मुइज़ुद्दीन बहरामशाह

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
  • रज़िया सुल्तान को अपदस्थ करके तुर्की सरदारों ने मुइज़ुद्दीन बहरामशाह (1240-1242 ई.) को दिल्ली के तख्त पर बैठाया।
  • सुल्तान के अधिकार को कम करने के लिए तुर्क सरदारों ने एक नये पद ‘नाइब’ अर्थात 'नाइब-ए-मुमलिकात' का सृजन किया।
  • इस पद पर नियुक्त व्यक्ति संपूर्ण अधिकारों का स्वामी होता था।
  • मुइज़ुद्दीन बहरामशाह के समय में इस पद पर सर्वप्रथम मलिक इख्तियारुद्दीन एतगीन को नियुक्त किया गया।
  • अपनी स्थिति सुदृढ़ करने के लिए एतगीन ने बहरामशाह की तलाक़शुदा बहन से विवाह कर लिया।
  • कालान्तर में इख्तियारुद्दीन एतगीन की शक्ति इतनी बढ़ गई कि, उसने अपने महल के सामने सुल्तान की तरह नौबत एवं हाथी रखना आरम्भ कर दिया था।
  • सुल्तान ने इसे अपने अधिकारों में हस्तक्षेप समझ कर उसकी हत्या करवा दी।
  • एतगीन की मृत्यु के बाद नाइब के सारे अधिकार ‘अमीर-ए-हाजिब’ बदरुद्दीन संकर रूमी ख़ाँ के हाथों में आ गए।
  • रूमी ख़ाँ द्वारा सुल्तान की हत्या हेतु षडयंत्र रचने के कारण उसकी एवं सरदार सैयद ताजुद्दीन की हत्या कर दी गई।
  • इन हत्याओं के कारण सुल्तान के विरुद्ध अमीरों और तुर्की सरदारों में भयानक असन्तोष व्याप्त हो गया।
  • 1241 ई. में मंगोल आक्रमणकारियों द्वारा पंजाब पर आक्रमण के समय रक्षा के लिए भेजी गयी सेना को बहरामशाह के विरुद्ध भड़का दिया गया।
  • सेना वापस दिल्ली की ओर मुड़ गई और मई, 1241 ई. में तुर्क सरदारों ने दिल्ली पर क़ब्ज़ा कर बहरामशाह का वध कर दिया।
  • तुर्क सरदारों ने बहरामशाह के पौत्र अलाउद्दीन मसूद को अगला सुल्तान बनाया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः