खजुराहो: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 4: Line 4:
खजुराहो चंदेल शासकों के प्राधिकार का प्रमुख स्‍थान था जिन्‍होंने यहाँ अनेकों तालाबों, शिल्‍पकला की भव्‍यता और वास्‍तुकलात्‍मक सुंदरता से सजे विशालकाय मंदिर बनवाए। यशोवरमन<ref>(एडी 954)</ref> ने विष्‍णु का मंदिर बनवाया जो अब लक्ष्‍मण मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है और यह चंदेल राजाओं की प्रतिष्‍ठा का दावा करने वाले इसके समय के एक उदाहरण के रूप में एक आभूषण के रूप में स्थित है।
खजुराहो चंदेल शासकों के प्राधिकार का प्रमुख स्‍थान था जिन्‍होंने यहाँ अनेकों तालाबों, शिल्‍पकला की भव्‍यता और वास्‍तुकलात्‍मक सुंदरता से सजे विशालकाय मंदिर बनवाए। यशोवरमन<ref>(एडी 954)</ref> ने विष्‍णु का मंदिर बनवाया जो अब लक्ष्‍मण मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है और यह चंदेल राजाओं की प्रतिष्‍ठा का दावा करने वाले इसके समय के एक उदाहरण के रूप में एक आभूषण के रूप में स्थित है।
विश्‍वनाथ, पार्श्‍व नाथ और वैद्य नाथ के मंदिर राजा डांगा के समय से हैं जो यशोवरमन के उत्तरवर्ती थे। खजुराहो का सबसे बड़ा और महान मंदिर अनश्‍वर कंदारिया महादेव का है जिसे राजा गंडा<ref>(एडी 1017-29)</ref> ने बनवाया है। इसके अलावा कुछ अन्‍य उदाहरण हैं जैसे कि बामन, आदि नाथ, जवारी, चतुर्भुज और दुल्‍हादेव कुछ छोटे किन्‍तु विस्‍तृत रूप से संकल्पित मंदिर हैं। खजुराहो का मंदिर समूह अपनी भव्‍य छतों (जगती) और कार्यात्‍मक रूप से प्रभावी योजनाओं के लिए भी उल्‍लेखनीय है। यहाँ की शिल्‍पकलाओं में धार्मिक छवियों के अलावा परिवार, पार्श्‍व, अवराणा देवता, दिकपाल और अप्‍सराएँ तथा सूर सुंदरियाँ भी हैं, जो उनकी कोमल और युवा नारीत्‍व के रूप में अपनी अपार सुंदरता के लिए विश्‍व भर में प्रशंसित हैं। यहाँ वेशभूषा और आभूषण भव्‍यता और मनमोहक हैं।<ref>{{cite web |url= |title= |accessmonthday= |accessyear= |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language= }}</ref>
विश्‍वनाथ, पार्श्‍व नाथ और वैद्य नाथ के मंदिर राजा डांगा के समय से हैं जो यशोवरमन के उत्तरवर्ती थे। खजुराहो का सबसे बड़ा और महान मंदिर अनश्‍वर कंदारिया महादेव का है जिसे राजा गंडा<ref>(एडी 1017-29)</ref> ने बनवाया है। इसके अलावा कुछ अन्‍य उदाहरण हैं जैसे कि बामन, आदि नाथ, जवारी, चतुर्भुज और दुल्‍हादेव कुछ छोटे किन्‍तु विस्‍तृत रूप से संकल्पित मंदिर हैं। खजुराहो का मंदिर समूह अपनी भव्‍य छतों (जगती) और कार्यात्‍मक रूप से प्रभावी योजनाओं के लिए भी उल्‍लेखनीय है। यहाँ की शिल्‍पकलाओं में धार्मिक छवियों के अलावा परिवार, पार्श्‍व, अवराणा देवता, दिकपाल और अप्‍सराएँ तथा सूर सुंदरियाँ भी हैं, जो उनकी कोमल और युवा नारीत्‍व के रूप में अपनी अपार सुंदरता के लिए विश्‍व भर में प्रशंसित हैं। यहाँ वेशभूषा और आभूषण भव्‍यता और मनमोहक हैं।<ref>{{cite web |url= |title= |accessmonthday= |accessyear= |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language= }}</ref>
Pasted from <http://bharat.gov.in/knowindia/khajuraho.php>
==इतिहास==
==इतिहास==
खजुराहो का प्राचीन नाम 'खर्जुरवाहक' है। 900 से 1150 ई. के बीच यह चन्देल राजपूतों के राजघरानों के संरक्षण में राजधानी और नगर था, जो एक विस्तृत क्षेत्र 'जेजाकभुक्ति' (अब मध्य प्रदेश का [[बुंदेलखंड]] क्षेत्र) के शासक थे। चन्देलों के राज्य की नींव आठवीं शती ई. में [[महोबा उत्तर प्रदेश|महोबा]] के चन्देल नरेश चंद्रवर्मा ने डाली थी। तब से लगभग पाँच शतियों तक चन्देलों की राज्यसत्ता जुझौति में स्थापित रही। इनका मुख्य दुर्ग [[कालिंजर]] तथा मुख्य अधिष्ठान महोबा में था। 11वीं शती के उत्तरार्द्ध में [[चन्देल|चन्देलों]] ने पहाड़ी क़िलों को अपनी गतिविधियों का केन्द्र बना लिया। लेकिन खजुराहो का धार्मिक महत्व 14वीं शताब्दी तक बना रहा। इसी काल में अरबी यात्री इब्न बतूता यहाँ पर योगियों से मिलने आया था। खजुराहो धीरे-धीरे नगर से गाँव में परिवर्तित हो गया और फिर यह लगभग विस्मृति में खो गया।
खजुराहो का प्राचीन नाम 'खर्जुरवाहक' है। 900 से 1150 ई. के बीच यह चन्देल राजपूतों के राजघरानों के संरक्षण में राजधानी और नगर था, जो एक विस्तृत क्षेत्र 'जेजाकभुक्ति' (अब मध्य प्रदेश का [[बुंदेलखंड]] क्षेत्र) के शासक थे। चन्देलों के राज्य की नींव आठवीं शती ई. में [[महोबा उत्तर प्रदेश|महोबा]] के चन्देल नरेश चंद्रवर्मा ने डाली थी। तब से लगभग पाँच शतियों तक चन्देलों की राज्यसत्ता जुझौति में स्थापित रही। इनका मुख्य दुर्ग [[कालिंजर]] तथा मुख्य अधिष्ठान महोबा में था। 11वीं शती के उत्तरार्द्ध में [[चन्देल|चन्देलों]] ने पहाड़ी क़िलों को अपनी गतिविधियों का केन्द्र बना लिया। लेकिन खजुराहो का धार्मिक महत्व 14वीं शताब्दी तक बना रहा। इसी काल में अरबी यात्री इब्न बतूता यहाँ पर योगियों से मिलने आया था। खजुराहो धीरे-धीरे नगर से गाँव में परिवर्तित हो गया और फिर यह लगभग विस्मृति में खो गया।

Revision as of 07:39, 13 October 2010

[[चित्र:Khajuraho-Temple-Madhya-Pradesh-7.jpg|thumb|250px|खजुराहो मन्दिर, मध्य प्रदेश
Khajuraho Temple, Madhya Pradesh]] खजुराहो भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त में स्थित एक प्रमुख शहर है जो अपने प्राचीन एवं मध्यकालीन मंदिरों के लिये विश्वविख्यात है।

परिचय

खजुराहो चंदेल शासकों के प्राधिकार का प्रमुख स्‍थान था जिन्‍होंने यहाँ अनेकों तालाबों, शिल्‍पकला की भव्‍यता और वास्‍तुकलात्‍मक सुंदरता से सजे विशालकाय मंदिर बनवाए। यशोवरमन[1] ने विष्‍णु का मंदिर बनवाया जो अब लक्ष्‍मण मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है और यह चंदेल राजाओं की प्रतिष्‍ठा का दावा करने वाले इसके समय के एक उदाहरण के रूप में एक आभूषण के रूप में स्थित है। विश्‍वनाथ, पार्श्‍व नाथ और वैद्य नाथ के मंदिर राजा डांगा के समय से हैं जो यशोवरमन के उत्तरवर्ती थे। खजुराहो का सबसे बड़ा और महान मंदिर अनश्‍वर कंदारिया महादेव का है जिसे राजा गंडा[2] ने बनवाया है। इसके अलावा कुछ अन्‍य उदाहरण हैं जैसे कि बामन, आदि नाथ, जवारी, चतुर्भुज और दुल्‍हादेव कुछ छोटे किन्‍तु विस्‍तृत रूप से संकल्पित मंदिर हैं। खजुराहो का मंदिर समूह अपनी भव्‍य छतों (जगती) और कार्यात्‍मक रूप से प्रभावी योजनाओं के लिए भी उल्‍लेखनीय है। यहाँ की शिल्‍पकलाओं में धार्मिक छवियों के अलावा परिवार, पार्श्‍व, अवराणा देवता, दिकपाल और अप्‍सराएँ तथा सूर सुंदरियाँ भी हैं, जो उनकी कोमल और युवा नारीत्‍व के रूप में अपनी अपार सुंदरता के लिए विश्‍व भर में प्रशंसित हैं। यहाँ वेशभूषा और आभूषण भव्‍यता और मनमोहक हैं।[3]

इतिहास

खजुराहो का प्राचीन नाम 'खर्जुरवाहक' है। 900 से 1150 ई. के बीच यह चन्देल राजपूतों के राजघरानों के संरक्षण में राजधानी और नगर था, जो एक विस्तृत क्षेत्र 'जेजाकभुक्ति' (अब मध्य प्रदेश का बुंदेलखंड क्षेत्र) के शासक थे। चन्देलों के राज्य की नींव आठवीं शती ई. में महोबा के चन्देल नरेश चंद्रवर्मा ने डाली थी। तब से लगभग पाँच शतियों तक चन्देलों की राज्यसत्ता जुझौति में स्थापित रही। इनका मुख्य दुर्ग कालिंजर तथा मुख्य अधिष्ठान महोबा में था। 11वीं शती के उत्तरार्द्ध में चन्देलों ने पहाड़ी क़िलों को अपनी गतिविधियों का केन्द्र बना लिया। लेकिन खजुराहो का धार्मिक महत्व 14वीं शताब्दी तक बना रहा। इसी काल में अरबी यात्री इब्न बतूता यहाँ पर योगियों से मिलने आया था। खजुराहो धीरे-धीरे नगर से गाँव में परिवर्तित हो गया और फिर यह लगभग विस्मृति में खो गया।

मन्दिरों की खोज़

1838 में एक ब्रिटिश इंजीनियर कैप्टन टी.एस. बर्ट को अपनी यात्रा के दौरान अपने कहारों से इसकी जानकारी मिली। उन्होंने जंगलों में लुप्त इन मन्दिरों की खोज़ की और उनका अलंकारिक विवरण बंगाल की एशियाटिक सोसाइटी के समक्ष प्रस्तुत किया। 1843 से 1847 के बीच छतरपुर के स्थानीय महाराजा ने इन मन्दिरों की मरम्मत कराई। मेजर जनरल अलेक्ज़ेंडर कनिंघम ने इस स्थान की 1852 के बाद कई यात्राएँ कीं और इन मन्दिरों का व्यवस्थाबद्ध वर्णन अपनी 'आर्कियोलाजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया रिपोर्ट्स' में किया। खजुराहों के स्मारक अब भारत के पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग की देखभाल और निरीक्षण में हैं। जिसने अनेक टीलों की खुदाई का कार्य करवाया है। [[चित्र:Khajuraho-Temple-Madhya-Pradesh-4.jpg|thumb|250px|left|खजुराहो मन्दिर, मध्य प्रदेश
Khajuraho Temple, Madhya Pradesh]] इनमें लगभग 18 स्थानों की पहचान कर ली गई है। खजुराहो को यूनेस्को से 1986 ई. में विश्व धरोहर स्थल का दर्जा भी मिला। आधुनिक खजुराहो एक छोटा-सा गाँव है, जो होटलों और हवाई अड्डे के साथ पर्यटन व्यापार की सुविधा उपलब्ध कराता है।

कलात्मकता

खजुराहो के मंदिर भारतीय स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना हैं। खजुराहो में चंदेल राजाओं द्वारा बनवाए गए ख़ूबसूरत मंदिरो में की गई कलाकारी इतनी सजीव है कि कई बार मूर्तियाँ खुद बोलती हुई मालूम देती हैं। दुनिया को भारत का खजुराहो के कलात्मक मंदिर एक अनमोल तोहफा हैं। उस समय की भारतीय कला का परिचय इनमे पत्थर की सहायता से उकेरी गई कलात्मकता देती है। खजुराहो के मंदिरों को देखने के बाद कोई भी इन्हें बनाने वाले हाथों की तारीफ़ किए बिना नहीं रह सकता।

निर्माण के पीछे कथा

खजुराहो के मंदिरों के निर्माण के पीछे एक बेहद रोचक कथा है। कहा जाता है कि हेमवती एक ब्राह्मण पुजारी की बेटी थी। एक बार जब जंगल के तालाब में नहा रही थी, तो चंद्र देव यानी कि चंद्रमा उस पर मोहित हो गए और दोनों के एक बेटा हुआ। हेमवती ने अपने बेटे का नाम चंद्रवर्मन रखा। इसी चंद्रवर्मन ने बाद में चंदेल वंश की स्थापना की। चंद्रवर्मन का लालन-पालन उसकी मां ने जंगल में किया था। राजा बनने के बाद उसने मां का सपना पूरा करने की ठानी। उसकी मां चाहती थी कि मनुष्य की तमाम मुद्राओं को पत्थर पर उकेरा जाए। इस तरह चंद्रवर्मन की मां हेमवती की इच्छा स्वरूप इन ख़ूबसूरत मंदिरों का निर्माण हुआ। खजुराहो के ये मंदिर पूरी दुनिया के लिए एक धरोहर हैं।

वीथिका

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. (एडी 954)
  2. (एडी 1017-29)
  3. Error on call to Template:cite web: Parameters url and title must be specified। ।

संबंधित लेख