एकनाथ शिंदे
एकनाथ शिंदे
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पूरा नाम | एकनाथ सम्भाजी शिंदे |
जन्म | 9 फ़रवरी, 1964 |
जन्म भूमि | मुंबई, महाराष्ट्र |
अभिभावक | पिता- संभाजी नवलू शिंदे माता- गंगुबाई शिंदे |
पति/पत्नी | लता शिंदे |
संतान | दीपेश और शुभदा (दिवंगत), श्रीकांत शिंदे |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | राजनीतिज्ञ |
पार्टी | अखिल भारतीय शिवसेना – राष्ट्रवादी |
पद | मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र- 30 जून, 2022 से पदस्थ केबिनेट मंत्री, महाराष्ट्र सरकार- 28 नवम्बर, 2019 से 27 जून, 2022 |
शिक्षा | कला स्नातक |
विद्यालय | यशवंतराव चाव्हाण मुक्त विश्वविद्यालय, महाराष्ट्र |
संबंधित लेख | मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री |
पूर्वाधिकारी | उद्धव ठाकरे |
अन्य जानकारी | ठाणे शहर के लिए क्लस्टर डेवलपमेंट और ठाणे मेट्रो नाम की परियोजनाओं को एकनाथ शिंदे के नेतृत्व और सहायता के तहत मंजूरी दी गई थी। वह अक्सर उन लाखों निवासियों के पुनर्वास से संबंधित मुद्दों की वकालत करते हैं, जिन्हें ठाणे से अवैध निर्माण के कारण घरों से निकाल दिया गया था। |
बाहरी कड़ियाँ | 13:26, 24 जुलाई 2022 (IST)
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एकनाथ सम्भाजी शिंदे (अंग्रेज़ी: Eknath Sambhaji Shinde, जन्म- 9 फ़रवरी, 1964) भारत के राजनीतिज्ञ और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं। वह पहले महाराष्ट्र सरकार में शहरी विकास और लोक निर्माण (सार्वजनिक उपक्रम) के कैबिनेट मंत्री थे। एकनाथ शिंदे ठाणे के कोपरी-पाचपाखाड़ी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से विधान सभा के सदस्य हैं। वह महाराष्ट्र विधान सभा में लगातार चार बार (2004, 2009, 2014 और 2019) निर्वाचित हुए हैं। महाराष्ट्र की राजनीति में लंबी खींचतान के बाद एकनाथ शिंदे राज्य के नए मुख्यमंत्री बनने में सफल हुए, क्योंकि उन्हें 40 से भी अधिक विधायकों का समर्थन प्राप्त था। वहीं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट में शामिल होने से मना कर दिया था, क्योंकि उनके पास पर्याप्त विधायकों का समर्थन नहीं था। इस प्रकार एकनाथ शिंदे 30 जून, 2022 से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए।
परिचय
महाराष्ट्र की राजनीति में चर्चा का केंद्र बिंदु बनने वाले एकनाथ शिंदे का जन्म साल 1964 में मुंबई में 9 फ़रवरी के दिन हुआ। उनके पिता का नाम संभाजी नवलू शिंदे और माता का नाम गंगुबाई शिंदे है। एकनाथ शिंदे का विवाह लता शिंदे से हुआ है। इन्हें संतान के तौर पर एक बेटा है जिसका नाम श्रीकांत शिंदे है। जब एकनाथ शिंदे पैदा हुए, तब इनके परिवार में काफी गरीबी थी और 16 साल की उम्र में अपने परिवार को आर्थिक तौर पर सहायता देने के लिए इन्होंने ऑटो रिक्शा चलाना प्रारंभ किया और काफी लंबे समय तक ऑटो रिक्शा चलाई। इसके साथ ही साथ यह पैसे कमाने के लिए शराब बनाने वाली एक फैक्ट्री में भी काम करने लगे।[1]
कहा जाता है कि साल 1980 के आसपास बाला साहब ठाकरे के भाषण और उनके विचारों से प्रभावित होकर एकनाथ शिंदे ने शिव सेना जॉइन कर ली। यह वह समय था जब शिव सेना ही एकमात्र में ऐसी पार्टी थी, जो कट्टर हिंदुत्व के मुद्दे के लिए जानी जाती थी। यहां तक कि कट्टर हिंदुत्ववादी नेताओं की अधिक संख्या भाजपा से ज्यादा शिव सेना में थी। साल 2004 में एकनाथ शिंदे को पहली बार विधायक बनने का मौका मिला और बाल ठाकरे की मृत्यु हो जाने के पश्चात यह तेजी के साथ कट्टर हिंदूवादी नेता के तौर पर महाराष्ट्र में उभर कर आए।
पुत्र व पुत्री की मृत्यु
साल 2000 में 2 जून का दिन एकनाथ शिंदे के लिए काफी दु:ख भरा रहा। दरअसल इसी दिन वह महाराष्ट्र के सतारा जिले में अपने 11 साल के बेटे दीपेश और 7 साल की बेटी शुभदा के साथ घूमने के लिए गए थे और बोटिंग करने के दरमियान एक भयानक एक्सीडेंट हुआ। इसी एक्सीडेंट में इनके बेटे और बेटी पानी में डूब गए। इस प्रकार साल 2000 का समय इनके लिए काफी दु:ख पूर्ण रहा। हालांकि अब इनके पास एक बेटा मौजूद है।
राजनीतिक शुरुआत
एकनाथ शिंदे के माता-पिता द्वारा ठाणे शहर में मौजूद न्यू इंग्लिश हाई स्कूल में इनका एडमिशन करवाया गया। यहां से इन्होंने अपनी एजुकेशन थोड़े समय तक पूरी की। हालांकि यह अपनी प्रारंभिक एजुकेशन पूरी नहीं कर पाए और इन्होंने बीच में से ही अपनी प्रारंभिक पढ़ाई को छोड़ दिया और फिर अपने परिवार की आर्थिक सहायता करने के लिए ऑटो रिक्शा चलाने का काम करने लगे। इस समय इनकी उम्र 16 साल थी। साल 1980 के दशक के आसपास एकनाथ शिंदे की मुलाकात बाल ठाकरे और शिव सेना पार्टी के ठाणे के जिला प्रमुख आनंद दिघे से हुई और इस प्रकार इन्होंने शिव सेना पार्टी को ज्वाइन कर लिया। भाजपा और शिव सेना के गठबंधन वाली साल 2014 की सरकार बनने के पश्चात इन्हें मंत्री पद प्राप्त हुआ और उसके बाद उन्होंने फिर से एजुकेशन हासिल करने के उद्देश्य से वसंतराव चव्हाण मुक्त यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया और यहां से मराठी और राजनीति विषय में कला स्नातक की डिग्री हासिल की।[1]
गुरु की विरासत
साल 2001 में 26 अगस्त के दिन एक एक्सीडेंट में शिंदे के राजनीतिक गुरु आनंद की मृत्यु हो गई। हालांकि कुछ लोगों का ऐसा भी कहना है कि आनंद दिघे की मृत्यु नहीं हुई थी बल्कि राजनीतिक कारणों से उनकी हत्या करवाई गई थी। आनंद की मौत हो जाने के पश्चात ठाड़े के इलाके में शिव सेना का वर्चस्व कम होने लगा था और इस प्रकार पार्टी ने थाने इलाके में शिव सेना के वर्चस्व को बनाए रखने के लिए वहां की कमान एकनाथ शिंदे को दी। इस प्रकार एकनाथ शिंदे ने अपनी काबिलियत के दम पर थाणे इलाके में पार्टी का परचम लहराया।
कॅरियर
एकनाथ शिंदे को पहली बार पार्षद बनने का मौका साल 1997 में मिला। पहली बार यह ठाणे नगर निगम से पार्षद बने थे। सदन के नेता के पद के लिए ठाणे नगर निगम में इन्हें साल 2001 में चुना गया। ठाणे नगर निगम के पद पर वर्ष 2002 में इन्हें एक बार फिर से विजय हासिल हुई। महाराष्ट्र विधानसभा के लिए साल 2004 में एकनाथ शिंदे चुने गए।
शिवसेना पार्टी के द्वारा साल 2005 में ठाणे जिला प्रमुख के पद पर इन्हें नियुक्ति दी गई। साल 2009 में एक बार फिर से एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चुना गया। एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र विधानसभा के लिए साल 2014 में एक बार फिर से चुना गया। साल 2014 के अक्टूबर के महीने से लेकर के साल 2014 के दिसंबर के महीने तक एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र विधानसभा के विपक्ष के नेता बने रहे। साल 2014 से लेकर के साल 2019 तक एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र गवर्नमेंट में कैबिनेट मंत्री बने रहे। साल 2014 से लेकर साल 2019 तक वह ठाणे जिला के संरक्षण मंत्री भी बने रहे।[1]
शिवसेना पार्टी का नेता इन्हें साल 2018 में नियुक्त किया गया। महाराष्ट्र स्टेट गवर्नमेंट में लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री इन्हें साल 2019 में बनाया गया। साल 2019 में इन्हें महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चौथी बार चुना गया। शिवसेना के विधायक दल के नेता के तौर पर इन्हें साल 2019 में चुना गया। साल 2019 में 28 नवंबर के दिन इन्होंने महाविकास आघाडी के अंतर्गत कैबिनेट मिनिस्टर के तौर पर पद ग्रहण किया। एकनाथ शिंदे को साल 2019 में शहरी विकास और लोक निर्माण मंत्री बनने का मौका प्राप्त हुआ। साल 2019 में वह गृह मामलों के मिनिस्टर बने और साल 2020 में इन्हें ठाणे जिला का संरक्षक मंत्री बनाया गया।
महाराष्ट्र पद
एकनाथ शिंदे महाविकास अघाड़ी को तोड़ने और भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन को फिर से स्थापित करने के पक्ष में थे। उन्होंने वैचारिक मतभेदों और कांग्रेस और भारतीय राष्ट्रवादी कांग्रेस द्वारा अनुचित व्यवहार के कारण उद्धव ठाकरे से महाविकास अघाड़ी गठबंधन को तोड़ने का अनुरोध किया। उनके साथी शिव सेना सदस्यों ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने उनकी शिकायतों की अनदेखी की। उन्होंने अपने अनुरोध का समर्थन करने के लिए अपनी पार्टी से 2/3 सदस्यों को इकट्ठा किया। यह संकट 21 जून 2022 को शुरू हुआ, जब शिंदे और कई अन्य विधायक महाविकास अघाड़ी गठबंधन भाजपा शासित गुजरात में सूरत में चला गया, जिससे गठबंधन को अराजकता में फेंक दिया गया।[2]
एकनाथ शिंदे के विद्रोह के परिणामस्वरूप उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और कहा कि वह महाराष्ट्र विधान परिषद से भी इस्तीफा दे देंगे। शिंदे ने सफलतापूर्वक भाजपा-शिव सेना गठबंधन को फिर से स्थापित किया और 30 जून, 2022 को महाराष्ट्र के 20वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। जिसमें भारतीय जनता पार्टी के देवेन्द्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने।
रोचक तथ्य
- एकनाथ शिंदे भारतीय राजनेता और व्यवसायी हैं। शिव सेना के कद्दावर नेता आनंद दीघे से प्रभावित होकर उन्होंने बाल ठाकरे की उपस्थिति में शिव सेना पार्टी को ज्वॉइन किया था।
- शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के जीवन में एक ऐसा भी समय आया था। जब उनके ही समने उनके एक पुत्र और एक पुत्री का नाव डूबने से मृत्यु हो गई थी। शिंदे उस समय पूरी तरह से टूट गए थे और राजनीतिक समेत सबकुछ छोड़ने का फैसला लिया था।[3]
- एकनाथ शिंदे अपने परिवार के साथ ‘शुभदीप’ नामक एक बंगले में रहते हैं, जिसका नाम उनके दिवंगत बच्चों दीपेश और शुभदा के नाम पर रखा गया है। अब उनके परिवार में पत्नी लता शिंदे, बेटा श्रीकांत शिंदे, बहू वृषाली और पोता रुद्रांश हैं।
- शिव सेना में शामिल होने के बाद उन्हें वर्ष 1980 में किसान नगर के शाखा प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था।
- उन्होंने अपनी पार्टी द्वारा शुरू किए गए कई राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों में भाग लेना शुरू किया, जिसमें मुद्रास्फीति, कालाबाजारी, व्यापारियों द्वारा ताड़ के तेल जैसी आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी आदि शामिल हैं।
- वर्ष 1985 में उन्होंने महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा आंदोलन में भाग लिया जिसके बाद महाराष्ट्र पुलिस ने उन्हें महाराष्ट्र की बेल्लारी जेल में 40 दिनों से अधिक समय तक हिरासत में रखा।
- वर्ष 1996 में एमएसआरडीसी की स्थापना राज्य में सड़क विकास को बढ़ावा देने के लिए की गई थी। इस परियोजना के तहत मुंबई-पुणे एक्सप्रेस हाईवे और मुंबई बांद्रा-वर्ली सी लिंक का निर्माण किया जाना था। हालांकि, 1999 में कांग्रेस-एनसीपी के नेतृत्व वाली सरकार सत्ता में आई। लेकिन राजनीतिक कारणों से इस परियोजना को नजरअंदाज कर दिया। एकनाथ शिंदे ने विभाग का कार्यभार सँभालने के बाद एमएसआरडीसी को पुनर्जीवित करने की कसम खाई और अगले पांच वर्षों में उनके नेतृत्व में मुंबई-नागपुर एक्सप्रेसवे (समृद्धि हाईवे), मुंबई-पुणे एक्सप्रेस हाईवे क्षमता विस्तार सहित कई बड़ी परियोजनाएं वाशी में ठाणे खाड़ी पर तीसरा पुल, बांद्रा-वर्सोवा सी लिंक, छह लेन और सड़कों का कंक्रीटीकरण, विदर्भ में 27 रेलवे फ्लाई पूल, वर्सोवा-विरार सी-लिंक और गायमुख-फाउंटेन होटल-घोड़बंदर उन्नत मार्ग पूरे किए गए।
- एकनाथ शिंदे सत्ता में रहते हुए डेल्टा फोर्स के माध्यम से गश्त बढ़ाने का भी आदेश दिया। गति सीमा का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कई सीसीटीवी और स्पीड गन उपाय स्थापित किए गए ताकि दुर्घटनाओं की संख्या कम हो। कथित तौर पर वर्ष 2016 में सड़क दुर्घटनाओं के कारण 151 लोग हताहत हुए थे और 2018 में यह संख्या घटकर 110 हो गई थी। उन्होंने इस अनुपात को शून्य करने के लिए सेव लाइफ फाउंडेशन के सहयोग से ‘जीरो फिटनेस कॉरिडोर’ योजना लागू करने का निर्देश दिया। इसके आलावा उन्होंने ओजार्डे में ट्रॉमा केयर सेंटर खोलने की अनुमति दी।[3]
- वर्ष 1997 में उन्होंने एक कॉर्पोरेटर के रूप में ठाणे नगर निगम का चुनाव लड़ा और चुनाव जीत गए। जिसके बाद उन्होंने 2001 से 2004 तक टीएमसी में एक सदन के नेता के रूप में कार्य किया।
- वर्ष 2001 में शिव सेना के ठाणे जिला प्रमुख आनंद दिघे की आकस्मिक मृत्यु के बाद उन्हें ठाणे जिले में शिव सेना की तरफ से राजनीतिक मैदान में उतरा गया और शिंदे को ठाणे जिले के प्रमुख के रूप में भी नियुक्त किया गया। उनके नेतृत्व और मार्गदर्शन में शिव सेना ठाणे नगर निगम, कल्याण-डोंबिवली नगर निगम, उल्हासनगर नगर निगम, भिवंडी नगर निगम, अंबरनाथ नगर परिषद और बदलापुर नगर परिषद सत्ता में आई।
- एकनाथ शिंदे शिवसेना के कद्दावर नेता आनंद दीघे को अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं।
- एकनाथ शिंदे वर्ष 2014 में भाजपा के नेतृत्व वाली शिव सेना सरकार में मंत्री बनने के बाद, अपनी पढ़ाई फिर से शुरू की और वाशवंतराव चव्हाण मुक्त विश्वविद्यालय, महाराष्ट्र से मराठी और राजनीति में बीए किया।
- ठाणे शहर के लिए क्लस्टर डेवलपमेंट और ठाणे मेट्रो नाम की परियोजनाओं को एकनाथ शिंदे के नेतृत्व और सहायता के तहत मंजूरी दी गई थी। वह अक्सर उन लाखों निवासियों के पुनर्वास से संबंधित मुद्दों की वकालत करते हैं, जिन्हें ठाणे से अवैध निर्माण के कारण घरों से निकाल दिया गया था।
- दिसम्बर 2019 में शिव सेना ने महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार में एकनाथ शिंदे को लोक निर्माण मंत्री के अतिरिक्त स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। इसके आलावा उन्हें महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम के अध्यक्ष के रूप में अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई।
- 22 नवम्बर 2020 को एकनाथ शिंदे ने अपने बेटे श्रीकांत शिंदे और अपने चचेरे भाई महेश शिंदे के साथ मिलकर मध्य प्रदेश के महाकालेश्वर में आधुनिक तरीके से एक स्ट्रॉबेरी प्लांट की स्थापना की।[3]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 एकनाथ शिंदे का जीवन परिचय (हिंदी) deepawali.co.in। अभिगमन तिथि: 24 जुलाई, 2022।
- ↑ एकनाथ शिंदे का जीवन परिचय (हिंदी) gyanfast.com। अभिगमन तिथि: 24 जुलाई, 2022।
- ↑ 3.0 3.1 3.2 एकनाथ शिंदे जीवन परिचय (हिंदी) hindi.starsunfolded.com। अभिगमन तिथि: 24 जुलाई, 2022।
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