कोटेश्वर महादेव मंदिर, मध्य प्रदेश: Difference between revisions

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यहाँ आने वाले श्रद्घालु कुंडों में [[स्नान]] करते हैं व [[महादेव]] के दर्शन-पूजन कर धन्य हो जाते हैं। [[कार्तिक पूर्णिमा]] को यहाँ स्नान करने वालों का ताँता लगा रहता है। महिलाएँ अपने मनोरथ की पूर्ति के लिए लताओं के पत्तों पर आटे के [[दीपक]] प्रज्वलित कर कुंडों में प्रवाहित करती हैं।
==किंवदंती==
==किंवदंती==
ऐसा माना जाता है कि यहाँ संत सुकाल भारती ने समाधि ली थी। सुकाल भारती प्रति रात्रि [[गंगा नदी]] में स्नान के लिए जाते थे। वृद्धावस्था में उनकी प्रार्थना पर माँ भागीरथी अपनी छः सहेलियों के साथ उनके पीछे सात सिंदूरी रेखाओं के साथ चलीं आईं। इस प्रकार यह तीर्थ गंगा सहित सात सरिताओं के संयोग से बना है।
ऐसा माना जाता है कि यहाँ संत सुकाल भारती ने समाधि ली थी। सुकाल भारती प्रति रात्रि [[गंगा नदी]] में स्नान के लिए जाते थे। वृद्धावस्था में उनकी प्रार्थना पर माँ भागीरथी अपनी छह सहेलियों के साथ उनके पीछे सात सिंदूरी रेखाओं के साथ चलीं आईं। इस प्रकार यह तीर्थ गंगा सहित सात सरिताओं के संयोग से बना है।
====अखण्ड कीर्तन====
====अखण्ड कीर्तन====
कोटेश्वर महादेव मंदिर में पिछले आठ वर्षों से रामधुन का अखण्ड कीर्तन चल रहा है। इसमें 31 गाँवो के श्रद्धालु बारी-बारी से 24 घंटे की अवधि के लिए कीर्तन करते हैं। कार्यक्रम संचालन समिति द्वारा यहाँ धर्मशाला, भोजनशाला, कीर्तन भवन आदि का निर्माण करवाया गया है।<ref name="aa"/>
कोटेश्वर महादेव मंदिर में पिछले आठ वर्षों से रामधुन का अखण्ड कीर्तन चल रहा है। इसमें 31 गाँवो के श्रद्धालु बारी-बारी से 24 घंटे की अवधि के लिए कीर्तन करते हैं। कार्यक्रम संचालन समिति द्वारा यहाँ धर्मशाला, भोजनशाला, कीर्तन भवन आदि का निर्माण करवाया गया है।<ref name="aa"/>

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चित्र:Disamb2.jpg कोटेश्वर एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- कोटेश्वर (बहुविकल्पी)

कोटेश्वर महादेव मंदिर मध्य प्रदेश का प्रसिद्ध धार्मिक दर्शनीय स्थल है। यह प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। यहाँ एक गुफ़ा में पश्चिम मुखी शिवलिंग है। यह तीर्थ स्थान गंगा सहित सात सरिताओं के संयोग से बना है। कोटेश्वर महादेव मंदिर में आठ वर्षों से लगातार रामधुन का अखण्ड कीर्तन चल रहा है। यहाँ मेले का आयोजन भी किया जाता है। यहाँ लगने वाला मेला केले एवं सिंघाड़े की बिक्री के लिए प्रसिद्ध है।

स्थिति

प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर कोटेश्वर महादेव मंदिर महू-नीमच मार्ग पर कानवन फाटे से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर पश्चिम में ग्राम 'कोद' (धार) के निकट पहाड़ियों के मध्य स्थित अत्यंत मनोरम स्थल है। यहाँ एक गुफ़ा में शिवलिंग स्थित है। इसकी विशेषता यह है कि यह पश्चिम मुखी है। यहाँ झरने के रूप में प्रवाहित जलधाराएँ महादेवजी का प्राकृतिक अभिषेक करतीं कुंडों में समा जाती हैं।[1]

पूजा अर्चना

यहाँ आने वाले श्रद्घालु कुंडों में स्नान करते हैं व महादेव के दर्शन-पूजन कर धन्य हो जाते हैं। कार्तिक पूर्णिमा को यहाँ स्नान करने वालों का ताँता लगा रहता है। महिलाएँ अपने मनोरथ की पूर्ति के लिए लताओं के पत्तों पर आटे के दीपक प्रज्वलित कर कुंडों में प्रवाहित करती हैं।

किंवदंती

ऐसा माना जाता है कि यहाँ संत सुकाल भारती ने समाधि ली थी। सुकाल भारती प्रति रात्रि गंगा नदी में स्नान के लिए जाते थे। वृद्धावस्था में उनकी प्रार्थना पर माँ भागीरथी अपनी छह सहेलियों के साथ उनके पीछे सात सिंदूरी रेखाओं के साथ चलीं आईं। इस प्रकार यह तीर्थ गंगा सहित सात सरिताओं के संयोग से बना है।

अखण्ड कीर्तन

कोटेश्वर महादेव मंदिर में पिछले आठ वर्षों से रामधुन का अखण्ड कीर्तन चल रहा है। इसमें 31 गाँवो के श्रद्धालु बारी-बारी से 24 घंटे की अवधि के लिए कीर्तन करते हैं। कार्यक्रम संचालन समिति द्वारा यहाँ धर्मशाला, भोजनशाला, कीर्तन भवन आदि का निर्माण करवाया गया है।[1]

मेला आयोजन

यहाँ कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर पाँच दिवसीय मेले का आयोजन जनपद पंचायत द्वारा किया जाता है। केले एवं सिंघाड़े की ब्रिकी के लिए यह मेला प्रसिद्ध है। इसमें बड़ी संख्या में कोद सहित आसपास के क्षेत्र के श्रद्धालु भाग लेते हैं। मेले में मनोरंजन के साधन, दैनिक उपयोग की वस्तुएँ, खिलौने, रेडिमेड वस्त्र, बर्तन की दुकानें आदि आकर्षण के केंद्र होते हैं। मंदिर पुरातत्त्व विभाग द्वारा संरक्षित है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 कोटेश्वर महादेव मंदिर (हिन्दी) वेबदुनिया। अभिगमन तिथि: 01 अगस्त, 2014।

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