बिन कौड़ी का गुलाम: Difference between revisions
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Latest revision as of 12:48, 21 April 2018
बिन कौड़ी का गुलाम एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।
अर्थ- ऐसा सेवक जिसे कुछ भी पारिश्रमिक न देना पड़ता हो।
प्रयोग- बाद में मुहल्ले वालों के कहने सुनने पर लाला बैजू ने अनाथ विधवा ब्राह्मणी को अपनी कोठी में ही एक कोठरी दे दी और उस कोठरी में एवज में उन्हे अपना बिना कौड़ी का गुलाम बना लिया। (अमृतलाल नागर)