मंगल नाथ घाट: Difference between revisions
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'''मंगल नाथ घाट''' [[मध्य प्रदेश]] की धार्मिक राजधानी [[उज्जैन]] में स्थित है। यह घाट प्रसिद्ध मंगलनाथ मन्दिर के पुल के पास [[क्षिप्रा नदी]] के दायें एवं बायें किनारे पर स्थित है। सिंहस्थ महाकुम्भ पर्व एवं धार्मिक पवित्र नहान पर आने वाले श्रद्धालुओं के स्नान हेतु इस घाट का निर्माण किया गया है।<ref>{{cite web |url=http://www.simhasthujjain.in/about-simhasth/ghat-details/?lang=hi |title=घाट विवरण |accessmonthday=12 |accessyear=जून |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=simhasthujjain.in |language=हिंदी }}</ref> | '''मंगल नाथ घाट''' [[मध्य प्रदेश]] की धार्मिक राजधानी [[उज्जैन]] में स्थित है। यह घाट प्रसिद्ध मंगलनाथ मन्दिर के पुल के पास [[क्षिप्रा नदी]] के दायें एवं बायें किनारे पर स्थित है। सिंहस्थ महाकुम्भ पर्व एवं धार्मिक पवित्र नहान पर आने वाले श्रद्धालुओं के स्नान हेतु इस घाट का निर्माण किया गया है।<ref>{{cite web |url=http://www.simhasthujjain.in/about-simhasth/ghat-details/?lang=hi |title=घाट विवरण |accessmonthday=12 |accessyear=जून |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=simhasthujjain.in |language=हिंदी }}</ref> | ||
==मंगलनाथ मन्दिर== | ==मंगलनाथ मन्दिर== |
Revision as of 13:16, 12 June 2018
thumb|250px|मंगल नाथ घाट मंगल नाथ घाट मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी उज्जैन में स्थित है। यह घाट प्रसिद्ध मंगलनाथ मन्दिर के पुल के पास क्षिप्रा नदी के दायें एवं बायें किनारे पर स्थित है। सिंहस्थ महाकुम्भ पर्व एवं धार्मिक पवित्र नहान पर आने वाले श्रद्धालुओं के स्नान हेतु इस घाट का निर्माण किया गया है।[1]
मंगलनाथ मन्दिर
यह मंदिर उज्जैन में स्थित है। पुराणों के अनुसार उज्जैन नगरी को मंगल की जननी कहा जाता है। ऐसे व्यक्ति जिनकी कुंडली में मंगल भारी रहता है, वे अपने अनिष्ट ग्रहों की शांति के लिए यहाँ पूजा-पाठ करवाने आते हैं। यूँ तो देश में मंगल भगवान के कई मंदिर हैं, लेकिन उज्जैन इनका जन्म स्थान होने के कारण यहाँ की पूजा को खास महत्व दिया जाता है।
निर्माण
कहा जाता है कि यह मंदिर सदियों पुराना है। सिंधिया राजघराने में इसका पुनर्निर्माण करवाया गया था। उज्जैन शहर को भगवान महाकाल की नगरी कहा जाता है, इसलिए यहाँ मंगलनाथ भगवान की शिवरूपी प्रतिमा का पूजन किया जाता है। हर मंगलवार के दिन इस मंदिर में श्रद्धालुओं का ताँता लगा रहता है।
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