रामचंद्र शुक्ल (चित्रकार): Difference between revisions

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*[http://www.livehindustan.com/news/uttarpradesh/article1-ramchandra-shukla-dies-556641.html नहीं रहे प्रख्यात कला समीक्षक और चित्रकार रामचंद्र शुक्ल]
*[http://www.livehindustan.com/news/uttarpradesh/article1-ramchandra-shukla-dies-556641.html नहीं रहे प्रख्यात कला समीक्षक और चित्रकार रामचंद्र शुक्ल]

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चित्र:Disamb2.jpg रामचंद्र शुक्ल एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- रामचंद्र शुक्ल (बहुविकल्पी)

रामचंद्र शुक्ल (अंग्रेज़ी: Ramchandra Shukl, जन्म- 1925, बस्ती, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 3 सितम्बर, 2016, इलाहाबाद) प्रसिद्ध भारतीय चित्रकार व कला समीक्षक थे।

परिचय

रामचंद्र शुक्ल का जन्म 1 मार्च, 1925 को बस्ती के हरैया तहसील, उत्तर प्रदेश में हुआ था। वह जनपद के दुबौलिया विकास खंड के शुक्लपुरा गांव के मूल निवासी थे। उनका कर्मक्षेत्र इलाहाबाद रहा। प्रो. शुक्ल की पांच पुत्र व दो पुत्रियां हैं। जो इलाहाबाद सहित देश के अन्य शहरों में रहते हैं।

शिक्षा तथा कार्यक्षेत्र

बहुमुखी प्रतिभा के धनी शुक्ल ने 1943 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी.ए. किया। उनके प्रथम कला गुरु क्षितिन्द्र नाथ मजूमदार थे। वे देश के पहले चित्रकार थे, जिन्हें फ्रांस सरकार ने सम्मानित किया। द शुक्ल ने कला के साथ फिल्मों का निर्देशन भी किया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति अमरनाथ झा के प्रयास से उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में वॉश तकनीक से चित्रकारी को बढ़ावा दिया। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी में दृश्य कला विभाग में 1948 से 1985 तक सेवारत रहे। जहां पर वे विभागाध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त हुए।

व्यक्तित्व

ललित कला अकादमी के सदस्य रहे प्रो. शुक्ल का अपने गांव से काफी लगाव था। जब तक शरीर में चलने फिरने की ताकत रही वह अक्सर अपने गांव आया करते थे। वह जब भी आते थे किसी न किसी की कच्ची दीवार पर चित्रकारी किया करते थे। गांव के लोग उनकी सज्जनता और सरलता की आज भी चर्चा करते हैं।

सम्मान एवं पुरस्कार

उनको उत्तर प्रदेश सरकार ने कला भूषण से सम्मानित किया था। इसके अलावा उन्होंने अन्य कई पुरस्कार व सम्मान प्राप्त किए तथा कई किताबें भी लिखीं।

निधन

प्रो. रामचंद्र शुक्ल का 92 वर्ष की अवस्था में इलाहाबाद के बैराना स्थित आवास में निधन हो गया। परिजनों ने इलाहाबाद के दारागंज घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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