पन्नालाल घोष: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 32: | Line 32: | ||
|अद्यतन= | |अद्यतन= | ||
}} | }} | ||
'''पन्नालाल घोष''' ( | '''पन्नालाल घोष''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Pannalal Ghosh'', वास्तविक नाम 'अमूल ज्योति घोष', जन्म: [[24 जुलाई]]<ref name="bth"/>, [[1911]] - मृत्यु: [[20 अप्रैल]], [[1960]]) [[भारत]] के प्रसिद्ध [[बाँसुरी वादक]] थे। पंडित पन्नालाल घोष [[बांसुरी]] के मसीहा नयी बांसुरी के जन्मदाता और [[भारतीय शास्त्रीय संगीत]] का युगपुरुष जिसने लोक वाद्य बाँसुरी को शास्त्रीय के [[रंग]] में ढालकर शास्त्रीय [[वाद्य यंत्र]] बना दिया। | ||
==जीवन परिचय== | ==जीवन परिचय== | ||
अमल ज्योति घोष के नाम से जाने जाने वाले पंडित पन्नालाल घोष का जन्म [[24 जुलाई]]<ref name="bth"/>, [[1911]] में [[पूर्वी बंगाल]] के बारीसाल में हुआ था। शुरू में उनका परिवार अमरनाथगंज के गांव में रहता था जो बाद में फतेहपुर आ गया। उनका जन्म [[संगीत]] सुधी परिवार में हुआ था। उनके पिता अक्षय कुमार घोष [[सितार]] वादक थे और उनकी माँ सुकुमारी गायक थीं।<ref name="sml">{{cite web |url=http://www.samaylive.com/nation-hindi/93181.html |title=बांसुरी के मसीहा थे पंडित पन्नालाल घोष |accessmonthday=26 अगस्त |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=समय लाइव |language=हिन्दी }}</ref> | अमल ज्योति घोष के नाम से जाने जाने वाले पंडित पन्नालाल घोष का जन्म [[24 जुलाई]]<ref name="bth"/>, [[1911]] में [[पूर्वी बंगाल]] के बारीसाल में हुआ था। शुरू में उनका परिवार अमरनाथगंज के गांव में रहता था जो बाद में फतेहपुर आ गया। उनका जन्म [[संगीत]] सुधी परिवार में हुआ था। उनके पिता अक्षय कुमार घोष [[सितार]] वादक थे और उनकी माँ सुकुमारी गायक थीं।<ref name="sml">{{cite web |url=http://www.samaylive.com/nation-hindi/93181.html |title=बांसुरी के मसीहा थे पंडित पन्नालाल घोष |accessmonthday=26 अगस्त |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=समय लाइव |language=हिन्दी }}</ref> |
Revision as of 11:47, 14 July 2018
पन्नालाल घोष
| |
पूरा नाम | अमल ज्योति घोष |
प्रसिद्ध नाम | पंडित पन्नालाल घोष |
जन्म | 24 जुलाई[1], 1911 |
जन्म भूमि | बारीसाल, पूर्वी बंगाल |
मृत्यु | 20 अप्रैल, 1960 |
मृत्यु स्थान | नई दिल्ली |
अभिभावक | अक्षय कुमार घोष और सुकुमारी |
पति/पत्नी | पारुल घोष |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | बाँसुरी वादक |
नागरिकता | भारतीय |
संबंधित लेख | अली अकबर ख़ाँ, अमजद अली ख़ाँ, शिवकुमार शर्मा, असद अली ख़ाँ, अलाउद्दीन ख़ाँ |
अन्य जानकारी | पन्नाबाबू शास्त्रीय बांसुरी के जन्मदाता हैं और उन्हें बांसुरी का मसीहा कहना समीचीन होगा। जिन्हें बांसुरी को लोक वाद्य से शास्त्रीय वाद्य यंत्र के रूप में स्थापित करने का श्रेय जाता हैं। |
पन्नालाल घोष (अंग्रेज़ी: Pannalal Ghosh, वास्तविक नाम 'अमूल ज्योति घोष', जन्म: 24 जुलाई[1], 1911 - मृत्यु: 20 अप्रैल, 1960) भारत के प्रसिद्ध बाँसुरी वादक थे। पंडित पन्नालाल घोष बांसुरी के मसीहा नयी बांसुरी के जन्मदाता और भारतीय शास्त्रीय संगीत का युगपुरुष जिसने लोक वाद्य बाँसुरी को शास्त्रीय के रंग में ढालकर शास्त्रीय वाद्य यंत्र बना दिया।
जीवन परिचय
अमल ज्योति घोष के नाम से जाने जाने वाले पंडित पन्नालाल घोष का जन्म 24 जुलाई[1], 1911 में पूर्वी बंगाल के बारीसाल में हुआ था। शुरू में उनका परिवार अमरनाथगंज के गांव में रहता था जो बाद में फतेहपुर आ गया। उनका जन्म संगीत सुधी परिवार में हुआ था। उनके पिता अक्षय कुमार घोष सितार वादक थे और उनकी माँ सुकुमारी गायक थीं।[2]
प्रारंभिक जीवन
हारमोनियम उस्ताद खुशी मोहम्मद ख़ान उनके पहले गुरु थे और ख्याल गायक पंडित गिरजा शंकर चक्रवर्ती एवं उस्ताद अलाउद्दीन ख़ान साहब से भी उन्होंने शिक्षा हासिल की थी। 1940 में पन्नाबाबू ने संगीत निर्देशक अनिल विश्वास की बहन और जानी मानी पार्श्व गायिका पारुल घोष से विवाह कर लिया। इसके पहले 1938 में पन्नालाल घोष ने यूरोप का दौरा किया और वे उन आरंभिक शास्त्रीय संगीतकारों में से एक थे जिन्होंने विदेश में कार्यक्रम पेश किया।[2]
बांसुरी के जन्मदाता
पन्नाबाबू शास्त्रीय बांसुरी के जन्मदाता हैं और उन्हें बांसुरी का मसीहा कहना समीचीन होगा। जिन्हें बांसुरी को लोक वाद्य से शास्त्रीय वाद्य यंत्र के रूप में स्थापित करने का श्रेय जाता हैं। उनके अथक प्रयासों का ही परिणाम था कि 1930 में उनका पहला एलपी जारी हुआ। आने वाली सदियां पन्ना बाबू के काम को कभी भूल नहीं सकती हैं। उन्हीं का प्रयास है कि कृष्ण कन्हैया की बांसुरी का आज के फ्यूजन संगीत में भी अहम स्थान है। बांसुरी को शास्त्रीय वाद्य के रूप में लोगों के दिलों में बसाने का काम पन्ना बाबू ने शुरू किया था और पंडित हरिप्रसाद चौरसिया जैसे बांसुरी वादकों ने इस वाद्य यंत्र को विदेशों में लोकप्रिय कर दिया। पन्नालाल जी ने कई फ़िल्मों में भी बांसुरी बजाई थी, जो आज भी अद्वितीय है। जिनमें मुग़ले आज़म, बसंत बहार, बसंत, दुहाई, अंजान और आंदोलन जैसी कई प्रसिद्ध फ़िल्में प्रमुख हैं जिसके संगीत के साथ पंडित पन्नालाल घोष का नाम जुड़ा रहा।[2]
निधन
पारंपरिक भारतीय वाद्य यंत्र बांसुरी की अतुल्य विरासत अपने शिष्य और प्रशंसकों के हाथों में सौंप कर 20 अप्रैल 1960 में पन्नाबाबू हमेशा के लिए इस दुनिया से कूच कर गये। पन्नालाल जी की बांसुरी जब आज भी सुनते हैं तो उनकी मिठास तथा विविधता का कोई जोड़ नज़र नहीं आता। उनका बजाया हुआ राग मारवा तथा अन्य राग जब आज सुनते हैं तो अध्यात्मिक अहसास होने लगता है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 पन्नालाल घोष की जन्म तिथि कई स्रोतों पर 31 जुलाई 1911 दी गई है, लेकिन डॉ. विश्वास एम. कुलकर्णी (भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र में कार्यरत वैज्ञानिक अधिकारी) की शोध के अनुसार पन्नालाल घोष की सही जन्म तिथि 24 जुलाई 1911 है।
- ↑ 2.0 2.1 2.2 बांसुरी के मसीहा थे पंडित पन्नालाल घोष (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) समय लाइव। अभिगमन तिथि: 26 अगस्त, 2011।
बाहरी कड़ियाँ
- Welcome to Pannalal Ghosh Online Community
- Profile >> Pt. Pannalal Ghosh
- Pannalal Ghosh
- the Legacy of Pandit Pannalal Ghosh
- Pt. Pannalal Ghosh
संबंधित लेख