मुबारक़ शाह: Difference between revisions
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*अपने शासन काल में मुबारक शाह ने भटिण्डा एवं दोआब मे हुए विद्रोह को सफलतापूर्वक दबाया, परन्तु खोक्खर जाति के नेता जसरथ द्वारा किये गये विद्रोह को दबाने में वह असफल रहा। | *अपने शासन काल में मुबारक शाह ने भटिण्डा एवं दोआब मे हुए विद्रोह को सफलतापूर्वक दबाया, परन्तु खोक्खर जाति के नेता जसरथ द्वारा किये गये विद्रोह को दबाने में वह असफल रहा। | ||
*मुबारक शाह के समय में पहली बार [[दिल्ली सल्तनत]] में दो | *मुबारक शाह के समय में पहली बार [[दिल्ली सल्तनत]] में दो महत्त्वपूर्ण [[हिन्दू]] अमीरों का उल्लेख मिलता है। | ||
*मुबारक शाह के वज़ीर ‘सरवर-उल-मुल्क’ ने षड़यन्त्र द्वारा 19 फ़रवरी, 1434 को उस समय उसकी हत्या कर दी, जिस समय वह अपने द्वारा निर्मित नये नगर ‘मुबारकाबाद’ का निरीक्षण कर रहा था। | *मुबारक शाह के वज़ीर ‘सरवर-उल-मुल्क’ ने षड़यन्त्र द्वारा 19 फ़रवरी, 1434 को उस समय उसकी हत्या कर दी, जिस समय वह अपने द्वारा निर्मित नये नगर ‘मुबारकाबाद’ का निरीक्षण कर रहा था। | ||
*मुबारक शाह ने वीरतापूर्वक विद्रोहों का दमन किया, सुल्तान के पद की प्रतिष्ठा बढायी और अपने राज्य की सीमाओं को सुरक्षित किया। | *मुबारक शाह ने वीरतापूर्वक विद्रोहों का दमन किया, सुल्तान के पद की प्रतिष्ठा बढायी और अपने राज्य की सीमाओं को सुरक्षित किया। |
Revision as of 10:40, 13 March 2011
- खिज्र ख़ाँ ने अपने पुत्र मुबारक शाह (1421-1434 ई.) को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया था।
- मुबारक शाह ने ‘शाह’ की उपाधि ग्रहण कर अपने नाम के सिक्के जारी किये थे।
- उसने अपने नाम से खुतबा (प्रशंसात्मक रचना) पढ़वाया और इस प्रकार विदेशी स्वामित्व का अन्त किया।
- अपने पिता की भाँति उसे भी विद्रोहों का दमन और राजस्व वसूली के लिए नियमित सैनिक यात्राएँ करनी पड़ीं।
- अपने शासन काल में मुबारक शाह ने भटिण्डा एवं दोआब मे हुए विद्रोह को सफलतापूर्वक दबाया, परन्तु खोक्खर जाति के नेता जसरथ द्वारा किये गये विद्रोह को दबाने में वह असफल रहा।
- मुबारक शाह के समय में पहली बार दिल्ली सल्तनत में दो महत्त्वपूर्ण हिन्दू अमीरों का उल्लेख मिलता है।
- मुबारक शाह के वज़ीर ‘सरवर-उल-मुल्क’ ने षड़यन्त्र द्वारा 19 फ़रवरी, 1434 को उस समय उसकी हत्या कर दी, जिस समय वह अपने द्वारा निर्मित नये नगर ‘मुबारकाबाद’ का निरीक्षण कर रहा था।
- मुबारक शाह ने वीरतापूर्वक विद्रोहों का दमन किया, सुल्तान के पद की प्रतिष्ठा बढायी और अपने राज्य की सीमाओं को सुरक्षित किया।
- इस प्रकार मुबारक शाह सैयद वंश के सुल्तानों में योग्यतम सुल्तान सिद्ध हुआ।
- उसने विद्धान 'याहिया बिन अहमद सरहिन्दी' को अपना राज्याश्रय प्रदान किया था। उसके ग्रंथ ‘तारीख-ए-मुबारकशाही’ से मुबारक शाह के शासन काल के विषय में जानकारी मिलती है।
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