यु के पश्चात उसका पुत्र बिन्दुसार सम्राट बना था। [[यूनानी]] लेखों के अनुसार इसका नाम 'अमित्रकेटे' था। विद्वानों के अनुसार अमित्रकेटे का [[संस्कृत]] रूप है- 'अमित्रघात' या 'अमित्रखाद' अर्थात "शत्रुओं का नाश करने वाला"। सम्भवतः यह बिन्दुसार का विरुद रहा होगा।
'''अमित्रकेटे''' [[मौर्य]] सम्राट [[चन्द्रगुप्त मौर्य]] के पुत्र [[बिन्दुसार]] को कहा जाता था। चन्द्रगुप्त की मृत्यु के पश्चात् उसका पुत्र बिन्दुसार सम्राट बना था। [[यूनानी]] लेखों के अनुसार इसका नाम 'अमित्रकेटे' था। विद्वानों के अनुसार अमित्रकेटे का [[संस्कृत]] रूप है- 'अमित्रघात' या 'अमित्रखाद' अर्थात् "शत्रुओं का नाश करने वाला"। सम्भवतः यह बिन्दुसार का विरुद रहा होगा।


*यूनानी इतिहासकारों ने अमित्रकेटे को 'अमित्रोचेट्स' के नाम से भी सम्बोधित किया है।
*यूनानी इतिहासकारों ने अमित्रकेटे को 'अमित्रोचेट्स' के नाम से भी सम्बोधित किया है।
Line 5: Line 5:
*'अमित्रघट' की उपाधि सम्भवत: बिन्दुसार को दक्षिण में उसके सफल सैनिक अभियानों के लिये दी गई होगी, क्योंकि [[उत्तर भारत]] पर उनके पिता [[चंद्रगुप्त मौर्य]] ने पहले ही विजय प्राप्त कर ली थी।
*'अमित्रघट' की उपाधि सम्भवत: बिन्दुसार को दक्षिण में उसके सफल सैनिक अभियानों के लिये दी गई होगी, क्योंकि [[उत्तर भारत]] पर उनके पिता [[चंद्रगुप्त मौर्य]] ने पहले ही विजय प्राप्त कर ली थी।
*बिन्दुसार का विजय अभियान [[कर्नाटक]] के आस-पास जाकर रुका और वह भी संभवत: इसलिये कि दक्षिण के [[चोल साम्राज्य|चोल]], [[पांड्य साम्राज्य|पांड्य]] व [[चेर वंश|चेर]] सरदारों और राजाओं के [[मौर्य वंश|मौर्यों]] से अच्छे संबंध थे।
*बिन्दुसार का विजय अभियान [[कर्नाटक]] के आस-पास जाकर रुका और वह भी संभवत: इसलिये कि दक्षिण के [[चोल साम्राज्य|चोल]], [[पांड्य साम्राज्य|पांड्य]] व [[चेर वंश|चेर]] सरदारों और राजाओं के [[मौर्य वंश|मौर्यों]] से अच्छे संबंध थे।
*[[बिन्दुसार]] ने अपने [[पिता]] चन्द्रगुप्त मौर्य द्वारा जीते गए क्षेत्रों को पूर्ण रूप से अक्षुण्ण रखा था। बाद में उसका पुत्र [[अशोक]] राजा बना, जिसने भारतवर्ष के इतिहास में ऐसा नाम कमाया, जिससे शायद ही कोई परिचित न हो।
*[[बिन्दुसार]] ने अपने [[पिता]] चन्द्रगुप्त मौर्य द्वारा जीते गए क्षेत्रों को पूर्ण रूप से अक्षुण्ण रखा था। बाद में उसका पुत्र [[अशोक]] राजा बना, जिसने भारतवर्ष के इतिहास में ऐसा नाम कमाया, जिससे शायद ही कोई परिचित न हो।
 
{{main|बिन्दुसार}}


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

Latest revision as of 07:51, 7 November 2017

अमित्रकेटे मौर्य सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के पुत्र बिन्दुसार को कहा जाता था। चन्द्रगुप्त की मृत्यु के पश्चात् उसका पुत्र बिन्दुसार सम्राट बना था। यूनानी लेखों के अनुसार इसका नाम 'अमित्रकेटे' था। विद्वानों के अनुसार अमित्रकेटे का संस्कृत रूप है- 'अमित्रघात' या 'अमित्रखाद' अर्थात् "शत्रुओं का नाश करने वाला"। सम्भवतः यह बिन्दुसार का विरुद रहा होगा।

  • यूनानी इतिहासकारों ने अमित्रकेटे को 'अमित्रोचेट्स' के नाम से भी सम्बोधित किया है।
  • 'अमित्रोचेट्स' जो संभवत: संस्कृत भाषा के शब्द 'अमित्रघट' से लिया गया है, का अर्थ है- 'शत्रुनाशक'।
  • 'अमित्रघट' की उपाधि सम्भवत: बिन्दुसार को दक्षिण में उसके सफल सैनिक अभियानों के लिये दी गई होगी, क्योंकि उत्तर भारत पर उनके पिता चंद्रगुप्त मौर्य ने पहले ही विजय प्राप्त कर ली थी।
  • बिन्दुसार का विजय अभियान कर्नाटक के आस-पास जाकर रुका और वह भी संभवत: इसलिये कि दक्षिण के चोल, पांड्यचेर सरदारों और राजाओं के मौर्यों से अच्छे संबंध थे।
  • बिन्दुसार ने अपने पिता चन्द्रगुप्त मौर्य द्वारा जीते गए क्षेत्रों को पूर्ण रूप से अक्षुण्ण रखा था। बाद में उसका पुत्र अशोक राजा बना, जिसने भारतवर्ष के इतिहास में ऐसा नाम कमाया, जिससे शायद ही कोई परिचित न हो।
  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख