देवकी का बेटा -रांगेय राघव: Difference between revisions

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'''देवकी का बेटा''' [[हिन्दी]] के प्रसिद्धि प्राप्त साहित्यकार और उपन्यासकार [[रांगेय राघव]] द्वारा लिखा गया उपन्यास है। इस उपन्यास का प्रकाशन 'राजपाल एंड संस' ने किया था। अपने उपन्यास "देवकी का बेटा" में राघव जी ने जननायक [[श्रीकृष्ण]] का चरित्र ऐतिहासिक दृष्टि से प्रस्तुत किया है।
डॉ. रांगेय राघव जी ने 1950 ई. के पश्चात् कई जीवनी प्रधान उपन्यास लिखे हैं, इनका पहला उपन्यास सन् 1951-1953 ई. के बीच प्रकाशित हुआ। '[[भारती का सपूत -रांगेय राघव|भारती का सपूत]]' जो [[भारतेन्दु हरिश्चन्द्र]] के जीवनी पर आधारित है। तत्पश्चात् विद्यापति के जीवन पर 'लखिमा के आंखें', [[बिहारी]] के जीवन पर 'मेरी भव बाधा हरो', [[तुलसी]] के जीवन पर 'रत्ना की बात', [[कबीर]]- जीवन पर '[[लोई का ताना -रांगेय राघव|लोई का ताना]]' और 'धूनी का धुंआं' [[गोरखनाथ]] के जीवन पर कृति है। 'यशोधरा जीत गई है', [[गौतम बुद्ध]] पर लिखा गया है। 'देवकी का बेटा' [[कृष्ण]] के जीवन पर आधारित है।<ref>{{cite web |url=http://vangmaypatrika.blogspot.in/2010/12/blog-post_22.html |title=जीवनीपरक साहित्यकारों में डॉ. रांगेय राघव |accessmonthday=24 जनवरी |accessyear=2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिंदी }}</ref>
 
डॉ. रांगेय राघव जी ने 1950 ई. के पश्चात् कई जीवनी प्रधान उपन्यास लिखे हैं, इनका पहला उपन्यास सन् 1951-1953 ई. के बीच प्रकाशित हुआ। '[[भारती का सपूत -रांगेय राघव|भारती का सपूत]]' जो [[भारतेन्दु हरिश्चन्द्र]] के जीवनी पर आधारित है। तत्पश्चात् विद्यापति के जीवन पर 'लखिमा के आँखेंं', [[बिहारी]] के जीवन पर 'मेरी भव बाधा हरो', [[तुलसी]] के जीवन पर 'रत्ना की बात', [[कबीर]]- जीवन पर '[[लोई का ताना -रांगेय राघव|लोई का ताना]]' और 'धूनी का धुंआं' [[गोरखनाथ]] के जीवन पर कृति है। 'यशोधरा जीत गई है', [[गौतम बुद्ध]] पर लिखा गया है। 'देवकी का बेटा' [[कृष्ण]] के जीवन पर आधारित है।<ref>{{cite web |url=http://vangmaypatrika.blogspot.in/2010/12/blog-post_22.html |title=जीवनीपरक साहित्यकारों में डॉ. रांगेय राघव |accessmonthday=24 जनवरी |accessyear=2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिंदी }}</ref>


*रांगेय राघव ने विशिष्ट काव्य कलाकारों और महापुरुषों के जीवन पर आधारित उपन्यासों की एक माला लिखकर [[साहित्य]] की एक बड़ी आवश्यकता को पूर्ण किया है।
*रांगेय राघव ने विशिष्ट काव्य कलाकारों और महापुरुषों के जीवन पर आधारित उपन्यासों की एक माला लिखकर [[साहित्य]] की एक बड़ी आवश्यकता को पूर्ण किया है।
*इस उपन्यास में भगवान श्रीकृष्ण के जीवन के साथ संबद्ध अनेकानेक अलौकिक घटनाओं को लेखक ने वैज्ञानिक कसौटी पर रखकर उन सबका संगत अर्थ दिया है।
*इस उपन्यास में भगवान श्रीकृष्ण के जीवन के साथ संबद्ध अनेकानेक अलौकिक घटनाओं को लेखक ने वैज्ञानिक कसौटी पर रखकर उन सबका संगत अर्थ दिया है।
*लेखक ने उपन्यास में कृष्ण को एक महान पुरूषार्थी, त्यागी, कर्मठ और जीवन को एक विशिष्ट मोड़ देने वाले एक सामान्य मनुष्य के रूप में चित्रित किया है।
*लेखक ने उपन्यास में कृष्ण को एक महान् पुरुषार्थी, त्यागी, कर्मठ और जीवन को एक विशिष्ट मोड़ देने वाले एक सामान्य मनुष्य के रूप में चित्रित किया है।
*'देवकी का बेटा' में समय के धुंधलके और कुहासे से ढके एक महान ऐतिहासिक पुरूष के चरित्र को बहुत ही स्पष्ट, यथार्थसंगत और प्रामाणिक रूप में चित्रित किया गया है।
*'देवकी का बेटा' में समय के धुंधलके और कुहासे से ढके एक महान् ऐतिहासिक पुरुष के चरित्र को बहुत ही स्पष्ट, यथार्थसंगत और प्रामाणिक रूप में चित्रित किया गया है।<ref>{{cite web |url=http://pustak.org/home.php?bookid=1408 |title=देवकी का बेटा|accessmonthday=24 जनवरी|accessyear=2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>


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Latest revision as of 05:45, 4 February 2021

देवकी का बेटा -रांगेय राघव
लेखक रांगेय राघव
प्रकाशक राजपाल एंड संस
ISBN 81-7028-383-3
देश भारत
पृष्ठ: 130
भाषा हिन्दी
प्रकार उपन्यास

देवकी का बेटा हिन्दी के प्रसिद्धि प्राप्त साहित्यकार और उपन्यासकार रांगेय राघव द्वारा लिखा गया उपन्यास है। इस उपन्यास का प्रकाशन 'राजपाल एंड संस' ने किया था। अपने उपन्यास "देवकी का बेटा" में राघव जी ने जननायक श्रीकृष्ण का चरित्र ऐतिहासिक दृष्टि से प्रस्तुत किया है।

डॉ. रांगेय राघव जी ने 1950 ई. के पश्चात् कई जीवनी प्रधान उपन्यास लिखे हैं, इनका पहला उपन्यास सन् 1951-1953 ई. के बीच प्रकाशित हुआ। 'भारती का सपूत' जो भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के जीवनी पर आधारित है। तत्पश्चात् विद्यापति के जीवन पर 'लखिमा के आँखेंं', बिहारी के जीवन पर 'मेरी भव बाधा हरो', तुलसी के जीवन पर 'रत्ना की बात', कबीर- जीवन पर 'लोई का ताना' और 'धूनी का धुंआं' गोरखनाथ के जीवन पर कृति है। 'यशोधरा जीत गई है', गौतम बुद्ध पर लिखा गया है। 'देवकी का बेटा' कृष्ण के जीवन पर आधारित है।[1]

  • रांगेय राघव ने विशिष्ट काव्य कलाकारों और महापुरुषों के जीवन पर आधारित उपन्यासों की एक माला लिखकर साहित्य की एक बड़ी आवश्यकता को पूर्ण किया है।
  • इस उपन्यास में भगवान श्रीकृष्ण के जीवन के साथ संबद्ध अनेकानेक अलौकिक घटनाओं को लेखक ने वैज्ञानिक कसौटी पर रखकर उन सबका संगत अर्थ दिया है।
  • लेखक ने उपन्यास में कृष्ण को एक महान् पुरुषार्थी, त्यागी, कर्मठ और जीवन को एक विशिष्ट मोड़ देने वाले एक सामान्य मनुष्य के रूप में चित्रित किया है।
  • 'देवकी का बेटा' में समय के धुंधलके और कुहासे से ढके एक महान् ऐतिहासिक पुरुष के चरित्र को बहुत ही स्पष्ट, यथार्थसंगत और प्रामाणिक रूप में चित्रित किया गया है।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. जीवनीपरक साहित्यकारों में डॉ. रांगेय राघव (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 24 जनवरी, 2013।
  2. देवकी का बेटा (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 24 जनवरी, 2013।

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