हिन्दी सामान्य ज्ञान 4: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 7: Line 7:
|
|
<quiz display=simple>
<quiz display=simple>
{'लहरे व्योम चूमती उठती। चपलाएं असंख्य नचती।' पंक्ति [[जयशंकर प्रसाद]] के किस रचना का अंश है?
{'लहरें व्योम चूमती उठती। चपलाएँ असंख्य नचती।' पंक्ति [[जयशंकर प्रसाद]] के किस रचना का अंश है?
|type="()"}
|type="()"}
-लहर
-लहर
Line 14: Line 14:
+कामायनी
+कामायनी


{'दुरित, दुःख, दैन्य न थे जब ज्ञात। पंक्ति अपरिचित जरा- मरण -भ्रू पात।।' पंक्ति के रचनाकार हैं?
{'दुरित, दुःख, दैन्य न थे जब ज्ञात,/ अपरिचित जरा-मरण-भ्रू पात।।' पंक्ति के रचनाकार हैं?
|type="()"}
|type="()"}
-[[सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला]]
-[[सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला]]
Line 20: Line 20:
+[[सुमित्रानंदन पंत]]
+[[सुमित्रानंदन पंत]]
-[[महादेवी वर्मा]]
-[[महादेवी वर्मा]]
||सुमित्रानंदन पंत हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार स्तंभों में से एक है। सुमित्रानंदन पंत उस नये युग के प्रवर्तक के रूप में आधुनिक हिन्दी साहित्य में उदित हुए। सुमित्रानंदन पंत का जन्म [[20 मई]] [[1900]] में कौसानी, [[उत्तराखण्ड]], [[भारत]] में हुआ था। जन्म के छह घंटे बाद ही माँ को क्रूर मृत्यु ने छीन लिया। शिशु को उसकी दादी ने पाला पोसा। शिशु का नाम रखा गया गुसाई दत्त।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सुमित्रानंदन पंत]]
||सुमित्रानंदन पंत हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार स्तंभों में से एक हैं। सुमित्रानंदन पंत उस नये युग के प्रवर्तक के रूप में आधुनिक हिन्दी साहित्य में उदित हुए। सुमित्रानंदन पंत का जन्म [[20 मई]] [[1900]] में कौसानी, [[उत्तराखण्ड]], [[भारत]] में हुआ था। जन्म के छह घंटे बाद ही माँ को क्रूर मृत्यु ने छीन लिया। शिशु को उसकी दादी ने पाला पोसा। शिशु का नाम रखा गया गुसाई दत्त।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सुमित्रानंदन पंत]]
 
{'काल का अकरुण भृकुटि -विलास। तुमारा ही परिहास।।' नामक पंक्ति पंत की किस कविता का अंश है?
|type="()"}
+परिवर्तन
-नौका विहार
-मौन निमंत्रण
-ओ रहस्य


{'निराला के [[राम]] [[तुलसीदास]] के राम से भिन्न और भवभूति के राम के निकट हैं।' यह कथन किस [[हिन्दी]] आलोचना का है?
{'निराला के [[राम]] [[तुलसीदास]] के राम से भिन्न और भवभूति के राम के निकट हैं।' यह कथन किस [[हिन्दी]] आलोचना का है?
Line 56: Line 49:
-नेमिचन्द्र जैन में
-नेमिचन्द्र जैन में
+अज्ञेय में
+अज्ञेय में
{'वह उस महत्ता का। हम सरीखों के लिए उपयोग। उस आंतरिकता का बताता में महत्व।।' पंक्तियाँ मुक्तिबोध की किस कविता से ली गई हैं?
|type="()"}
+ब्रह्मराक्षस
-भूलगलती
-पता नहीं
-अँधेरे में
{ऋतु वसंत का सुप्रभात था। मंद मंद था अनिल बह रहा॥ बालारुण की मृदु किरणें थीं। अगल बगल स्वर्णाभ शिखर थे॥' ये पंक्तियाँ [[नागार्जुन]] की किस कविता की हैं?
|type="()"}
-प्रतिबद्ध हूँ
-तालाब की [[मछली|मछलियाँ]]
+बादल को घिरते देखा है
-सिन्दूर तिलकित भाल


{भारतेन्दु कृत 'भारत दुर्दशा' किस साहित्य रूप का हिस्सा है?
{भारतेन्दु कृत 'भारत दुर्दशा' किस साहित्य रूप का हिस्सा है?
Line 78: Line 57:
-जीवनी साहित्य
-जीवनी साहित्य


{'जो अपनी जान खपाते हैं, उनका हक उन लोगों से ज्यादा है, जो केवल रुपया लगाते हैं।' यह कथन 'गोदान' के किस पात्र द्वारा कहा गया है?
{'जो अपनी जान खपाते हैं, उनका हक उन लोगों से ज़्यादा है, जो केवल रुपया लगाते हैं।' यह कथन 'गोदान' के किस पात्र द्वारा कहा गया है?
|type="()"}
|type="()"}
-मालती
-मालती
Line 91: Line 70:
-भटार्क
-भटार्क
-प्रपंचबुद्धि
-प्रपंचबुद्धि
{'मनुष्य अपूर्ण है, इसलिए सत्य का विकास जो उसके द्वारा होता है, अपूर्ण होता है. यही विकास का रहस्य है।' यह कथन 'स्कन्दगुप्त' नाटक के किस पात्र का है?
|type="()"}
+प्रख्यातकीर्ति
-देवसेना
-मातृगुप्त
-धातुसेन
{'विश्व -प्रेम, सर्व-भूत हित-कामना परम धर्म हैः परंतु इसका अर्थ यह नहीं हो सकता कि अपने पर प्रेम न हो।' यह कथन 'स्कन्दगुप्त' नाटक के किस पात्र का है?
|type="()"}
-बंधु वर्मा
-चक्रपालित
-भीम वर्मा
+जयमाला


{'मनुष्य के आचरण के प्रवर्तक भाव या मनोविकार ही होते हैं, बुद्धि नहीं।' यह कथन है?
{'मनुष्य के आचरण के प्रवर्तक भाव या मनोविकार ही होते हैं, बुद्धि नहीं।' यह कथन है?
Line 114: Line 78:
-बालकृष्ण भट्ट का
-बालकृष्ण भट्ट का


{'रस मीमांसा' रस -सिद्धांत से सम्बन्धित पुस्तक है, इस पुस्तक के लेखक हैं?
{'रस मीमांसा' रस-सिद्धांत से सम्बन्धित पुस्तक है, इस पुस्तक के लेखक हैं?
|type="()"}
|type="()"}
-[[डॉ. श्यामसुन्दर दास]]
-[[डॉ. श्यामसुन्दर दास]]
Line 128: Line 92:
+[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]]
+[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]]


 
{मनुष्य से बड़ा है उसका अपना विश्वास और उसका ही रचा हुआ विधान। अपने विश्वास और विधान के सम्मुख ही मनुष्य विवशता अनुभव करता है और स्वयं ही वह उसे बदल भी देता है॥' यह कथन किस उपन्यासकार ने लिखा है?
{मनुष्य से बड़ा है उसका अपना विश्वास और उसका ही रचा हुआ विधान। अपने आप में विवशता का अनुभव करता है और स्वयं ही वह उसे बदल भी देता है॥' यह कथन किस उपन्यासकार ने लिखा है?
|type="()"}
|type="()"}
-[[मुंशी प्रेमचंद|प्रेमचन्द्र]]
-[[मुंशी प्रेमचंद|प्रेमचन्द्र]]
Line 136: Line 99:
-यशपाल
-यशपाल


{'अपने अतीत का मनन और मंथन हम भविष्य के लिए संकेत पाने के प्रयोजन से करते हैं।' यह कथन किस उपन्यासकार का है?
{वीरों का कैसा हो वसंत कविता के रचयिता हैं?
|type="()"}
+[[हजारी प्रसाद द्विवेदी]]
-यशपाल
-वृन्दावनलाल वर्मा
-रांगेय राघव
 
{वीरो का कैसा हो वसंत कविता के रचयिता हैं?
|type="()"}
|type="()"}
-केदारनाथ
-केदारनाथ
Line 152: Line 108:
{'संदेश रासक' के रचयिता हैं?
{'संदेश रासक' के रचयिता हैं?
|type="()"}
|type="()"}
-[[अमीर खुसरो]]
-[[अमीर ख़ुसरो]]
-रसनिधि
-रसनिधि
-रसलीन
-रसलीन

Revision as of 07:56, 13 January 2011

सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
राज्यों के सामान्य ज्ञान

पन्ने पर जाएँ

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59 | 60 | 61 | 62 | 63 | 64 | 65 | 66 | 67 | 68 | 69 | 70 | 71 | 72 | 73 | 74 | 75 | 76 | 77 | 78 | 79 | 80 | 81 | 82 | 83 | 84 | 85 | 86 | 87 | 88 | 89 | 90 | 91 | 92 | 93 | 94 | 95 | 96 | 97 | 98 | 99 | 100 | 101 | 102 | 103 | 104 | 105 | 106 | 107 | 108 | 109 | 110 | 111 | 112 | 113 | 114 | 115 | 116 | 117 | 118 | 119 | 120 | 121 | 122 | 123 | 124 | 125 | 126 | 127 | 128 | 129 | 130 | 131 | 132 | 133 | 134 | 135 | 136 | 137 | 138 | 139 | 140 | 141 | 142 | 143 | 144 | 145 | 146 | 147 | 148 | 149 | 150 | 151 | 152 | 153 | 154 | 155 | 156 | 157 | 158 | 159 | 160 | 161 | 162 | 163 | 164 | 165 | 166 | 167 | 168 | 169 | 170 | 171 | 172 | 173 | 174 | 175 | 176 | 177 | 178 | 179 | 180 | 181 | 182 | 183 | 184 | 185 | 186 | 187 | 188 | 189 | 190 | 191 | 192 | 193 | 194 | 195 | 196 | 197 | 198 | 199 | 200 | 201 | 202 | 203 | 204 | 205 | 206 | 207 | 208 | 209 | 210 | 211 | 212 | 213 | 214 | 215 | 216 | 217 | 218 | 219 | 220 | 221 | 222 | 223 | 224 | 225 | 226 | 227 | 228 | 229 | 230 | 231 | 232 | 233 | 234 | 235 | 236 | 237 | 238 | 239 | 240 | 241 | 242 | 243 | 244 | 245 | 246 | 247 | 248 | 249 | 250 | 251 | 252 | 253 | 254 | 255 | 256 | 257 | 258 | 259 | 260 | 261 | 262 | 263 | 264 | 265 | 266 | 267 | 268 | 269 | 270 | 271 | 272 | 273 | 274 | 275 | 276 | 277 | 278 | 279 | 280 | 281 | 282 | 283 | 284 | 285 | 286 | 287 | 288 | 289 | 290 | 291 | 292 | 293 | 294 | 295 | 296 | 297 | 298 | 299 | 300 | 301 | 302 | 303 | 304 | 305 | 306 | 307 | 308 | 309 | 310 | 311 | 312 | 313 | 314 | 315 | 316 | 317 | 318 | 319 | 320 | 321 | 322 | 323 | 324 | 325 | 326 | 327 | 328 | 329 | 330 | 331 | 332 | 333 | 334 | 335 | 336 | 337 | 338 | 339 | 340 | 341 | 342 | 343 | 344 | 345 | 345 | 346 | 347

1 'लहरें व्योम चूमती उठती। चपलाएँ असंख्य नचती।' पंक्ति जयशंकर प्रसाद के किस रचना का अंश है?

लहर
झरना
आँसू
कामायनी

2 'दुरित, दुःख, दैन्य न थे जब ज्ञात,/ अपरिचित जरा-मरण-भ्रू पात।।' पंक्ति के रचनाकार हैं?

सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
जयशंकर प्रसाद
सुमित्रानंदन पंत
महादेवी वर्मा

3 'निराला के राम तुलसीदास के राम से भिन्न और भवभूति के राम के निकट हैं।' यह कथन किस हिन्दी आलोचना का है?

डॉ. रामस्वरूप चतुर्वेदी
डॉ. सूर्यप्रसाद दीक्षित
डॉ. रामविलास शर्मा
डॉ. गंगाप्रसाद पाण्डेय

4 'राम की शक्तिपूजा' में निराला की इन दो कविताओं का सारतत्व समाहित है?

तुलसीदास और सरोजस्मृति
तुलसीदास और बादल
सरोजस्मृति और तोड़ती पत्थर
जागो फिर एक बार और तुलसीदास

5 किस छायावादी कवि ने संवाद शैली का सर्वाधिक उपयोग किया है?

जयशंकर प्रसाद
सुमित्रानंदन पंत
महादेवी वर्मा
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

6 व्यवस्थाप्रियता और विद्रोह का विलक्षण संयोग किस प्रयोगवादी कवि में सबसे अधिक मिलता है?

गजानन माधव मुक्तिबोध में
भारतभूषण अग्रवाल में
नेमिचन्द्र जैन में
अज्ञेय में

7 भारतेन्दु कृत 'भारत दुर्दशा' किस साहित्य रूप का हिस्सा है?

कथा साहित्य
नाटक साहित्य
संस्मरण साहित्य
जीवनी साहित्य

8 'जो अपनी जान खपाते हैं, उनका हक उन लोगों से ज़्यादा है, जो केवल रुपया लगाते हैं।' यह कथन 'गोदान' के किस पात्र द्वारा कहा गया है?

मालती
ओंकारनाथ
महतो
खन्ना

9 'पवित्रता की माप है, मलिनता, सुख का आलोचना है. दुःख, पुण्य की कसौटी है पाप।' यह कथन 'स्कन्दगुप्त' नाटक के किस पात्र का है?

विजया
देवसेना
भटार्क
प्रपंचबुद्धि

10 'मनुष्य के आचरण के प्रवर्तक भाव या मनोविकार ही होते हैं, बुद्धि नहीं।' यह कथन है?

सरदार पूर्णसिंह का
रामचन्द्र शुक्ल का
महावीर प्रसाद द्विवेदी का
बालकृष्ण भट्ट का

11 'रस मीमांसा' रस-सिद्धांत से सम्बन्धित पुस्तक है, इस पुस्तक के लेखक हैं?

डॉ. श्यामसुन्दर दास
डॉ. गुलाब राय
डॉ. नगेन्द्र
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल

12 'यह युग (भारतेन्दु) बच्चे के समान हँसता-खेलता आया था, जिसमें बच्चों की सी निश्छलता' अक्खड़पन, सरलता और तन्मयता थी।' यह कथन किस आलोचक का है?

डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल
डॉ. रामविलास शर्मा
डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल

13 मनुष्य से बड़ा है उसका अपना विश्वास और उसका ही रचा हुआ विधान। अपने विश्वास और विधान के सम्मुख ही मनुष्य विवशता अनुभव करता है और स्वयं ही वह उसे बदल भी देता है॥' यह कथन किस उपन्यासकार ने लिखा है?

प्रेमचन्द्र
भगवतीचरण वर्मा
हजारी प्रसाद द्विवेदी
यशपाल

14 वीरों का कैसा हो वसंत कविता के रचयिता हैं?

केदारनाथ
अज्ञेय
धर्मवीर भारती
सुभद्रा कुमारी चौहान

15 'संदेश रासक' के रचयिता हैं?

अमीर ख़ुसरो
रसनिधि
रसलीन
अब्दुल रहमान

16 'साखी' के रचयिता हैं?

रसखान
सूरदास
रहीम
कबीरदास

17 मसि कागद छुयो नहीं कलम गही नहिं हाथ॥ प्रस्तुत पंक्ति के रचयिता हैं?

दादू दयाल
रैदास
कबीरदास
सुन्दर दास

18 लोग हैं लागि कवित्त बनावत, मोहिं तो मेरे कवित्त बनावत प्रस्तुत पंक्ति के रचयिता हैं?

केशवदास
भिखारी दास
घनानन्द
पद्माकर