देवदास (1936): Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "आवाज" to "आवाज़")
m (Text replace - "शुरूआत" to "शुरुआत")
Line 46: Line 46:
==निर्देशन==
==निर्देशन==
[[चित्र:1935-Saigal-Devdas.jpg|thumb|कुंदनलाल सहगल (देवदास) और जमुना बरुआ (पारो)<br />Kundan Lal Saigal (Devdas) And Jamuna Barua (Paro)]]
[[चित्र:1935-Saigal-Devdas.jpg|thumb|कुंदनलाल सहगल (देवदास) और जमुना बरुआ (पारो)<br />Kundan Lal Saigal (Devdas) And Jamuna Barua (Paro)]]
देवदास पर फ़िल्म बनाने की शुरूआत की बात करें, तो सबसे पहले याद आते हैं पी.सी. बरुआ। यह बात सन 1936 की है। फ़िल्म देवदास सबसे पहले बनी थी [[बांग्ला]] में। बरुआ निर्देशित इस फ़िल्म में देवदास बने थे खुद बरुआ। चंद्रमुखी बनी थीं चंद्रवती देवी और पार्वती का रोल जमुना ने किया था। इस फ़िल्म को जब अपार सफ़लता मिली, तब निर्माता ने बरुआ से इसे हिन्दी में बनाने को कहा। उसकी तैयारी शुरू हुई। इस बार बरुआ ने सिर्फ़ निर्देशन की कमान संभाली और देवदास के रोल के लिए गायक-अभिनेता के रूप में चर्चा में आए कुंदनलाल सहगल को चुना। देवदास के रोल में सहगल को चुनने की वज़ह यह थी कि फ़िल्म हिन्दी में बननी थी और वह ज़माना ऐसा था, जब अभिनेता ख़ुद फ़िल्मों में गीत गाते थे। पार्वती बनीं इस बार भी जमुना और चंद्रमुखी के लिए ख़ूबसूरत हीरोइन राजकुमारी को चुना गया।<ref name="एक और देवदास">{{cite web |url=http://202.86.7.61/cinemaaza/cinema/aalekh/201_205_300853.html |title= एक और देवदास |accessmonthday=[[27 अगस्त]] |accessyear=[[2010]] |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=जागरण |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
देवदास पर फ़िल्म बनाने की शुरुआत की बात करें, तो सबसे पहले याद आते हैं पी.सी. बरुआ। यह बात सन 1936 की है। फ़िल्म देवदास सबसे पहले बनी थी [[बांग्ला]] में। बरुआ निर्देशित इस फ़िल्म में देवदास बने थे खुद बरुआ। चंद्रमुखी बनी थीं चंद्रवती देवी और पार्वती का रोल जमुना ने किया था। इस फ़िल्म को जब अपार सफ़लता मिली, तब निर्माता ने बरुआ से इसे हिन्दी में बनाने को कहा। उसकी तैयारी शुरू हुई। इस बार बरुआ ने सिर्फ़ निर्देशन की कमान संभाली और देवदास के रोल के लिए गायक-अभिनेता के रूप में चर्चा में आए कुंदनलाल सहगल को चुना। देवदास के रोल में सहगल को चुनने की वज़ह यह थी कि फ़िल्म हिन्दी में बननी थी और वह ज़माना ऐसा था, जब अभिनेता ख़ुद फ़िल्मों में गीत गाते थे। पार्वती बनीं इस बार भी जमुना और चंद्रमुखी के लिए ख़ूबसूरत हीरोइन राजकुमारी को चुना गया।<ref name="एक और देवदास">{{cite web |url=http://202.86.7.61/cinemaaza/cinema/aalekh/201_205_300853.html |title= एक और देवदास |accessmonthday=[[27 अगस्त]] |accessyear=[[2010]] |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=जागरण |language=[[हिन्दी]] }}</ref>


==सफ़लता==
==सफ़लता==

Revision as of 10:04, 28 July 2011

देवदास (1936)
निर्देशक पी.सी. बरुआ
निर्माता न्यू थियेटर्स
लेखक शरत चंद्र चट्टोपाध्याय
कलाकार कुंदनलाल सहगल, जमुना बरुआ, राजकुमारी, केदार शर्मा, विक्रम कपूर
प्रसिद्ध चरित्र देवदास
संगीत आर.सी. बोरल, पंकज मलिक
गीतकार श्री केदार शर्मा
गायक कुंदनलाल सहगल
प्रसिद्ध गीत "बालम आए बसो मोरे मन में" और "अब दिन बितत नाहीं, दुख के"
छायांकन विमल रॉय
प्रदर्शन तिथि 1936
अवधि 139 मिनट
भाषा हिन्दी

शरत चंद्र चट्टोपाध्याय के नायाब उपन्यास पर आधारित फ़िल्म देवदास पी.सी. बरुआ के निर्देशन में बनी हिन्दी फ़िल्म थी। जिसका प्रदर्शन 1936 में हुआ था।

कथावस्तु

हिन्दी सिनेमा की एक महत्त्वपूर्ण कृति ’देवदास’ 1936 में बनी थी। "देवदास" की पार्वती, प्रेम और परंपरा का अन्तर्द्वन्द्व झेलती है और अन्तत: उसे परंपरा के दबाब में प्रेम का परित्याग करना पड़ता है। पार्वती कर्तव्यपरायण हिन्दू धर्म पत्नी का फ़र्ज़ निभाती है। पूरी फ़िल्म स्त्री की इस कशमकश को व्यक्त करती है किन्तु फ़िल्म का अंत ‘परंपरा’ के पुराने पड़ जाने और स्त्री की मुक्त आकांक्षा का संकेत कर जाता है। 1936 में इस तरह के संकेत भी महत्त्वपूर्ण माने जा सकते हैं। शायद यही रूप फ़िल्म की लोकप्रियता का एक बड़ा कारण था। यह फ़िल्म स्त्री का रोमानी चित्र प्रस्तुत करती है तो अछूत कन्या (1936) में इसका थोड़ा विस्तार होता है। ‘देवदास’ अमीर-ग़रीब के तनाव पर रची गयी फ़िल्म है।[1]

कुंदनलाल सहगल बने देवदास

हिन्दी फ़िल्मों में कुंदनलाल सहगल वैसे तो एक बेमिसाल गायक के रूप में विख़्यात हैं लेकिन देवदास जैसी चंद फ़िल्मों में अभिनय के कारण उनके प्रशंसक उन्हें एक उम्दा अभिनेता भी करार देते हैं। thumb|left|कुंदनलाल सहगल के सम्मान में डाक टिकट समीक्षक सहगल के अभिनय जीवन में देवदास फ़िल्म का विशेष स्थान मानते हैं। इस फ़िल्म का मुख्य पात्र और उस किरदार को निभा रहे सहगल की निजी ज़िंदगी दोनों में एक समानता थी कि दोनों काफ़ी अधिक शराब पीते थे।

इस फ़िल्म में देवदास के ट्रेन के अंतिम सफ़र और उसके पारो के ससुराल पहुँचने के दृश्यों में सहगल ने बेमिसाल भूमिका अदा की थी। इन दृश्यों में एक शराबी व्यक्ति के बावज़ूद उन्होंने प्रेम के उदार चरित्र को जीवंत कर दिया। सहगल के कुछ प्रशंसक तो यहाँ तक दावा करते हैं कि देवदास में उनका अभिनय बाद में बनी देवदास में दिलीप कुमार के अभिनय से भी कहीं बेहतर है।[2]

गीत-संगीत

देवदास में अभिनेता का किरदार निभाने वाले कुंदनलाल सहगल ने ही देवदास के गाने भी गाए हैं। कुंदनलाल सहगल न सिर्फ़ गायक थे बल्कि अच्छे अभिनेता भी थे और उनकी फ़िल्म देवदास ने 1936 में क़ामयाबी के ऐसे झंडे गाड़े थे जो एक मिसाल बन चुके हैं। सहगल की जगह कोई नहीं ले पाया है। आज तक न तो कोई दूसरा सहगल पैदा हुआ है और न ही भविष्य में होगा।[3]

"बालम आए बसो मोरे मन में" और "अब दिन बितत नाहीं, दुख के" इसके प्रमुख गाने हैं। श्री केदार शर्मा के लिखे गानों ने शरतचंद्र के एक नाकाम, निराश प्रेमी की छवि को अमर बना दिया था।[4]

निर्देशन

thumb|कुंदनलाल सहगल (देवदास) और जमुना बरुआ (पारो)
Kundan Lal Saigal (Devdas) And Jamuna Barua (Paro)
देवदास पर फ़िल्म बनाने की शुरुआत की बात करें, तो सबसे पहले याद आते हैं पी.सी. बरुआ। यह बात सन 1936 की है। फ़िल्म देवदास सबसे पहले बनी थी बांग्ला में। बरुआ निर्देशित इस फ़िल्म में देवदास बने थे खुद बरुआ। चंद्रमुखी बनी थीं चंद्रवती देवी और पार्वती का रोल जमुना ने किया था। इस फ़िल्म को जब अपार सफ़लता मिली, तब निर्माता ने बरुआ से इसे हिन्दी में बनाने को कहा। उसकी तैयारी शुरू हुई। इस बार बरुआ ने सिर्फ़ निर्देशन की कमान संभाली और देवदास के रोल के लिए गायक-अभिनेता के रूप में चर्चा में आए कुंदनलाल सहगल को चुना। देवदास के रोल में सहगल को चुनने की वज़ह यह थी कि फ़िल्म हिन्दी में बननी थी और वह ज़माना ऐसा था, जब अभिनेता ख़ुद फ़िल्मों में गीत गाते थे। पार्वती बनीं इस बार भी जमुना और चंद्रमुखी के लिए ख़ूबसूरत हीरोइन राजकुमारी को चुना गया।[5]

सफ़लता

इस फ़िल्म को भी अपार सफ़लता मिली। बांग्ला संस्करण को जहाँ बंगाल और उससे जुड़े क्षेत्र में ही सफ़लता मिली, वहीं हिन्दी संस्करण का क्षेत्र व्यापक था। फ़िल्म को चारों ओर क़ामयाबी मिली। फ़िल्म की सफ़लता ने सभी कलाकारों को रातोंरात स्टार बना दिया।[5]

मुख्य कलाकार

  • कुंदनलाल सहगल- देवदास
  • जमुना- पार्वती (पारो)
  • राजकुमारी- चंद्रमुखी


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. इलेक्ट्रोनिक मीडिया और महिलाएँ (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) मंत्रा। अभिगमन तिथि: 27 अगस्त, 2010
  2. गायक ही नहीं उम्दा अभिनेता भी थे सहगल (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) जागरण। अभिगमन तिथि: 27 अगस्त, 2010
  3. सहगल ने गायकी को एक नया मुकाम दिया (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) बी बी सी हिन्दी डॉट कॉम। अभिगमन तिथि: 27 अगस्त, 2010
  4. लेकिन दुनिया में कोई दूसरा 'सहगल' नहीं आया (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) आवाज़़। अभिगमन तिथि: 27 अगस्त, 2010
  5. 5.0 5.1 एक और देवदास (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) जागरण। अभिगमन तिथि: 27 अगस्त, 2010

संबंधित लेख