तमिलनाडु की कला: Difference between revisions

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'''स्थापत्य कला'''
580 ई. के लगभग पांडय शासक, जो मंदिर निर्माण कला में निपुण थे, शासन के प्रमुख हो गए और 150 सालों तक राज करते रहे। कांचीपुरम उनका प्रमुख केंद्र था। द्रविड़ स्थापत्य इस समय अपने चरम विकास पर था ।
580 ई. के लगभग पांडय शासक, जो मंदिर निर्माण कला में निपुण थे, शासन के प्रमुख हो गए और 150 सालों तक राज करते रहे। कांचीपुरम उनका प्रमुख केंद्र था। द्रविड़ स्थापत्य इस समय अपने चरम विकास पर था ।
[[चित्र:Vivekananda-Rock-Memorial.jpg|thumb|220px|left|[[विवेकानन्द रॉक मेमोरियल]], [[कन्याकुमारी]]<br />Vivekananda Rock Memorial, Kanyakumari]]
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स्थापत्य कला

580 ई. के लगभग पांडय शासक, जो मंदिर निर्माण कला में निपुण थे, शासन के प्रमुख हो गए और 150 सालों तक राज करते रहे। कांचीपुरम उनका प्रमुख केंद्र था। द्रविड़ स्थापत्य इस समय अपने चरम विकास पर था । [[चित्र:Vivekananda-Rock-Memorial.jpg|thumb|220px|left|विवेकानन्द रॉक मेमोरियल, कन्याकुमारी
Vivekananda Rock Memorial, Kanyakumari]] नौवीं सदी में चोल राजाओं का पुन: उदय हुआ । राजाराजा चोल और उसके पुत्र राजेंद्र चोल के नेतृत्व में चोल शासन एशिया के प्रमुख साम्राज्यों में गिना जाता था। उनका साम्राज्य बंगाल तक फैल गया । राजेंद्र चोल की नौ सेना ने बर्मा (म्यांमार ), अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, सुमात्रा, जावा, मलय तथा लक्षद्वीप तक पर अधिकार कर लिया। चोल राजाओं ने भुवन (मंदिर) निर्माण में प्रवीणता हासिल कर ली। तंजावुर का वृहदेश्वर मंदिर इसका सुंदरतम उदाहरण है । 14वीं सदी के आरंभ में पांडय फिर सत्ता में आ गये, किन्तु अधिक दिनों तक सत्ता में रह ना सके । उन्हें उत्तर के मुस्लिम ख़िलजी शासकों ने हरा दिया और उन्होंने मदुरै को लूट लिया गया ।

मुसलमानों ने भी धीरे-धीरे अपनी स्थिति मजबूर कर ली जिसे चौदहवीं शताब्‍दी के मध्‍य में बहमनी सल्‍तनत कायम हुई। लगभग उसी समय विजयनगर साम्राज्‍य ने तेजी अपनी स्थिति मजबूत बना ली और समूचे दक्षिण भारत तक अपना प्रभाव बढा लिया। शताब्‍दी के अंत तक विजयगर साम्राज्‍य दक्षिण की सर्वोच्‍च शाक्ति बन चुका था, किंतु 1564 में तालीकोटा की लडाई में दक्षिण के सुल्तानों की सामूहिक फ़ौजों से वह पराजित हो गया।

तालीकोटा के युद्ध के बाद कुछ समय तक स्थिति अस्‍पष्‍ट रही, लेकिन इस बीच यूरोप के व्‍यापारी अपने व्‍यापारिक हितों के लिए दक्षिण भारत में अपने पैर जमाने के लिए एक-दूसरे से होड़ करने लगे थे। पुर्तग़ाल, हॉलैंड, फ्रांस और इंग्लैंड के लोग एक के बाद एक जल्‍दी-जल्‍दी आए और उन्‍होनें अपने व्‍यापारिक केंद्र स्‍थापित कर लिए, जिन्‍हें उन दिनों फैक्ट्रीज़ कहा जाता था। ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1611 में मछलीपत्तनम(जो अब आंध्र प्रदेश में है) में अपनी फैक्‍ट्री लगाई और धीरे-धीरे उन्‍होंने स्‍थानीय शासकों को आपस में लडाकर उनके क्षेत्र हथिया लिए। ब्रिटिश लोगों ने भारत में सबसे पहले तमिलनाडु में अपनी बस्‍ती बसाई। सन 1901 में मद्रास प्रेसीडेंसी बनी जिसमें दक्षिण प्रायद्वीप के अधिकतर हिस्‍से शामिल थे। बाद में संयुक्‍त मद्रास राज्‍य का पुनर्गठन किया गया और वर्तमान तमिलनाडु राज्‍य अस्तित्‍व में आया।

16वीं सदी के मध्य में विजयनगर साम्राज्य के पतन के पश्चात कुछ पुराने मंदिरों का पुन:र्निमाण किया गया। 1670 तक राज्य का लगभग सम्पूर्ण क्षेत्र मराठों के अधिकार में आ गया । पर मराठे अधिक दिनों तक शासन में नहीं रह सके इसके 50 सालों के बाद मैसूर स्वतंत्र हो गया जिसके अधीन आज के तमिळनाडु का उत्तर-पूर्वी क्षेत्र था । इसके अलावा दक्षिण के राज्य भी स्वतंत्र हो गए । सन 1799 में चौथे आंग्ल-मैसूर युद्ध में टीपू सुल्तान की मृत्यु के बाद यह अंग्रेज़ी शासन में आ गया। तमिल सभ्यता विश्व की पुरातनतम सभ्यताओं में से एक है । तमिल यहाँ की आधिकारिक भाषा है और हाल में ही इसे जनक भाषा का दर्जा मिला । तमिळ भाषा का इतिहास काफ़ी प्राचीन है, जिसका परिवर्तित रूप आज सामान्य बोलचाल में प्रयुक्त होता है ।

तमिलनाडु की सांस्कृतिक विशेषता तंजावुर के भित्तिचित्र, भरतनाटयम, मंदिर-निर्माण तथा अन्य स्थापत्य कलाएं हैं । संत कवि तिरूवल्लुवर का तिरुक्कुरल (तमिल - திருக்குறள் ), प्राचीन तमिल का प्रसिद्ध ग्रंथ है । संगम साहित्य, तमिल के साहित्यिक विकास का दस्तावेज है। तमिल का विकास 20वीं सदी के स्वतंत्रता संग्राम के में भी काफ़ी तेजी से हुआ । तमिलनाडु के उत्तर में आंध्र प्रदेश और कर्नाटक, पश्चिम में केरल, पूर्व में बंगाल की खाड़ी और दक्षिण में हिंद महासागर हैं।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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