ककनमठ मंदिर: Difference between revisions
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'''ककनमठ मंदिर''' [[मध्य प्रदेश]] के [[मुरैना ज़िला|मुरैना ज़िले]] में स्थित है और [[गुर्जर प्रतिहार वंश|गुर्जर प्रतिहार]] शैली मे निर्मित है। मंदिर का निर्माण गुर्जर प्रतिहार शासको ने 9वी से 10वी सदी मे करवाया था। गुर्जर प्रतिहार शैली में बना यह मंदिर 115 फीट ऊंचा है। बटेश्वर मंदिर की तरह इस मंदिर के [[अवशेष]] सैकडों टुकडो मेंं पडे हुए हैं। बटेश्वर मंदिर के साथ ही ककनमठ मंदिर ने भी कई युद्धों को झेला था। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस मंदिर का निर्माण एक ही रात में भूतों द्वारा किया गया था।<br /> | '''ककनमठ मंदिर''' [[मध्य प्रदेश]] के [[मुरैना ज़िला|मुरैना ज़िले]] में स्थित है और [[गुर्जर प्रतिहार वंश|गुर्जर प्रतिहार]] शैली मे निर्मित है। मंदिर का निर्माण गुर्जर प्रतिहार शासको ने 9वी से 10वी सदी मे करवाया था। गुर्जर प्रतिहार शैली में बना यह मंदिर 115 फीट ऊंचा है। बटेश्वर मंदिर की तरह इस मंदिर के [[अवशेष]] सैकडों टुकडो मेंं पडे हुए हैं। बटेश्वर मंदिर के साथ ही ककनमठ मंदिर ने भी कई युद्धों को झेला था। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस मंदिर का निर्माण एक ही रात में भूतों द्वारा किया गया था।<br /> | ||
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*शहर से करीब 70 किलोमीटर दूर [[मुरैना]] में [[सिहोनिया]] स्थित ककनमठ मंदिर आज देश-विदेश के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। कभी सिंहपाणि नगर कहा जाने वाला सिहोनिया विश्व पर्यटन के मानचित्र में ककनमठ मंदिर के कारण जाना जाता है। | *शहर से करीब 70 किलोमीटर दूर [[मुरैना]] में [[सिहोनिया]] स्थित ककनमठ मंदिर आज देश-विदेश के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। कभी सिंहपाणि नगर कहा जाने वाला सिहोनिया विश्व पर्यटन के मानचित्र में ककनमठ मंदिर के कारण जाना जाता है।<ref>{{cite web |url=https://www.bhaskar.com/news/MP-GWA-HMU-ghosts-in-the-night-was-created-by-the-1000-year-old-temple-5193636-PHO.html |title=एक रात में भूतों ने तैयार किया था यह 1000 साल पुराना मंदिर|accessmonthday=08 जुलाई|accessyear=2020 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=bhaskar.com |language=हिंदी}}</ref> | ||
*ककनमठ मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में कछवाहा वंश (कच्छप घात) के राजा कीर्ति राज ने कराया था। उनकी रानी ककनावती [[शिव]] की अनन्य [[भक्त]] थी। उसी के कहने पर इस शिव मंदिर का निर्माण कराया गया था। इसका नाम ककनमठ रखा गया। | *ककनमठ मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में कछवाहा वंश (कच्छप घात) के राजा कीर्ति राज ने कराया था। उनकी रानी ककनावती [[शिव]] की अनन्य [[भक्त]] थी। उसी के कहने पर इस शिव मंदिर का निर्माण कराया गया था। इसका नाम ककनमठ रखा गया। | ||
*मंदिर उत्तर भारतीय शैली में बना है। उत्तर भारतीय शैली को नागर शैली के नाम से भी जाना जाता है। 8वीं से 9वीं शताब्दी के दौरान मंदिरों का निर्माण नागर शैली में ही किया जाता रहा। ककनमठ मंदिर इस [[शैली]] का उत्कृष्ट नमूना है। | *मंदिर उत्तर भारतीय शैली में बना है। उत्तर भारतीय शैली को नागर शैली के नाम से भी जाना जाता है। 8वीं से 9वीं शताब्दी के दौरान मंदिरों का निर्माण नागर शैली में ही किया जाता रहा। ककनमठ मंदिर इस [[शैली]] का उत्कृष्ट नमूना है। |
Latest revision as of 10:41, 8 July 2020
thumb|250px|ककनमठ मंदिर
ककनमठ मंदिर मध्य प्रदेश के मुरैना ज़िले में स्थित है और गुर्जर प्रतिहार शैली मे निर्मित है। मंदिर का निर्माण गुर्जर प्रतिहार शासको ने 9वी से 10वी सदी मे करवाया था। गुर्जर प्रतिहार शैली में बना यह मंदिर 115 फीट ऊंचा है। बटेश्वर मंदिर की तरह इस मंदिर के अवशेष सैकडों टुकडो मेंं पडे हुए हैं। बटेश्वर मंदिर के साथ ही ककनमठ मंदिर ने भी कई युद्धों को झेला था। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस मंदिर का निर्माण एक ही रात में भूतों द्वारा किया गया था।
- शहर से करीब 70 किलोमीटर दूर मुरैना में सिहोनिया स्थित ककनमठ मंदिर आज देश-विदेश के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। कभी सिंहपाणि नगर कहा जाने वाला सिहोनिया विश्व पर्यटन के मानचित्र में ककनमठ मंदिर के कारण जाना जाता है।[1]
- ककनमठ मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में कछवाहा वंश (कच्छप घात) के राजा कीर्ति राज ने कराया था। उनकी रानी ककनावती शिव की अनन्य भक्त थी। उसी के कहने पर इस शिव मंदिर का निर्माण कराया गया था। इसका नाम ककनमठ रखा गया।
- मंदिर उत्तर भारतीय शैली में बना है। उत्तर भारतीय शैली को नागर शैली के नाम से भी जाना जाता है। 8वीं से 9वीं शताब्दी के दौरान मंदिरों का निर्माण नागर शैली में ही किया जाता रहा। ककनमठ मंदिर इस शैली का उत्कृष्ट नमूना है।
- मंदिर के निर्माण में कहीं भी चूने-गारे का उपयोग नहीं किया गया। पत्थरों को संतुलित रखकर मंदिर बनाया गया। इतने लंबे समय से यह मंदिर कई प्राकृतिक झंझावातों का सामना करता आ रहा है। मौसम की मार से यहां बने छोटे-छोटे मंदिर नष्ट हो गए।
- एक किंवदंती है कि इसे भूतों ने एक रात में बनाया था, लेकिन इसे बनाते- बनाते सुबह हो गई और भूतों को काम अधूरा छोड़कर जाना पड़ा। आज भी इस मंदिर को देखने पर यही लगता है कि इसका निर्माण अधूरा रह गया।
- मंदिर की देखरेख अब भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (एएसआई) कर रही है। अफसरों को भय था कि यदि मंदिर को छेड़ा गया, तो यह गिर सकता है, क्योंकि इसके पत्थर एक के ऊपर एक रखे हैं। इस कारण उन्होंने इसके संरक्षण कार्य से दूरी बना ली।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ एक रात में भूतों ने तैयार किया था यह 1000 साल पुराना मंदिर (हिंदी) bhaskar.com। अभिगमन तिथि: 08 जुलाई, 2020।