चम्पावत: Difference between revisions

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चित्र:Devidhura6.JPG|बग्वाल (पत्थर मार युद्ध) का स्थल
चित्र:Devidhura6.JPG|बग्वाल (पत्थर मार युद्ध) का स्थल
चित्र:Devidhura7.JPG|भीम शिला
चित्र:Devidhura7.JPG|भीम शिला
चित्र:Mayawati.JPG|[[मायावती अद्वैत आश्रम]]
चित्र:Moumtavot.JPG|विवेकानन्द का आश्रय स्थल
चित्र:Mount.JPG|[[एवटमाउन्ट]] की छटा
चित्र:Vanasur.JPG|वाणासुर किले  का विहंगम दृश्य
चित्र:Vanasur_1.JPG|वाणासुर किले  का प्रवेश द्वार
चित्र:Pancheshwer.jpg|घने देवदारों के बीच [[पंचेश्वर महादेव मंदिर]] 
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Revision as of 11:24, 20 September 2012

चम्पावत
विवरण प्रकृति की गोद में बसा उत्तराखण्ड का यह छोटा-सा नगर स्वयं में बड़ा इतिहास समेटे है।
राज्य उत्तराखण्ड
ज़िला चम्पावत ज़िला
मार्ग स्थिति यह शहर सड़कमार्ग द्वारा टनकपुर लगभग 75 कि.मी. दूरी पर स्थित है।
प्रसिद्धि देवीधुरा मेला, बग्वाल, एवटमाउन्ट, ‎पूर्णागिरि मेला
कैसे पहुँचें किसी भी शहर से बस और टैक्सी द्वारा पहुँचा जा सकता है।
हवाई अड्डा पन्तनगर, नैनी सैनी हवाई अड्डा, पिथौरागढ़
रेलवे स्टेशन टनकपुर रेलवे स्टेशन
क्या देखें उत्तराखण्ड पर्यटन
क्या ख़रीदें गहत स्थानीय दाल,
एस.टी.डी. कोड 0176
सावधानी बरसात में भूस्खलन
चित्र:Map-icon.gif गूगल मानचित्र, हवाई अड्डा
अन्य जानकारी चम्पावत में आप बग्वाल का भी आनन्द ले सकते हैं।

चम्पावत टनकपुर से 75 किमी की दूरी पर राष्ट्रीय राजमार्ग कि किनारे उत्तराखण्ड राज्य के चम्पावत ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय है। यह स्थल ऐतिहासिक होने के साथ साथ अत्यंत मनोहारी एवं नैसर्गिक छटासे परिपूर्ण है स्रथल के नजदी मानेश्वर की चोटी से भव्य हिम श्रंखलाओं का मन भावन दृष्य पर्यटकों कों अपनीओर आकर्षित कर लेता है पहाड़ों और मैदानों के बीच से होकर बहती नदियाँ अद्भुत छटा बिखेरती हैं। चंपावत में पर्यटकों को वह सब कुछ मिलता है जो वह एक पर्वतीय स्थान से चाहते हैं। यह नगर समुद्र तल से लगभग 1.6 किमी की ऊँचाई पर स्थित है। उत्तराखण्ड की राज्य में प्रशासनिक सुविधा के उद्देश्य से दो मुख्य संभाग (मंडल) बनाऐ गये हैं गढ़वाल तथा कुमाऊँ। कुमाऊँ संभाग (मंडल) में नैनीताल, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, बागेश्वर, चम्पावत तथा ऊधमसिंह नगर जनपद सम्मिलित हैं जबकि गढ़वाल संभाग में पौडी गढ़वाल, टिहरी गढ़वाल, उत्तरकाशी, देहरादून, चमोली, रुद्रप्रयाग तथा हरिद्वार जनपद शामिल है।

इतिहास

thumb||left|250px|एवटमाउन्ट में खिला पर्वतीय पुष्प बुरांस चम्पावत कई वर्षों तक कुमाऊँ के शासकों की राजधानी रहा है। चम्पावत नगर में कत्यूरी वंश के राजाओं द्वारा स्थापित तेरहवीं शताब्दी का बालेश्वर मंदिर तत्काली शिल्प कला का एक उत्कृष्ट नमूना है।

पर्यटन

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पूर्णागिरि मंदिर

पुन्यागिरि समुद्र तल से 3000 मीटर की उंचाई पर हैयह काली नदी के दांये किनारे पर स्थित है यहां विश्वत संक्रांति को मेला आरंभ होकर लभगग चालीस दिन तक चलता है मार्च अप्रैल के मध्य चैत्र मास की नवरात्रि में यहां अपार श्रद्धालु दर्शनार्थ आते हैं। जनपद चम्पावत के टनकपुर उप संभाग के पर्वतीय अंचल में स्थित अन्नपूर्णा चोटी के शिखर में लगभग 3000 फिट की उंचाई पर यह शक्ति पीठ स्थापित है धार्मिक आस्था के साथ ही नैसर्गिक सौंदर्य के लिये भी यह स्थल महत्वपूर्ण है इस स्थल पर जाने हेतु टनकाुन से लगगभग 20 किमी तक मोटर मार्ग से तथा 3 किमी पैदल चलकर पहुचा जा सकता है।

श्यामलाताल

टनकपुर से चम्पावत की ओर लगभग 22 किमी दूरी पर स्थित सूचीढांड नामक स्थान से 5 किमी इस पवित्र एवं मनोहारी स्थल हेतु मोटर मार्ग से पहुंचा जा सकता है यहां पर स्वामी विवेकानन्छकी घ्यान स्थली के रूप में वर्तमान में एक आश्रम स्थापित है श्यामल ताल के स्वच्छ एवं नीले जल पर नोका विहार का आनन्द लियाा जा सकता है रात्रि विश्राम हेतु यहां पर पर्यटक आवास ग्रह उपलब्ध है देवीधुरा मेला

मीठा रीठा साहिब

रीठा साहिब यह स्थान लोहाघाट से लगभग 64 किमी की दूरीपर स्थित है सिक्खों के दसवें गुरू यहां आये थे एवं उन्होंने यहां पर रीठे के वृक्ष के नीचे विश्राम किया था । गुरू के प्रताप से उनके शिष्य ने जिस वृक्ष से अपनी क्षुधा शान्त करने हेतु रीठे तोडे थे , उस वृक्ष के रीठे मीठे हो गये थे। इस स्थल को मीठा रीठा साहिब भी कहा जाता है यहां पर सिक्खों द्वारा भव्य गुरूद्वारा निर्मित किया गया है। प्रति वर्ष वैशाखी पर यहां पर बहुत विशाल मेले का आयोजन भी किया जाता है

आदिगुरू गोरखनाथ की धूनी

आदिगुरू गोरखनाथ की धूनी चम्पावत से लगभग 33किमी की दूरी परस्थित मं चनामक स्थान से इस स्थल हेतु लगभग 1.5 किमी की दूरी पैदल तय करने के उपरांत इस स्थान पर पहुंचा जा सकता है । जनश्रुति है कि यह धूनी सतयुग से लगातार प्रज्वलित है। यह स्थल नैसर्गिक सौंदर्यता से परिपूर्ण है।

पंचेश्वर महादेव मंदिर

परमेश्वर लोहाघाट से लगभग 38 किमी की दूरी पर काली एवं सरयू नदी के संगम पर स्थित यह स्थल मत्स्य आखेट एवं रिवर राफ्टिंग के लिये विख्यात है। इस स्थल पर मकर संक्रान्ति के अवसर पर विशाल मेले का आयोजन भी किया जाता है ।

वाणासुर का किला

लोहाघाट से लगभग 7 किमी की दूरी पर कर्णरायत नामक स्थान से लगभग 1.5 किमी की दूरी पैदल तय करने के उपरांत इस स्थल पर पहुंचा जा सकता है। किंवदंती है कि यहां पर कृष्ण के द्वारा अपने पौत्र का अपहरण किये जाने से क्रुद्ध होकर वाणासुर का वध किया गया था। इस स्थल पर पुरातात्विक दृष्टि से मशहूर किला आज भी विद्यमान है । इस स्थल से एक ओर भव्य हिमालय श्रंखलाओं का दृश्य देखा जा सकता है। तो दूसरी ओर लोहाघाट सहित मायावती आश्रम एवं अन्य नैसर्गिक छटाओं का भी आनन्द लिया जा सकता है।

मायावती अद्वैत आश्रम

मायावती अद्वैत आश्रम लोहाघाट से 9 किमी की दूरी परसघन बांज एवं बुरांस वृक्षों के बीच स्थापित मायावती आश्रमा स्वामी विवेकानन्द का आश्रय स्थल रहा है। यहां पर स्वामी विवेकानन्द 1901 में आये थे एवं लगभग एक सप्ताह तक इस स्थल पर उन्होंने निवास किया था। यहां पर वर्तमान में एक धर्मार्थ चिकित्सालय भी आश्रम द्वारा संचालित किया जाता है।

  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य

देवीधुरा मंदिर

देवीधुरा यह स्थल चम्पावत हल्द्वानी मोटर मार्ग परचम्पावत से लगभग 60 किमी की दूरी पर समुद्र सतह से लगभग 6500 फिट कीउंचाई पर स्थित है। श्रावण मास की पूर्णिमा को हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करने वाला पौराणिक धार्मिक एवं एतिहासिक स्थल देवीधुरा अपने अनूठे तरह के पाषाण युद्ध के लिये पूरे भारत प्रसिद्ध है। इस स्थल से लगभग 300 किमी लम्बी हिम श्रंखलाओं के भव्य दृश्य का आनंद लिया जा सकता है।

एवटमाउन्ट

लोहाघाट से 9 किमी की दूरी पर समुद्र तल से लगभग 7000 फिट की उंचाई पर स्थित यह स्थल अत्यन्त दर्शनीय है यहां पर 1945 में स्थापिन चर्च भी विद्यमान है। यह स्थल पूर्व मे ऐंग्लो इन्डियन कालोनी के रूप में विद्यमान रहा है। इस स्थल के उत्तर की ओर भव्य हिमालय श्रंखलाओं का विहंगम दृश्य दृष्टिगोचर होता है। तो दूसरी ओर प्राकृतिक छटाओं का भी आनन्द लिया जा सकता है।

लोहाघाट

लोहाघाट चम्पावत नगर से 13 किमी कीदूरी पर राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे सघन देवदार वृक्षों से आक्ष्छाादित यह स्थल समुद्र सतहसे लगभग 5500 फिट की उंचाई पर लोहवती नदी के समीव स्थित है। स्वास्थ्य लाभ के लिये यह स्थल अत्यंत उपयुक्त माना गया है ।

वीथिका


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