चंदन: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('*सैंटेलम वंश (कुल सैंटेलेसी) का एक अर्द्ध परजीवी पौधा...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
(13 intermediate revisions by 6 users not shown)
Line 1: Line 1:
*सैंटेलम वंश (कुल सैंटेलेसी) का एक अर्द्ध परजीवी पौधा,विशेष रूप से असली या [[सफ़ेद रंग|सफ़ेद]] चंदन सैंटेलम एल्बम की खुशबुदार लकड़ी है।
{{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=चंदन|लेख का नाम=चंदन (बहुविकल्पी)}}
[[चित्र:Sandalwood.jpg|thumb|250px|चंदन]]
*सैंटेलम वंश (कुल सैंटेलेसी) का एक अर्द्ध परजीवी पौधा,विशेष रूप से असली या [[सफ़ेद रंग|सफ़ेद]] चंदन सैंटेलम एल्बम की खुशबूदार लकड़ी है।
*सैंटेलम की क़रीब दस प्रजातियां दक्षिण-पूर्वी [[एशिया]] और दक्षिणी प्रशांत के द्वीपों में फैली हुई हैं।   
*सैंटेलम की क़रीब दस प्रजातियां दक्षिण-पूर्वी [[एशिया]] और दक्षिणी प्रशांत के द्वीपों में फैली हुई हैं।   
*यहाँ कई अन्य लकड़ियों का असली चंदन के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।   
*यहाँ कई अन्य लकड़ियों का असली चंदन के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।   
*[[लाल रंग|लाल]] चंदन मटर कुल (फ़ेबेसी) के दक्षिण-पूर्वी एशियाई पेड़ टेरोकार्पस सैंटेलिनस की लाल रंग की लकड़ी से निकाला जाता है।
*[[लाल रंग|लाल]] चंदन मटर कुल (फ़ेबेसी) के दक्षिण-पूर्वी एशियाई पेड़ टेरोकार्पस सैंटेलिनस की लाल रंग की लकड़ी से निकाला जाता है।
*यह प्रजाति किंग सॉलोमन के मंदिर में इस्तेमाल किए गए चंदन का स्रोत रही होगी।  
*यह प्रजाति किंग सॉलोमन के मंदिर में इस्तेमाल किए गए चंदन का स्रोत रही होगी।  
एक असली चंदन का पेड़ लगभग 10 मीटर की ऊँचाई तक बढ़ता है; इसकी चर्मिल पत्तियां जड़े में व शाखा पर एक-दूसरे की विपरीत दिशा में होती है।  
*एक असली चंदन का पेड़ लगभग 10 मीटर की ऊँचाई तक बढ़ता है; इसकी चर्मिल पत्तियां जड़ में व शाखा पर एक-दूसरे की विपरीत दिशा में होती है।  
*यह अन्य पेड़ों की प्रजातियों की जड़ों पर आंशिक रूप से परजीवी होता है।  
*यह अन्य पेड़ों की प्रजातियों की जड़ों पर आंशिक रूप से परजीवी होता है।  
*पेड़ और जड़ में [[पीला रंग|पीले रंग]] का सुगंधित [[तेल]] होता है, जिसे चंदन का तेल कहते है, जिसकी गंध सफ़ेद रसदारू से बनाए गए नक्काशीदार बक्सों, फ़र्नीचर तथा पंखों जैसी यह वस्तुओं में सालों तक बनी रहती है।  
*पेड़ और जड़ में [[पीला रंग|पीले रंग]] का सुगंधित [[तेल]] होता है, जिसे 'चंदन का तेल' कहते हैं, जिसकी गंध सफ़ेद रसदारू से बनाए गए नक़्क़ाशीदार बक्सों, फ़र्नीचर तथा पंखों जैसी यह वस्तुओं में सालों तक बनी रहती है।  
*यह तेल लकड़ी के वाष्प आसवन से प्राप्त किया जाता है और इत्र, साबुन, मोमबत्ती, धूप-अगरबत्ती और परंपरागत औषधियों में इस्तेमाल होता है।  
*यह तेल लकड़ी के 'वाष्प आसवन' से प्राप्त किया जाता है और इत्र, साबुन, मोमबत्ती, धूप-अगरबत्ती और परंपरागत औषधियों में इस्तेमाल होता है।  
*पिसे चंदन की लेई का उपयोग [[ब्राह्मण]] तिलक लगाने के लिए और छोटी-छोटी थैलियों में भरकर कपड़ों को सुगंधित करने के लिए करते हैं।
*पिसे चंदन की लेई का उपयोग [[ब्राह्मण]] तिलक लगाने के लिए और छोटी-छोटी थैलियों में भरकर कपड़ों को सुगंधित करने के लिए करते हैं।
*चंदन के पेड़ों को प्राचीन काल से उनके पीले रंग के अंत:काष्ठ के लिए उगाया जाता रहा है, जो पूर्व के दाह संस्कारों और धार्मिक कर्मकांडों में मुख्य भूमिका निभाता है।
*चंदन के पेड़ों को प्राचीन काल से उनके पीले रंग के अंत:काष्ठ के लिए उगाया जाता रहा है, जो पूर्व के दाह संस्कारों और धार्मिक कर्मकांडों में मुख्य भूमिका निभाता था।
*यह पेड़ बहुत धीमी गति से बढ़ता है, इसके अंत:काष्ठ के आर्थिक रूप से उपयोगी मोटाई तक पहुचंने के लिए सामान्यत: तक़रीबन तीस साल का समय लगता है।
*यह पेड़ बहुत धीमी गति से बढ़ता है, इसके अंत:काष्ठ के आर्थिक रूप से उपयोगी मोटाई तक पहुचंने के लिए सामान्यत: तक़रीबन तीस साल का समय लगता है।
 
 
Line 21: Line 23:
|शोध=
|शोध=
}}
}}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
[[Category:नया पन्ना]]
==संबंधित लेख==
{{वृक्ष}}
__INDEX__
__INDEX__
[[Category:संस्कृति कोश]]
[[Category:वनस्पति]]
[[Category:वनस्पति कोश]]
[[Category:वृक्ष]]
[[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]]

Latest revision as of 12:14, 21 March 2014

चित्र:Disamb2.jpg चंदन एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- चंदन (बहुविकल्पी)

thumb|250px|चंदन

  • सैंटेलम वंश (कुल सैंटेलेसी) का एक अर्द्ध परजीवी पौधा,विशेष रूप से असली या सफ़ेद चंदन सैंटेलम एल्बम की खुशबूदार लकड़ी है।
  • सैंटेलम की क़रीब दस प्रजातियां दक्षिण-पूर्वी एशिया और दक्षिणी प्रशांत के द्वीपों में फैली हुई हैं।
  • यहाँ कई अन्य लकड़ियों का असली चंदन के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
  • लाल चंदन मटर कुल (फ़ेबेसी) के दक्षिण-पूर्वी एशियाई पेड़ टेरोकार्पस सैंटेलिनस की लाल रंग की लकड़ी से निकाला जाता है।
  • यह प्रजाति किंग सॉलोमन के मंदिर में इस्तेमाल किए गए चंदन का स्रोत रही होगी।
  • एक असली चंदन का पेड़ लगभग 10 मीटर की ऊँचाई तक बढ़ता है; इसकी चर्मिल पत्तियां जड़ में व शाखा पर एक-दूसरे की विपरीत दिशा में होती है।
  • यह अन्य पेड़ों की प्रजातियों की जड़ों पर आंशिक रूप से परजीवी होता है।
  • पेड़ और जड़ में पीले रंग का सुगंधित तेल होता है, जिसे 'चंदन का तेल' कहते हैं, जिसकी गंध सफ़ेद रसदारू से बनाए गए नक़्क़ाशीदार बक्सों, फ़र्नीचर तथा पंखों जैसी यह वस्तुओं में सालों तक बनी रहती है।
  • यह तेल लकड़ी के 'वाष्प आसवन' से प्राप्त किया जाता है और इत्र, साबुन, मोमबत्ती, धूप-अगरबत्ती और परंपरागत औषधियों में इस्तेमाल होता है।
  • पिसे चंदन की लेई का उपयोग ब्राह्मण तिलक लगाने के लिए और छोटी-छोटी थैलियों में भरकर कपड़ों को सुगंधित करने के लिए करते हैं।
  • चंदन के पेड़ों को प्राचीन काल से उनके पीले रंग के अंत:काष्ठ के लिए उगाया जाता रहा है, जो पूर्व के दाह संस्कारों और धार्मिक कर्मकांडों में मुख्य भूमिका निभाता था।
  • यह पेड़ बहुत धीमी गति से बढ़ता है, इसके अंत:काष्ठ के आर्थिक रूप से उपयोगी मोटाई तक पहुचंने के लिए सामान्यत: तक़रीबन तीस साल का समय लगता है।

 


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख