अंदाज़ (1949 फ़िल्म): Difference between revisions
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सरोकार का सिनेमा श्रृंखला के तहत [[रविवार]] को 20वीं फ़िल्म दिखाई गई। हिन्दी सिनेमा की दो | सरोकार का सिनेमा श्रृंखला के तहत [[रविवार]] को 20वीं फ़िल्म दिखाई गई। हिन्दी सिनेमा की दो महान् हस्तियों [[राजकपूर]] और [[दिलीप कुमार]] के अभिनय से सजी फ़िल्म 'अंदाज' का संस्कृति सभागार में निःशुल्क प्रदर्शन किया गया। यही एकमात्र फ़िल्म है, जिसमें दोनों कलाकारों ने एक साथ अभिनय किया था। | ||
फ़िल्म में नीना ([[नर्गिस|नर्गिस दत्त]]) अमीर घराने की है और उसका रहन-सहन का अंदाज ही अलग है। एक दिन नीना घुड़सवारी कर रही थी। घोड़ा बेकाबू हो गया तो दिलीप ([[दिलीप कुमार]]) उसे बचाता है। इस अहसान का कर्ज अदा करने के लिए दिलीप को नीना अपन घर बुलाती है और उसकी आवाज की दीवानी हो जाती है। वह दिलीप को अपना दोस्त मानने लगती है। उसके पिता (मुराद) को नीना का अजनबी युवक को दोस्त बनाने का अंदाज पसंद नहीं आता। वह नीना को चेतावनी देता है। नीना नहीं समझती और अपने पिता की मौत के बाद दिलीप को आधी जमीन का हिस्सेदार बना देती है। दिलीप, नीना की दोस्ती को प्यार समझने लगता है। | फ़िल्म में नीना ([[नर्गिस|नर्गिस दत्त]]) अमीर घराने की है और उसका रहन-सहन का अंदाज ही अलग है। एक दिन नीना घुड़सवारी कर रही थी। घोड़ा बेकाबू हो गया तो दिलीप ([[दिलीप कुमार]]) उसे बचाता है। इस अहसान का कर्ज अदा करने के लिए दिलीप को नीना अपन घर बुलाती है और उसकी आवाज की दीवानी हो जाती है। वह दिलीप को अपना दोस्त मानने लगती है। उसके पिता (मुराद) को नीना का अजनबी युवक को दोस्त बनाने का अंदाज पसंद नहीं आता। वह नीना को चेतावनी देता है। नीना नहीं समझती और अपने पिता की मौत के बाद दिलीप को आधी जमीन का हिस्सेदार बना देती है। दिलीप, नीना की दोस्ती को प्यार समझने लगता है। | ||
कहानी में मोड़ तब आता है जब नीना का प्यार राजन ([[राजकपूर]]) विदेश से पढ़ाई कर वापस आता है। नीना और राजन शादी कर लेते हैं। उन दोनों का प्यार देखकर दिलीप को झटका लगता है और एक दिन वह नीना को सब बता देता है। नीना को [[दिलीप]] की कही बात बुरी लगती है, क्योंकि उसने सिर्फ राजन को अपना प्यार और भगवान माना है। नीना और राजन को बेटी होती है। एक दिन गलती से राजन को दिलीप समझकर नीना बात करती है। अब राजन को नीना पर शक हो जाता है। यह शक नीना, राजन और दिलीप के रिश्तों में कड़वाहट ला देता है। फ़िल्म का अंत दुखदाई होता है।<ref name=''aa">{{cite web |url=http://naidunia.jagran.com/chhattisgarh/raipur-concerns-of-the-two-greatest-personalities-in-the-cinema-film-style-show-869369|title= सरोकार का सिनेमा में दो | कहानी में मोड़ तब आता है जब नीना का प्यार राजन ([[राजकपूर]]) विदेश से पढ़ाई कर वापस आता है। नीना और राजन शादी कर लेते हैं। उन दोनों का प्यार देखकर दिलीप को झटका लगता है और एक दिन वह नीना को सब बता देता है। नीना को [[दिलीप]] की कही बात बुरी लगती है, क्योंकि उसने सिर्फ राजन को अपना प्यार और भगवान माना है। नीना और राजन को बेटी होती है। एक दिन गलती से राजन को दिलीप समझकर नीना बात करती है। अब राजन को नीना पर शक हो जाता है। यह शक नीना, राजन और दिलीप के रिश्तों में कड़वाहट ला देता है। फ़िल्म का अंत दुखदाई होता है।<ref name=''aa">{{cite web |url=http://naidunia.jagran.com/chhattisgarh/raipur-concerns-of-the-two-greatest-personalities-in-the-cinema-film-style-show-869369|title= सरोकार का सिनेमा में दो महान् हस्तियों की फिल्म 'अंदाज' दिखाई|accessmonthday= 7 जुलाई|accessyear= 2017|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=jagran.com|language=हिन्दी}}</ref> | ||
Revision as of 11:27, 1 August 2017
अंदाज़ (1949 फ़िल्म)
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निर्देशक | महबूब खान |
निर्माता | महबूब खान |
कलाकार | दिलीप कुमार, नर्गिस और राज कपूर |
संगीत | नौशाद |
गीतकार | मजरूह सुल्तानपुरी |
गायक | मुकेश, लता मंगेशकर, मुहम्मद रफ़ी |
प्रदर्शन तिथि | 1949 |
अवधि | 142 मिनट |
भाषा | हिंदी |
अन्य जानकारी | यह दिलीप कुमार और राज कपूर अभिनीत एकमात्र फ़िल्म है। इसके अलावा ये दोनों दिग्गज कभी साथ नहीं आये। |
अंदाज़ (अंग्रेज़ी: Andaz ) 1949 में प्रदर्शित हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। अंदाज़ का निर्देशन किया था महबूब खान ने और फ़िल्म में दिलीप कुमार और राज कपूर एक साथ नज़र आए और ये पहला और आख़िरी मौका था जब दोनों ने साथ काम किया। बाद में दिलीप कुमार और राज कपूर दोनों ने सफलता की बुंलदियों को छुआ। अंदाज़ की नायिका थीं नर्गिस। जब ये फ़िल्म रिलीज़ हुई थी तो इसने रिकॉर्ड तोड़ कमाई की थी।
कहानी
सरोकार का सिनेमा श्रृंखला के तहत रविवार को 20वीं फ़िल्म दिखाई गई। हिन्दी सिनेमा की दो महान् हस्तियों राजकपूर और दिलीप कुमार के अभिनय से सजी फ़िल्म 'अंदाज' का संस्कृति सभागार में निःशुल्क प्रदर्शन किया गया। यही एकमात्र फ़िल्म है, जिसमें दोनों कलाकारों ने एक साथ अभिनय किया था। फ़िल्म में नीना (नर्गिस दत्त) अमीर घराने की है और उसका रहन-सहन का अंदाज ही अलग है। एक दिन नीना घुड़सवारी कर रही थी। घोड़ा बेकाबू हो गया तो दिलीप (दिलीप कुमार) उसे बचाता है। इस अहसान का कर्ज अदा करने के लिए दिलीप को नीना अपन घर बुलाती है और उसकी आवाज की दीवानी हो जाती है। वह दिलीप को अपना दोस्त मानने लगती है। उसके पिता (मुराद) को नीना का अजनबी युवक को दोस्त बनाने का अंदाज पसंद नहीं आता। वह नीना को चेतावनी देता है। नीना नहीं समझती और अपने पिता की मौत के बाद दिलीप को आधी जमीन का हिस्सेदार बना देती है। दिलीप, नीना की दोस्ती को प्यार समझने लगता है। कहानी में मोड़ तब आता है जब नीना का प्यार राजन (राजकपूर) विदेश से पढ़ाई कर वापस आता है। नीना और राजन शादी कर लेते हैं। उन दोनों का प्यार देखकर दिलीप को झटका लगता है और एक दिन वह नीना को सब बता देता है। नीना को दिलीप की कही बात बुरी लगती है, क्योंकि उसने सिर्फ राजन को अपना प्यार और भगवान माना है। नीना और राजन को बेटी होती है। एक दिन गलती से राजन को दिलीप समझकर नीना बात करती है। अब राजन को नीना पर शक हो जाता है। यह शक नीना, राजन और दिलीप के रिश्तों में कड़वाहट ला देता है। फ़िल्म का अंत दुखदाई होता है।[1]
- सरोकार के सिनेमा के आयोजक जीवेश चौबे ने बताया कि 1949 में आई फ़िल्म अंदाज को महबूब खान ने निर्देशित किया था। नर्गिस की सादगी, राजकपूर के नटखटपन और दिलीप कुमार की संजीदगी को पेश करती फ़िल्म का संगीत नौशाद ने दिया। इसमें लता मंगेशकर और मुकेश के गीतों ने धूम मचाई थी।
मुख्य कलाकार
- दिलीप कुमार - दिलीप
- नर्गिस - नीना
- राज कपूर - राजन
- कुक्कू - शीला (नीना की दोस्त)
- मुराद - नीना के पिता
गीत-संगीत
फ़िल्म में संगीत नौशाद का है और गीत लिखे हैं मजरूह सुल्तानपुरी ने।
क्रमांक | गीत | गायक / गायिका |
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1. | झूम झूम के नाचो आज | मुकेश |
2. | कोई मेरे दिल में | लता मंगेशकर |
3. | हम आज कहीं दिल खो बैठे | मुकेश |
4. | मेरी लडी रे | लता मंगेशकर और कोरस |
5. | तु कहे अगर | मुकेश |
6. | उठाये जा उनके सितम | लता मंगेशकर |
7. | टूटे ना दिल टूटे ना | मुकेश |
8. | तोड दिया दिल मेरा | लता मंगेशकर |
9. | यूं तो आपस में बिगडते हैं | लता मंगेशकर और मुहम्मद रफ़ी |
10. | डर ना मोहब्बत करले | लता मंगेशकर और शमशेद बेगम |
रोचक तथ्य
1949 में बनी फ़िल्म 'अंदाज' का एक दिलचस्प किस्सा है। फ़िल्म के निर्देशक महबूब खान के सामने कोई गलत बात कहने की हिम्मत नहीं रखता था। दिलीप कुमार और राज कपूर दोनों ही अपने स्टाइल के अभिनय में अपना जवाब नहीं रखते थे इस बात से हर कोई सहमत था, लेकिन एक दिन ऐसा हुआ कि महबूब खान को अपनी पसंद का काम लेने के लिए दिलीप के छ: टेक लिए, इस पर राजकपूर को लगा कि महबूब साहब दिलीप कुमार की अदाकारी में अधिक दिलचस्पी ले रहे हैं। इसके बाद राजकपूर ने महबूब खान से प्रार्थना कि की मेरे भी कुछ अधिक टेक लीजिए।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सरोकार का सिनेमा में दो महान् हस्तियों की फिल्म 'अंदाज' दिखाई (हिन्दी) jagran.com। अभिगमन तिथि: 7 जुलाई, 2017।
बाहरी कड़ियाँ
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