गले में चक्की का पात बाँधना: Difference between revisions

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'''अर्थ'''- इतना बड़ा दायित्व सौंपना, जिसका निर्वाह संभव न हो।
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'''प्रयोग'''- तब इन्हें मालूम हुआ की पंडित सादिराम ने अपनी बेपरवाही से अपने बड़े लड़के के गले में कितना बड़ा चक्की का पात बाँध दिया है। -- अश्क।  
'''प्रयोग'''- तब इन्हें मालूम हुआ की पंडित सादिराम ने अपनी बेपरवाही से अपने बड़े लड़के के गले में कितना बड़ा चक्की का पात बाँध दिया है। ...([[उपेन्द्रनाथ अश्क]])  




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Latest revision as of 12:42, 21 April 2018

गले में चक्की का पात बाँधना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।

अर्थ- इतना बड़ा दायित्व सौंपना, जिसका निर्वाह संभव न हो।

प्रयोग- तब इन्हें मालूम हुआ की पंडित सादिराम ने अपनी बेपरवाही से अपने बड़े लड़के के गले में कितना बड़ा चक्की का पात बाँध दिया है। ...(उपेन्द्रनाथ अश्क)


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

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