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भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
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पेज सी-3
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==प्राचीन भारतीय इतिहास के स्त्रोत==
|name=सिक्किम के मुख्यमंत्री
{{tocright}}
|title =[[सिक्किम के मुख्यमंत्री]]
भारतीय इतिहास जानने के सा्रेतों को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता हैं -  
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#साहित्यिक साक्ष्य
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#विदेशी यात्रियों का विवरण
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#पुरातत्व सम्बन्धी साक्ष्य
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====साहित्यिक साक्ष्य====
|image=
साहित्यिक साक्ष्य के अन्तर्गत साहित्यिक ग्रन्थों से प्राप्त ऐतिहासिक वस्तुओं का अध्ययन किया जाता है। साहित्यिक साक्ष्य को दो भागों में विभाजित किया जाता सकता है-
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#धार्मिक साहित्य
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#लौकिक साहित्य।
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धार्मिक साहित्य के अन्तर्गत ब्राह्मण तथा ब्राह्मणेत्तर साहित्य की चर्चा की जाती है।
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*ब्राह्मण ग्रन्थों में -
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#[[वेद]],
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#[[उपनिषद]],
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#[[रामायण]],
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#[[महाभारत]],
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#[[पुराण]]
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#[[स्मृतियाँ|स्मृति ग्रन्थ]] आते हैं।
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*ब्राह्मणेत्तर ग्रन्थों में [[जैन]] तथा [[बौद्ध]] ग्रन्थों को सम्मिलित किया जाता है। <br />
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|list1 =[[काजी लेन्डुप दोरजी]] '''·''' [[नर बहादुर भंडारी]] '''·''' [[बी॰ बी॰ गुरुंग]] '''·''' [[संचमान लिम्बू]] '''·''' [[पवन कुमार चामलिंग]]  
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}}<noinclude>[[Category:गणराज्य संबंधित साँचे]]</noinclude>


लौकिक साहित्य के अन्तर्गत ऐतिहासिक ग्रन्थ, जीवनी, कल्पना-प्रधान तथा गल्प साहित्य का वर्णन किया जाता है।<br />
=======================
 
{| width="70%" cellpadding=2 cellspacing=2 class="bharattable-purple"
'''धर्म-ग्रन्थ'''<br />
|+[[सिक्किम]] के [[मुख्यमंत्री|मुख्यमंत्रियों]] की सूची
 
! '''क्रमांक'''  
प्राचीन काल से ही भारत के धर्म प्रधान देश होने के कारण यहां प्रायः तीन धार्मिक धारायें- वैदिक, जैन एवं बौद्ध प्रवाहित हुईं। वैदिक धर्म ग्रन्थ को ब्राह्मण धर्म ग्रन्थ भी कहा जाता है।<br />
! '''नाम'''
 
! '''पदभार ग्रहण'''
'''ब्राह्मण धर्म-ग्रंथ'''<br />
! '''पदमुक्ति'''
 
! '''दल / पार्टी'''  
'''ब्राह्मण धर्म''' - ग्रंथ के अन्तर्गत वेद, उपनिषद्, महाकाव्य तथा स्मृति ग्रंथों को शामिल किया जाता है।<br />
!कार्यकाल अवधि 
 
'''वेद'''<br />
{{main|वेद}}
 
वेद एक महत्वपूर्ण ब्राह्मण धर्म-ग्रंथ है। वेद शब्द का अर्थ ‘ज्ञान‘ महतज्ञान अर्थात् ‘पवित्र एवं आध्यात्मिक ज्ञान‘ है। यह शब्द [[संस्कृत]] के ‘विद्‘ धातु से बना है जिसका अर्थ है जानना। वेदों के संकलनकर्ता 'कृष्ण द्वैपायन' थे। कृष्ण द्वैपायन को वेदों के पृथक्करण-व्यास के कारण 'वेदव्यास' की संज्ञा प्राप्त हुई। वेदों से ही हमें आर्यो के विषय में प्रारम्भिक जानकारी मिलती है। कुछ लोग वेदों को अपौरूषेय अर्थात् दैवकृत मानते है। वेदों की कुल संख्या चार है-
#[[ऋग्वेद]],
#[[सामवेद]],
#[[यजुर्वेद]]
#[[अथर्ववेद]]।
{| class="wikitable"
|-
|-
!वेद  
| 1
!विषय वस्तु
|  [[काजी लेन्डुप दोरजी]]
|  16 मई 1975
|  18 अगस्त 1979
|  [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]
| 1555 दिन
|-
|-
| style="width:30%"|
! colspan="2"| राष्ट्रपति शासन (18 अगस्त 1979 से 18 अक्टूबर 1979 तक)
1- ऋग्वेद 
| style="width:70%"|
यह ऋचाओं का संग्रह है।
|style="width:30%"|
|-
|-
|2- सामवेद
| 3
|
| [[नर बहादुर भंडारी]]
यह गीति/रूप मंत्रों का संग्रह है और इसके अधिकांश गीत ऋग्वेद से लिए गए हैं।
|  18 अक्टूबर 1979
|  11 मई 1984
|  सिक्किम जनता परिषद
|1668 दिन
|-
|-
|3- यजुर्वेद
| 4
|
| [[बी॰ बी॰ गुरुंग]]
इसमें यागानुष्ठान के लिए विनियोग वाक्यों का समावेश है।
|  11 मई 1984
|  25 मई 1984
|  [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]
| 14 दिन
|-
|-
|4- अथर्ववेद
! colspan="5"| राष्ट्रपति शासन (25 मई 1984 से 8 मार्च 1985 तक)
|
यह तंत्र-मंत्रों का संग्रह है।
|-
|-
|}
| 6
 
[[नर बहादुर भंडारी]]  
 
|  8 मार्च 1985
ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद, इन चारों वेदों को 'संहिता' कहा जाता है। इनमें ऋग्वेद, यजुर्वेद एवं सामवेद के सम्मिलित संग्रह को 'वेदत्रयी' कहा जाता है। उपर्युक्त चारों वेदों में से प्रत्येक के एक-एक उपवेद भी है। ऋग्वेद का उपवेद 'आयुर्वेद' है, सामवेद का उपवेद 'गन्धर्ववेद' है, जो संगीत से संबद्व है। यजुर्वेद का उपवेद 'धनुर्वेद' है, जो युद्व कलाओं का वर्णन करता है, और अथर्ववेद का उपवेद 'शिल्पवेद' है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण उपवेद है 'आयुर्वेद' है। इसके आठ भाग हैं- शल्य, शालक्य, काय-चिकित्सा, भूत विद्या, कुमारभृत्य, अंगदतन्त्र, रसायन और वाजीकरण। एक मान्यता के अनुसार आयुर्वेद के जन्मदाता प्रजापति ([[ब्रह्मा]]), धनुर्वेद के जन्मदाता [[विश्वामित्र]], गन्धर्व के जन्मदाता [[नारद]] तथा शिल्पवेद के जन्मदाता [[विश्वकर्मा]] थे। इन ग्रन्थों से प्राचीन भारत में प्रचलित विभिन्न विधाओं का ज्ञान होता है।
|  17 जून 1994
 
|  सिक्किम संग्राम परिषद
====वेद एवं उनके उपवेद तथा प्रवर्तक====
|3389 दिन [कुल 5057 दिन]
{| class="wikitable"
|-
|-
!वेद  
| 7
!उपवेद
| [[संचमान लिम्बू]]  
!प्रवर्तक
17 जून 1994
|-
| 12 दिसम्बर 1994
| style="width:30%"|
| सिक्किम संग्राम परिषद
1- [[ऋग्वेद]]  
| 179 दिन
| style="width:40%"|
आयुर्वेद -1.शल्य, 2.शाल्यक, 3.काय चिकित्सा 4.भूतविद्या, 5.कुमार भृत्य, 6.अंगद तन्त्र, 7.रसायन, 8.वाजीकरण।  
|style="width:30%"|
[[ब्रह्मा]]
|-
|2- [[सामवेद]]
|
गंधर्ववेद (संगीत कला)
|
[[नारद]]
|-
|3- [[यजुर्वेद]]
|
धनुर्ववेद (युद्व कला)
|
[[विश्वामित्र]]
|-
|4- [[अथर्ववेद]]
|
शिल्पवेद (भवन निर्माण कला )
|
[[विश्वकर्मा]]
|-
|-
|  8
|  [[पवन कुमार चामलिंग]]
|  12 दिसम्बर 1994
|  पदस्थ
|  [[सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट]]
| 8683 दिन
|}
|}
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
====ब्राह्मण ग्रंथ====
<references/>
{{main|ब्राह्मण साहित्य}}
==बाहरी कडियाँ==
यज्ञों एवं कर्मकाण्डों के विधान एवं इनकी क्रियाओं को भली-भांति समझने के लिए ही इस ब्राह्मण ग्रंथ की रचना हुई। यहां पर 'ब्रह्म' का शाब्दिक अर्थ हैं- यज्ञ अर्थात् यज्ञ के विषयों का अच्छी तरह से प्रतिपादन करने वाले ग्रंथ ही 'ब्राह्मण ग्रंथ' कहे गये। ब्राह्मण ग्रन्थों में सर्वथा यज्ञों की वैज्ञानिक, अधिभौतिक तथा अध्यात्मिक मीमांसा प्रस्तुत की गयी है। यह ग्रंथ अधिकतर गद्य में लिखे हुए हैं। इनमें उत्तरकालीन समाज तथा संस्कृति के सम्बन्ध का ज्ञान प्राप्त होता है। प्रत्येक वेद (संहिता) के अपने-अपने ब्राह्मण होते हैं, जैसे-
*[http://assamassembly.nic.in/cm-list.html असम के मुख्यमंत्रियों की सूची (आधिकारिक वेबसाइट)]
{| class="wikitable"
==संबंधित लेख==
|-
{{भारतीय राज्यों के मुख्यमंत्री}}
!वेद 
[[Category:भारतीय राज्यों के मुख्यमंत्रियों की सूची]]
!सम्बन्धित ब्राह्मण
[[Category:चुनाव अद्यतन]]
|-
[[Category:सिक्किम]]
| style="width:30%"|
[[Category:सिक्किम के मुख्यमंत्री]]
1- ऋग्वेद 
[[Category:राजनीति कोश]]
| style="width:70%"|
[[Category:गणराज्य संरचना कोश]]
[[ऐतरेय ब्राह्मण|ऐतरेय ब्राह्मण]], [[शांखायन ब्राह्मण|शांखायन या कौषीतकि ब्राह्मण]]
|-
|2- शुक्ल यजुर्वेद
|
[[शतपथ ब्राह्मण|शतपथ ब्राह्मण]]
|-
|3- कृष्ण यजुर्वेद
|
[[तैत्तिरीय ब्राह्मण|तैत्तिरीय ब्राह्मण]]
|-
|4- सामवेद
|
[[ताण्ड्य ब्राह्मण|पंचविंश या ताण्ड्य ब्राह्मण]], [[षडविंश ब्राह्मण]], [[सामविधान ब्राह्मण]], [[वंश ब्राह्मण]], मंत्र ब्राह्मण, [[जैमिनीय ब्राह्मण|जैमिनीय ब्राह्मण]]
|-
|5- अथर्ववेद
|
[[गोपथ ब्राह्मण]]
|-
|}
 
 
 
==आरण्यक==
{{main|आरण्यक साहित्य}}
आरयण्कों में दार्शनिक एवं रहस्यात्मक विषयों यथा, आत्मा, मृत्यु, जीवन आदि का वर्णन होता है। इन ग्रंथों को आरयण्क इसलिए कहा जाता है क्योंकि इन ग्रंथों का मनन अरण्य अर्थात् वन में किया जाता था। ये ग्रन्थ अरण्यों (जंगलों) में निवास करने वाले संन्यासियों के मार्गदर्शन के लिए लिखे गए थै। आरण्यकों में ऐतरेय आरण्यक, शांखायन्त आरण्यक, बृहदारण्यक, मैत्रायणी उपनिषद् आरण्यक तथा तवलकार आरण्यक (इसे जैमिनीयोपनिषद् ब्राह्मण भी कहते हैं) मुख्य हैं। ऐतरेय तथा शांखायन ऋग्वेद से, बृहदारण्यक शुक्ल यजुर्वेद से, मैत्रायणी उपनिषद् आरण्यक कृष्ण यजुर्वेद से तथा तवलकार आरण्यक सामवेद से सम्बद्ध हैं। अथर्ववेद का कोई आरण्यक उपलब्ध नहीं है। आरण्यक ग्रन्थों में प्राण विद्या मी महिमा का प्रतिपादन विशेष रूप से मिलता है। इनमें कुछ ऐतिहासिक तथ्य भी हैं, जैसे- तैत्तिरीय आरण्यक में कुरू, पंचाल, काशी, विदेह आदि महाजनपदों का उल्लेख है।
====वेद एवं संबधित आरयण्क====
{| class="wikitable"
|-
!वेद 
!सम्बन्धित आरण्यक
|-
| style="width:30%"|
1- [[ऋग्वेद]] 
| style="width:70%"|
[[ऐतरेय आरण्यक|ऐतरेय आरण्यक]], [[शांखायन आरण्यक|शांखायन आरण्यक या कौषीतकि आरण्यक]]
|-
|2- [[यजुर्वेद]]
|
[[बृहद आरण्यक|बृहदारण्यक]], मैत्रायणी, [[तैत्तिरीय आरण्यक|तैत्तिरीयारण्यक]]
|-
|3- [[सामवेद]]
|
[[जैमिनिशाखीय ब्राह्मण|जैमनीयोपनिषद]] या [[तलवकार आरण्यक|तवलकार आरण्यक]]
|-
|4- [[अथर्ववेद]]
|
कोई आरण्यक नहीं
|-
|}
 
==उपनिषद==
{{main|उपनिषद}}
उपनिषदों की कुल संख्या 108 है। प्रमुख उपनिषद हैं- ईश, केन, कठ, माण्डूक्य, तैत्तिरीय, ऐतरेय, छान्दोग्य, श्वेताश्वतर, बृहदारण्यक, कौषीतकि, मुण्डक, प्रश्न, मैत्राणीय आदि। लेकिन शंकराचार्य ने जिन 10 उपनिषदों  पर स्पना भाष्य लिखा है, उनको प्रमाणिक माना गया है।ये हैं - ईश, केन, माण्डूक्य, मुण्डक, तैत्तिरीय, ऐतरेय, प्रश्न, छान्दोग्य और बृहदारण्यक उपनिषद। इसके अतिरिक्त श्वेताश्वतर  और कौषीतकि उपनिषद भी महत्वपूर्ण हैं। इस प्रकार 103 उपनिषदों में से केवल 13 उपनिषदों को ही प्रामाणिक माना गया है। भारत का प्रसिद्ध आदर्श वाक्य 'सत्यमेव जयते' मुण्डोपनिषद से लिया गया है। उपनिषद गद्य और पद्य दोनों में हैं, जिसमें प्रश्न, माण्डूक्य, केन, तैत्तिरीय, ऐतरेय, छान्दोग्य, बृहदारण्यक और कौषीतकि उपनिषद गद्य में हैं तथा केन, ईश, कठ और श्वेताश्वतर उपनिषद पद्य में हैं।
====वेद एवं सम्बंधित उपनिषद====
{| class="wikitable"
|-
!वेद 
!सम्बन्धित उपनिषद
|-
| style="width:30%"|
1- [[ऋग्वेद]] 
| style="width:70%"|
[[ऐतरेयोपनिषद]]
|-
|2- [[यजुर्वेद]]
|
[[बृहदारण्यकोपनिषद]]
|-
|3- [[यजुर्वेद|शुक्ल यजुर्वेद]]
|
[[ईशावास्योपनिषद]]
|-
|4- [[यजुर्वेद|कृष्ण यजुर्वेद]]
|
[[तैत्तिरीयोपनिषद]], [[कठोपनिषद]], [[श्वेताश्वतरोपनिषद]], [[मैत्रायणी उपनिषद]]
|-
|5- [[सामवेद]]
|
[[वाष्कल उपनिषद]], [[छान्दोग्य उपनिषद]], [[केनोपनिषद]]
|-
|6- [[अथर्ववेद]]
|
[[माण्डूक्योपनिषद]], [[प्रश्नोपनिषद]], [[मुण्डकोपनिषद]]
|-
|}
 
==वेदांग==
{{main|वेदांग}}
वेदों के अर्थ को अच्छी तरह समझने में वेदांग काफी सहायक होते हैं। वेदांग शब्द से अभिप्राय है- 'जिसके द्वारा किसी वस्तु के स्वरूप को समझने में सहायता मिले'। वेदांगो की कुल संख्या 6 है, जो इस प्रकार है-
 
#शिक्षा- वैदिक वाक्यों के स्पष्ट उच्चारण हेतु इसका निर्माण हुआ। वैदिक शिक्षा सम्बंधी प्राचीनतम साहित्य 'प्रातिशाख्य' है।
#कल्प- वैदिक कर्मकाण्डों को सम्पन्न करवाने के लिए निश्चित किए गये विधि नियमों का प्रतिपादन 'कल्पसूत्र' में किया गया है।
#व्याकरण- इसके अन्तर्गत समासों एवं सन्धि आदि के नियम, नामों एवं धातुओं की रचना, उपसर्ग एवं प्रत्यय के प्रयोग आदि के नियम बताये गये हैं। [[पाणिनी]] की [[अष्टाध्यायी]] प्रसिद्ध व्याकरण ग्रंथ है।
#निरूक्त- शब्दों की व्युत्पत्ति एवं निर्वचन बतलाने वाले शास्त्र 'निरूक्त' कहलातें है। क्लिष्ट वैदिक शब्दों के संकलन ‘निघण्टु‘ की व्याख्या हेतु [[यास्क]] ने 'निरूक्त' की रचना की थी, जो भाषा शास्त्र का प्रथम ग्रंथ माना जाता है।
#छन्द- वैदिक साहित्य में मुख्य रूप से गायत्री, त्रिष्टुप, जगती, वृहती आदि छन्दों का प्रयोग किया गया है। पिंगल का छन्दशास्त्र प्रसिद्ध है।
#ज्योतिष- इसमें ज्योतिष शास्त्र के विकास को दिखाया गया है। इसकें प्राचीनतम आचार्य 'लगध मुनि' है।
ब्राह्मण ग्रन्थों में धर्मशास्त्र का महत्वपूर्ण स्थान है। *धर्मशास्त्र में चार साहित्य आते हैं- 1- धर्म सूत्र, 2- स्मृति, 3- टीका एवं 4- निबन्ध ।
 
==स्मृतियां==
{{main|स्मृतियाँ}}
स्मृतियों को 'धर्म शास्त्र' भी कहा जाता है-' श्रस्तु वेद विज्ञेयों धर्मशास्त्रं तु वैस्मृतिः।' स्मृतियों का उदय सूत्रों को बाद हुआ। मनुष्य के पूरे जीवन से सम्बधित अनेक क्रिया-कलापों के बारे में असंख्य विधि-निषेधों की जानकारी इन स्मृतियों से मिलती है। सम्भवतः [[मनुस्मृति]] (लगभग 200 ई.पूर्व. से 100 ई. मध्य) एवं [[याज्ञवल्क्य स्मृति]] सबसे प्राचीन हैं। उस समय के अन्य महत्वपूर्ण स्मृतिकार थे- [[नारद]], [[पराशर]], [[बृहस्पति]], [[कात्यायन]], [[गौतम]], संवर्त, हरीत, अंगिरा आदि, जिनका समय सम्भवतः 100 ई. से लेकर 600 ई. तक था। मनुस्मृति से उस समय के [[भारत]] के बारे में राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक जानकारी मिलती है। [[नारद स्मृति]] से [[गुप्त वंश]] के संदर्भ में जानकारी मिलती है। मेधातिथि, मारूचि, कुल्लूक भट्ट, गोविन्दराज आदि टीकाकारों ने मनुस्मृति पर, जबकि विश्वरूप, अपरार्क, विज्ञानेश्वर आदि ने याज्ञवल्क्य स्मृति पर भाष्य लिखे हैं।
====मुख्य निबन्धकार एवं रचनाएं====
{| class="wikitable"
|-
!मुख्य निबन्धकार
!रचनाएं
|-
| style="width:30%"|
1- देवण्णभट्ट 
| style="width:70%"|
स्मृतिचन्द्रिका
|-
|2- श्रीदत्त उपाध्याय
|
आचारादर्श
|-
|3- माध्वाचार्य
|
पाराशरमाधवीय
|-
|4- जीमूतवाहन
|
दायभाग
|-
|5- रघुनन्दन
|
स्मृतितत्व
|-
|}
 
==महाकाव्य==
'[[रामायण]]' एवं '[[महाभारत]]', भारत के दो सर्वाधिक प्राचीन महाकाव्य हैं। यद्यपि इन दोनों महाकाव्यों के रचनाकाल के विषय में काफी विवाद है, फिर भी कुछ उपलब्ध साक्ष्यों के आधर पर इन महाकाव्यों का रचनाकाल चौथी शती ई.पू. से चौथी शती ई. के मध्य माना गया है।
====रामायण====
{{main|रामायण}}
रामायण की रचना [[बाल्मीकि|महर्षि बाल्मीकि]] द्वारा पहली एवं दूसरी शताब्दी के दौरान [[संस्कृत|संस्कृत भाषा]] में की गयी । बाल्मीकि कृत रामायण में मूलतः 6000 श्लोक थे, जो कालान्तर में 12000 हुए और फिर 24000 हो गये । इसे 'चतुर्विशिति साहस्त्री संहिता' भ्री कहा गया है। बाल्मीकि द्वारा रचित रामायण- [[बाल काण्ड वा. रा.|बालकाण्ड]], [[अयोध्या काण्ड वा. रा.|अयोध्याकाण्ड]], [[अरण्य काण्ड वा. रा.|अरण्यकाण्ड]], [[किष्किन्धा काण्ड वा. रा.|किष्किन्धाकाण्ड]], [[सुन्दर काण्ड वा. रा.|सुन्दरकाण्ड]], [[युद्ध काण्ड वा. रा.|युद्धकाण्ड]] एवं [[उत्तर काण्ड वा. रा.|उत्तराकाण्ड]] नामक सात काण्डों में बंटा हुआ है। रामायण द्वारा उस समय की राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक स्थिति का ज्ञान होता है। रामकथा पर आधारित ग्रंथों का अनुवाद सर्वप्रथम [[भारत]] से बाहर [[चीन]] में किया गया। भूशुण्डि रामायण को 'आदिरामायण' कहा जाता है। 
====महाभारत====
{{main|महाभारत}}
[[व्यास|महर्षि व्यास]] द्वारा रचित [[महाभारत]] महाकाव्य [[रामायण]] से बृहद है। इसकी रचना का मूल समय ईसा पूर्व चौथी शताब्दी माना जाता है। महाभारत में मूलतः 8800 श्लोक थे तथा इसका नाम 'जयसंहिता' (विजय संबंधी ग्रंथ) था। बाद में श्लोकों की संख्या 24000 होने के पश्चात यह वैदिक जन [[भरत (दुष्यंत पुत्र)|भरत]] के वंशजों की कथा होने के कारण ‘भारत‘ कहलाया। कालान्तर में [[गुप्त काल]] में श्लोकों की संख्या बढ़कर एक लाख होने पर यह 'शतसाहस्त्री संहिता' या 'महाभारत' केहलाया। महाभारत का प्रारम्भिक उल्लेख 'आश्वलाय गृहसूत्र' में मिलता है। वर्तमान में इस महाकाव्य में लगभग एक लाख श्लोकों का संकलन है। महाभारत महाकाव्य 18 पर्वो- [[आदि पर्व महाभारत|आदि]], [[सभा पर्व महाभारत|सभा]], [[वन पर्व महाभारत|वन]], [[विराट पर्व महाभारत|विराट]], [[उद्योग पर्व महाभारत|उद्योग]], [[भीष्म पर्व महाभारत|भीष्म]], [[द्रोण पर्व महाभारत|द्रोण]], [[कर्ण पर्व महाभारत|कर्ण]], [[शल्य पर्व महाभारत|शल्य]], [[सौप्तिक पर्व महाभारत|सौप्तिक]], [[स्त्री पर्व महाभारत|स्त्री]], [[शान्ति पर्व महाभारत|शान्ति]], [[अनुशासन पर्व महाभारत|अनुशासन]], [[आश्वमेधिक पर्व महाभारत|अश्वमेघ]], [[आश्रमवासिक पर्व महाभारत|आश्रमवासी]], [[मौसल पर्व महाभारत|मौसल]], [[महाप्रास्थानिक पर्व महाभारत|महाप्रास्थानिक]] एवं [[स्वर्गारोहण पर्व महाभारत|स्वर्गारोहण]] में विभाजित है। महाभारत में ‘हरिवंश‘ नाम परिशिष्ट है। इस महाकाव्य से तत्कालीन राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक स्थिति का ज्ञान होता है।
 
==पुराण==
{{main|पुराण}}
प्राचीन आख्यानों से युक्त ग्रंथ को [[पुराण]] कहते हैं। सम्भवतः 5वीं से 4थी शताब्दी ई.पू. तक पुराण अस्तित्व में आ चुके थे। [[ब्रह्म वैवर्त पुराण]] में पुराणों के पांच लक्षण बताये ये हैं। यह हैं- सर्प, प्रतिसर्ग, वंश, मन्वन्तर तथा वंशानुचरित। कुल पुराणों की संख्या 18 हैं- 1. [[ब्रह्म पुराण]] 2. [[पद्म पुराण]] 3. [[विष्णु पुराण]] 4. [[वायु पुराण]] 5. [[भागवत पुराण]] 6. [[नारद पुराण|नारदीय पुराण]], 7. [[मार्कण्डेय पुराण]] 8. [[अग्नि पुराण]] 9. [[भविष्य पुराण]] 10. [[ब्रह्म वैवर्त पुराण]], 11. [[लिंग पुराण]] 12. [[वराह पुराण]] 13. [[स्कन्द पुराण]] 14. [[वामन पुराण]] 15. [[कूर्म पुराण]] 16. [[मत्स्य पुराण]] 17. [[गरुड़ पुराण]] और 18. [[ब्रह्माण्ड पुराण]]
इन पुराणों में विष्णु, मत्स्य, वायु, ब्रह्माण्ड, तथा भागवत पुराण सर्वाधिक ऐतिहासिक महत्व के हैं क्योंकि इनमें राजाओं की वंशावलियां पायी जाती हैं। अठारह पुराणों में सर्वाधिक प्राचीन एवं प्रामाणिक मत्स्य पुराण है। इसके द्वारा [[सातवाहन वंश]] के विषय में विशेष जानकारी मिलती है। इसके अतिरिक्त विष्णु पुराण से [[मौर्य वंश]] एवं [[गुप्त वंश]] की एवं वायु पुराण से [[शुंग वंश]] एवं [[गुप्त वंश]] के विषय में विशेष जानकारी मिलती है। इस प्रकार पुराणों से हमें शिशुनाग, नन्द, मौर्य, शुंग, सातवाहन एवं गुप्त वंश के विषय में ज्ञान होता है।
मार्कण्डेय पुराण मुख्यतः देवी [[दुर्गा]] से संबधित है। इसी में 'दुर्गा सप्तशती' नामक अंश शामिल है। अग्नि पुराण में तांत्रिक पद्धति का उल्लेख है। इसी पुराण में [[गणेश]] पूजा का प्रथम बार उल्लेख मिलता है।
 
==बौद्ध साहित्य==
{{main|बौद्ध साहित्य}}
[[बौद्ध साहित्य]] को ‘[[त्रिपिटक]]‘ कहा जाता है। महात्मा बुद्ध के परिनिर्वाण के उपरान्त आयोजित विभिन्न बौद्ध संगीतियों में संकलित किये गये त्रिपिटक (संस्कृत त्रिपिटक) सम्भवतः सर्वाधिक प्राचीन धर्मग्रंथ हैं। वुलर एवं रीज डेविड्ज महोदय ने ‘पिटक‘ का शाब्दिक अर्थ टोकरी बताया है। त्रिपिटक हैं-
#[[सुत्तपिटक]],
#[[विनयपिटक]] और
#[[अभिधम्मपिटक]]
 
==जैन साहित्य==
{{main|जैन साहित्य}}
ऐतिहसिक जानकारी हेतु [[जैन साहित्य]] भी [[बौद्ध साहित्य]] की ही तरह महत्वपूर्ण हैं। अब तक उपलब्ध जैन साहित्य [[प्राकृत]] एवं [[संस्कृत]] भाषा में मिलतें है। जैन साहित्य, जिसे ‘आगम‘ कहा जाता है, इनकी संख्या 12 बतायी जाती है। आगे चलकर इनके 'उपांग' भी लिखे गये । आगमों के साथ-साथ जैन ग्रंथों में 10 प्रकीर्ण, 6 छंद सूत्र, एक नंदि सूत्र एक अनुयोगद्वार एवं चार मूलसूत्र हैं। इन आगम ग्रंथों की रचना सम्भवतः श्वेताम्बर सम्प्रदाय के आचार्यो द्वारा [[महावीर|महावीर स्वामी]] की मृत्यु के बाद की गयी।
====लौकिक साहित्य====
इस प्रकार के साहित्य के अन्तर्गत ऐतिहासिक एवं समसामयिक साहित्य आते हैं, ऐसे साहित्य को धर्मेत्तर साहित्य भी कहते हैं इस प्रकार की कृतियों से तत्कालीन भारतीय समाज के राजनीतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास को जानने में काफी मदद मिलती है। ऐसी रचनाओं में सर्वप्रथम उल्लेख अर्थशास्त्र का किया जाता है।
====अर्थशास्त्र====
सम्भवतः आचार्य चाणक्य (विष्णुगुप्त) द्वारा रचित इस कृति को भारत का पहला राजनीति का ग्रंथ माना जाता है। लगभग 6000 श्लोकों वाले इस ग्रंथ (अर्थशास्त्र) से मौर्यकालीन राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक स्थिति की स्पष्ट जानकारी मिलती है। 15 खण्डों में विभाजित इस ग्रंथ का द्वितीय एवं तृतीय खण्ड सर्वाधिक प्राचीन है।
====मुद्राराक्षस====
चौथी शती का उत्तरार्द्ध एवं पांचवी शती ई. के पूर्वार्द्ध में विशाखदत्त द्वारा रचित इस ग्रंथ से चन्द्रगुप्त मौर्य एवं उनके गुरू चाणक्य के विषय में और साथ ही नंद वश के पतन एवं मार्य वंश की स्थापना के इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है।
 
पाणिनिकृत अष्टाध्यायी एवं महर्षि पंतजलि प्रणीय महाभाष्य वैसे तो व्याकरण का ग्रंथ माने जाते हैं किन्तु इन गंथों में कहीं-कहीं राजाओं-महाराजाओं एवं जनतंत्रों के घटनाचक्र का विवरण भी मिलता हैं।
मालविकाग्निमित्रम्- चैथी शताब्दी के उत्तरार्द्ध एवं पांचवी शताब्दी के पूर्वार्द्ध में कालिदास द्वारा रचित इस संस्कृत ग्रंथ से पुष्यमित्र शुग एवं उसके अग्निमित्र के समय के राजनीतिक घटनाचक्र तथा शुंग एवं यवन संघर्ष का उल्लेख मिलता है।
====हर्षचरित====
सातवीय शताब्दी के पूर्वार्द्ध में संस्कृत गद्य साहित्य के विद्धान सम्राट हर्ष के राजकवि बाणभट्ट द्वारा रचित इस ग्रंथ से हर्ष के जीवन एवं हर्ष के समय में भारत के इतिहास पर प्रचुर प्रकाश पड़ता है।
====कामन्दकीय नीतिशास़्त्र====
6वीं.-सातवीं शताब्दी के लगभग कामन्दक द्वारा इस ग्रंथ की रचना की गयी। इससे उस समय के आचार-व्यवहार के विषय में जानकारी प्राप्त होती है।
====बृहस्पतीय अर्थशास्त्र====
कौटिल्य के अर्थशास्त्र के समान ही बृहस्पति ने भी ‘अर्थशास्त्र‘ नामक ग्रंथ की रचना की। इसका रचनाकाल 900-1000 ई. माना जाता है। इस ग्रंथ में राजकीय कत्र्तव्यों का उल्लेख किया गया है।
====स्वप्नवासवदत्तम====
तीसरी शताब्दी ई. में महाकवि भास द्वारा रचित इस कृति से वत्सराज उदयन एवं अवन्ति नरेश चण्ड प्रद्योत के सम्बन्धो का उल्लेख मिलता है।
====मृच्छकटिकम्====
शूद्रक द्वारा रचित इस नाटक से गुप्तकालीन सांस्कृतिक इतिहास की जानकारी मिलती है।
====नवसाहसांकचरित====
ग्यारहवीब शती ई. में पदमगुप्त परिमल द्वारा रचित इस ग्रंथ से परमारवंश, सिंधुराज नवसाहसांक के इतिहास के विषय में जानकारी मिलती है। इस ग्रंथ को संस्कृति साहित्य का प्रथम ऐतिहासिक महाकाव्य माना जाता है।
सी-8
====राजतरंगिणी====
1148 से 1150 के बीच इस ग्रंथ की रचना कल्हण ने की । कश्मीर के इतिहास पर आधारित इस ग्रंथ की रचना में कल्हण ने ग्यारह अन्य ग्रंथों का सहयोग लिया है जिसमें अब केवल नीलमत पुराण ही उपलब्ध है। यह ग्रंथ संस्कृत में ऐतिहासिक घटनाओं के क्रमबद्ध इतिहास लिखने का प्रथम प्रयास है। इसमें आदिकाल से लेकर 1151 ई. के आरम्भ तक के कश्मीर के प्रत्येक शासक के काल की घटनाओं क्रमानुसार विवरण दिया गया हैं
====विक्रमांकदेवचरित====
11 वी शताब्दी के उत्तरार्द्ध में इस ग्रंथ की रचना कश्मीरी कवि विल्हण ने की। इस ग्रंथ से चालुक्य राजवंश, विशेषकर विक्रमादित्य षष्ठ के विषय में जानकारी मिलती हैं
====कुमारपालचरित====
लगभग 1089-1173 ई. के बीच इस ग्रंथ की रचना हेमचन्द ने की थी। 20 सर्गो में विभाजित इस ग्रंथ से गुंजरात के चालुक्यवंशीय शासकों के विस्तृत इतिहास की जानकारी मिलती है। बीस सर्गो में प्रथम बारह सर्ग संस्कृत भाषा में एवं अन्तिम आठ सर्ग प्राकृत भाषा में लिखे गये हैं। इस ग्रंथ को द्वयाश्रय भी कहा जाता है।
====प्रबन्धचिन्तामणि====
1305 ई. में इसकी रचना मेरूतुंगाचार्य ने की । यह ग्रंथ जैन साहित्य का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। यह पांच खण्डों में विभाजित है। इन खण्डों से क्रमशः विक्रमांक, सातवाहन मूलराज, मुंज, नृपति भोज, सिद्वराज जयसिंह, कुमार पाल, लक्ष्मण सेन, जयचन्द्र आदि के विषय में जानकारी मिलती है।
====कीर्तिकौमुदी====
सोमेश्वर द्वारा रचित इस काव्य से चालुक्यवंशीय इतिहास के विषय में जानकारी मिलती है।
====बसन्तविलास====
महाकवि वाल चन्द्र द्वारा रचित चैदह सर्गो वाले इस ग्रंथ में वास्तुपाल के उदारवादी कार्याें का उल्लेख मिलता है। साथ ही साथ चालुक्य वंशीय राजनीति के बारे में विवरण मिलते है।
====मत्तविलास प्रहसन====
पल्लव नरेश महेन्द्र वर्मा द्वारा 7वीं. शती में रचित इस ग्रंथ में तत्कालीन सामाजिक एवं धार्मिक जीवन के बारे मंे विवरण मिलता है।
====अवन्तिसुन्दरी कथा====
महाकवि दण्डी द्वारा रचित इस ग्रंथ से पल्लवी के इतिहास विषय में जानकारी मिलती है।
====पृथ्वीराजविजय====
1191-93 ई. के बीच इस ग्रंथ की रचना कश्मीरी पण्डित जयनक ने की। इस ग्रंथ से पृथ्वीराज तृतीय के विषय में जानकारी मिलती है।
====गौड़वहो====
वाक्पतिराज द्वारा प्राकृत भाषा में रचित इस ग्रंथ से कन्नौज नरेश यशोवर्मा की विजय के विषय में जानकारी मिलती है।
{| class="wikitable"
|-
!रचनाएं
!रचनाकार
|-
| style="width:30%"|
1-अर्थशास्त्र 
| style="width:70%"|
आचार्य चाणक्य
|-
|2- मुद्राराक्षस
|
विशाखदत्त
|-
|3- अष्टाध्यायी
|
पाणिनि
|-
|4- महाभाष्य
|
महर्षि पंतजलि
|-
|5- मालविकाग्निमित्रम्
|
कालिदास
|-
|6- हर्षचरित
|
बाणभट्ट
|-
|6- कामन्दकीय नीतिशास़्त्र
|
कामन्दक
|-
|7- बृहस्पतीय अर्थशास्त्र
|
बृहस्पति
|-
|8- स्वप्नवासवदत्तम
|
भास
|-
|9- मृच्छकटिकम्
|
शूद्रक
|-
|10- नवसाहसांकचरित
|
पदमगुप्त परिमल
|-
|11- राजतरंगिणी
|
कल्हण
|-
|12- विक्रमांकदेवचरित
|
कवि विल्हण
|-
|13- कुमारपालचरित
|
हेमचन्द
|-
|14- प्रबन्धचिन्तामणि
|
मेरूतुंगाचार्य
|-
|15- कीर्तिकौमुदी
|
सोमेश्वर
|-
|16- बसन्तविलास
|
महाकवि वालचन्द्र
|-
|17- मत्तविलास प्रहसन
|
पल्लव नरेश महेन्द्र वर्मा
|-
|18- अवन्तिसुन्दरी कथा
|
महाकवि दण्डी
|-
|19- पृथ्वीराज विजय
|
पण्डित जयनक
|-
|20- गौड़वहो
|
वाक्पतिराज
|-
|}
दक्षिण भारत का प्रारम्भिक इतिहास ‘संगम साहित्य‘ से ज्ञात होता है। सुदूर दक्षिण के पल्लव और चोल शासको का इतिहास नन्दिकक्लम्बकम, कलिंगत्तुपर्णि, चोल चरित आदि से प्राप्त होता है।
 
==विदेशियों के विवरण==
विदेशी यात्रियों एवं लेखकों के विवरण से भी हमें भारतीय इतिहास की जानकारी मिलती है। इनको तीन भागों में बांट सकते हैं-
#यूनानी-रोमन लेखक
#चीनी लेखक
#अरबी लेखक
*यूनानी लेखकों को तीन भागों में बांटा जा सकता है-
#सिकन्दर के पूर्व के यूनानी लेखक
#सिकन्दर के समकालीन यूनानी लेखक
#सिकन्दर के बाद के लेखक
*टेसियस और हेरोडोटस यूनान और रोम के प्राचीन लेखकों में से हैं। टेसियस ईरानी राजवैद्य था, उसने भारत के विषय में समस्त जानकारी ईरानी अधिकारियों से प्राप्त की थी। हेरोडोटस, जिसे इतिहास का पिता कहा जाता है, ने 5वी. शताब्दी में ई.पू. में ‘हिस्टोरिका‘ नामक पुस्तक की रचना की थी, जिसमें भारत और फारस के सम्बन्धों का वर्णन किया गया है।
*नियार्कस, आनेसिक्रिटस और अरिस्टोवुलास ये सभी लेखक सिकन्दर के समकालीन। इन लेखकों द्वारा जो भी विवरण तत्कालीन भारतीय इतिहास जुड़ा है वह अपने में प्रमाणिक है।
*सिकन्दर के बाद के लेखकों में महत्वपूर्ण था मेगस्थनीज जो चूनानी राजा सेल्यूकस का राजदूत था। उसने चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में करीब 14 वर्षो तक रहा। उसने ‘इण्डिका ‘ नामक ग्रंथ की रचना की जिसमें तत्कालीन मौर्यवंशीय समाज एवं संस्कृति का विवरण दिया था। डाइमेकस, सीरियन नरेश अन्तियोकस का राजदूत थाजो बिन्दुसार के राजदरबार में काफी दिनों तक रहा।
डायनिसियस मिस्र नरेश टाॅलमी फिलाडेल्फस के राजदूत के रूप में काफी दिनों तक सम्राट अशोक के राज दरबार में रहा था।
*अन्य पुस्तकों में ‘पेरीप्लस आॅफ द एरिथ्रियन सी‘, लगभग 150 ई. के आसपास टाॅलमी का भूगोल, प्लिनी का नेचुरल हिस्टोरिका (ई. की प्रथम सदी) महत्वपूर्ण है। ‘पेरीप्लस ऑफ द एरिथ्रियन सी‘ ग्रंथ जिसकी रचना 80 से 115 ई. के बीच हुई है, में भारतीय बन्दरगाहों एवं व्यापारिक वस्तुओं का विवरण मिलता है। प्लिनी के ‘नेचुरल हिस्टोरिका‘ से भारतीय पशु, पेड़-पौधों एवं खनिज पदार्थो की जानकारी मिलती है।
===चीनी लेखक===
चीनी लेखकों के विवरण से भी भारतीय इतिहास पर प्रचुर प्रभाव पड़ता है सभी चीनी लेखक यात्री बौद्ध मतानुयायी थे और वे इस धर्म के विषय में कुछ विषय जानकारी के लिए ही भारत आये थे। चीनी बौद्ध यात्रियों में से प्रमुख थे-
#फाह्मन,
#हृेनसांग,
#इत्सिंग,
#मल्वानलिन,
#चाऊ-जू-कुआ आदि।
====हृेनसांग====
कन्नौज के राजा हर्षवर्धन (606-47ई.) के शासनकाल में भारत आया। इसने करीब 10 वर्षो तक भारत में भ्रमण किया। उसने 6 वर्षो तक नालन्दा विश्वविद्यालय में अध्ययन किया। उसकी भारत यात्रा का वृतान्त सी-यू-की नामक ग्रंथ से जाना जाता है जिसने लगभग 138 देशों के यात्रा विवरण का जिक्र मिलता है।हूली हृेनसांग का मित्र था जिसने हृेनसांग की जीवनी लिखी। इस जीवनी में उसने तत्कालीन भारत पर भी प्रकाश डाला। चीनी यात्रियों में सर्वाधिक महत्व हृेनसांग का ही है। उसे ‘प्रिंस आॅॅॅफ पिलग्रिम्स‘ अर्थात् यात्रियों का राजकुमार कहा जाता है।
====इत्सिंग====
613-715 ई. के समय भारत आया। उसने नालन्दा एवं विक्रमशिला विश्वविद्यालय तथा उस समय के भारत पर प्रकाश डाला।
मत्वालिन ने हर्ष के पूर्व अभियान एवं चाऊ-जू-कुआ ने चोलकालीन इतिहास पर प्रकाश डाला।
===अरबी लेखक===
पूर्व मध्यकालीन भारत के समाज और संस्कृति के विषयों में हमें सर्वप्रथम अरब व्यापारियों एवं लेखकों से विवरण प्राप्त होता है। इन व्यापारियों और लेखकों में मुख्य हैं- अलबेरूनी, सुलेमान और अलमसूदी।
*अलबेरूनी, जो अबूरिहान नाम से भी जाना जाता था, 973 ई. में ख्वारिज्म (खीवा) में पैदा हुआ। 1017 ई. में ख्वारिज्म को महमूद गजनवी द्वारा जीते जाने पर अलबेरूनी को उसने राज्य ज्योतिषी के पद पर नियुक्त किया। बाद में महमूद के साथ अलबेरूनी भारत आया। इसने अपनी पुस्तक ‘तहकीक-ए-हिन्द‘ अर्थात किताबुल हिंद में राजपूतकालीन समाज, धर्म, रीतिरिवाज आदि पर सुन्दर प्रकाश डाला है।
*9 वी. शताब्दी में भारत आने वाले अरबी यात्री सुलेमान प्रतिहार एवं पाल शासकों के तत्कालीन आर्थिक, राजनैतिक एवं समाजिक दशा का वर्णन करता है।
*915-16 ई. में भारत की यात्रा करने वाला बगदाद का यह यात्री अलमसूदी राष्ट्रकूट एवं प्रतिहार शासकों के विषय में जानकारी देता हैं
उपर्युक्त विदेशी यात्रियों के विवरण के अतिरिक्त कुछ फारसी लेखकों के विवरण भी प्राप्त होते है जिनसे भारतीय इतिहास के अध्ययन में काफी सहायता मिलती है। इसमें महत्वपूर्ण हैं-
#फिरदौसी (940-1020ई.) कृतशाहनामा, (Books of Kings)
#रशदुद्वीन कृत ‘ जमीएत अल तवारीख‘ अली अहमद कृत ‘चाचनामा‘ मिनहाज-उल-सिराज कृत ‘तबकात-ए-नासिरी‘, जियाउद्वीन बरनी कृत ‘तारीख-ए-फिरोजशाही एवं अबुल फजल कृत ‘अकबरनामा‘ आदि।
#यूरोपीय यात्रियों में 13 वी शताब्दी में वेनिस (इटली) से आये से सुप्रसिद्व यात्री मार्कोपोलों द्वारा दक्षिण के पाण्ड्य राज्य के विषय में जानकारी मिलती है।
==पुरातत्व==
पुरातात्विक साक्ष्य के अंतर्गत मुख्यतः अभिलेख, सिक्के, स्मारक, भवन, मूर्तियां चित्रकला आदि आते हैं।
==अभिलेख==
इतिहास निमार्ण में सहायक पुरातत्व सामग्री में अभिलेखों का महत्वपूर्ण स्थान है। ये अभिलेख अधिकांशतः स्तम्भों, शिलाओं, ताम्रपत्रों, मुद्राओं पात्रों, मूर्तियों, गुहाओं आदि में खुदे हुए मिलते हैं। यद्यपि प्राचीनतम अभिलेख मध्य एशिया के ‘बोगजकोई‘ नाम स्थान से करीब 1400 ई.पू. में पाये गये जिनमें अनेक वैदिक देवताओं-इन्द्र, मित्र, वरूण, नासत्य आदि का उल्लेख मिलता है।

Latest revision as of 12:28, 2 October 2018

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सिक्किम के मुख्यमंत्रियों की सूची
क्रमांक नाम पदभार ग्रहण पदमुक्ति दल / पार्टी कार्यकाल अवधि
1 काजी लेन्डुप दोरजी 16 मई 1975 18 अगस्त 1979 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 1555 दिन
राष्ट्रपति शासन (18 अगस्त 1979 से 18 अक्टूबर 1979 तक)
3 नर बहादुर भंडारी 18 अक्टूबर 1979 11 मई 1984 सिक्किम जनता परिषद 1668 दिन
4 बी॰ बी॰ गुरुंग 11 मई 1984 25 मई 1984 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 14 दिन
राष्ट्रपति शासन (25 मई 1984 से 8 मार्च 1985 तक)
6 नर बहादुर भंडारी 8 मार्च 1985 17 जून 1994 सिक्किम संग्राम परिषद 3389 दिन [कुल 5057 दिन]
7 संचमान लिम्बू 17 जून 1994 12 दिसम्बर 1994 सिक्किम संग्राम परिषद 179 दिन
8 पवन कुमार चामलिंग 12 दिसम्बर 1994 पदस्थ सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट 8683 दिन

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कडियाँ

संबंधित लेख

भारतीय राज्यों में पदस्थ मुख्यमंत्री
क्रमांक राज्य मुख्यमंत्री तस्वीर पार्टी पदभार ग्रहण
1. अरुणाचल प्रदेश पेमा खांडू 80px|center भाजपा 17 जुलाई, 2016
2. असम हिमंता बिस्वा सरमा 80px|center भाजपा 10 मई, 2021
3. आंध्र प्रदेश वाई एस जगनमोहन रेड्डी 80px|center वाईएसआर कांग्रेस पार्टी 30 मई, 2019
4. उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ 80px|center भाजपा 19 मार्च, 2017
5. उत्तराखण्ड पुष्कर सिंह धामी 80px|center भाजपा 4 जुलाई, 2021
6. ओडिशा नवीन पटनायक 80px|center बीजू जनता दल 5 मार्च, 2000
7. कर्नाटक सिद्धारमैया 80px|center भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 20 मई, 2023
8. केरल पिनाराई विजयन 80px|center मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी 25 मई, 2016
9. गुजरात भूपेन्द्र पटेल 80px|center भाजपा 12 सितम्बर, 2021
10. गोवा प्रमोद सावंत 80px|center भाजपा 19 मार्च, 2019
11. छत्तीसगढ़ विष्णु देव साय 80px|center भारतीय जनता पार्टी 13 दिसम्बर, 2023
12. जम्मू-कश्मीर रिक्त (राज्यपाल शासन) लागू नहीं 20 जून, 2018
13. झारखण्ड हेमन्त सोरेन 80px|center झारखंड मुक्ति मोर्चा 29 दिसम्बर, 2019
14. तमिल नाडु एम. के. स्टालिन 80px|center द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम 7 मई, 2021
15. त्रिपुरा माणिक साहा 80px|center भाजपा 15 मई, 2022
16. तेलंगाना अनुमुला रेवंत रेड्डी 80px|center भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस 7 दिसंबर, 2023
17. दिल्ली अरविन्द केजरीवाल 80px|center आप 14 फ़रवरी, 2015
18. नागालैण्ड नेफियू रियो 80px|center एनडीपीपी 8 मार्च, 2018
19. पंजाब भगवंत मान 80px|center आम आदमी पार्टी 16 मार्च, 2022
20. पश्चिम बंगाल ममता बनर्जी 80px|center तृणमूल कांग्रेस 20 मई, 2011
21. पुदुचेरी एन. रंगास्वामी 80px|center कांग्रेस 7 मई, 2021
22. बिहार नितीश कुमार 80px|center जदयू 27 जुलाई, 2017
23. मणिपुर एन. बीरेन सिंह 80px|center भाजपा 15 मार्च, 2017
24. मध्य प्रदेश मोहन यादव 80px|center भाजपा 13 दिसंबर, 2023
25. महाराष्ट्र एकनाथ शिंदे 80px|center शिव सेना 30 जून, 2022
26. मिज़ोरम लालदुहोमा 80px|center जोरम पीपल्स मूवमेंट 8 दिसम्बर, 2023
27. मेघालय कॉनराड संगमा 80px|center एनपीपी 6 मार्च, 2018
28. राजस्थान भजन लाल शर्मा 80px|center भारतीय जनता पार्टी 15 दिसम्बर, 2023
29. सिक्किम प्रेम सिंह तमांग 80px|center सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा 27 मई, 2019
30. हरियाणा नायब सिंह सैनी 80px|center भाजपा 12 मार्च, 2024
31. हिमाचल प्रदेश सुखविंदर सिंह सुक्खू 80px|center भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 11 दिसम्बर, 2022