देवीकूप शक्तिपीठ: Difference between revisions
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मंदिर के दक्षिण तरफ द्वैपायन सरोवर तथा उत्तरी-पश्चिमी किनारे पर सूर्य यंत्र तथा दक्षेश्वर महादेव का मंदिर भी है। | *मंदिर के दक्षिण तरफ द्वैपायन सरोवर तथा उत्तरी-पश्चिमी किनारे पर सूर्य यंत्र तथा दक्षेश्वर महादेव का मंदिर भी है। | ||
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[[नवरात्र|नवरात्रों]] में तथा प्रत्येक [[शनिवार]] को यहाँ अपार भक्त समूह पूजा हेतु आता है। | ==यातायात और आवास== | ||
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यात्रियों के ठहरने के लिए मंदिर परिसर में ही धर्म कक्ष भी मौजूद है। | *[[दिल्ली]]-[[अमृतसर]] रेलमार्ग पर कुरुक्षेत्र स्टेशन दिल्ली से 55 किलोमीटर दूर है। सड़क मार्ग से मंदिर दिल्ली-[[अम्बाला]] मार्ग (जी.टी.रोड) प्रियली बस अड्डे से 9 किलोमीटर दूर है। | ||
[[दिल्ली]]-[[अमृतसर]] रेलमार्ग पर कुरुक्षेत्र स्टेशन दिल्ली से 55 किलोमीटर दूर है। सड़क मार्ग से मंदिर दिल्ली-[[अम्बाला]] मार्ग (जी.टी.रोड) प्रियली बस अड्डे से 9 किलोमीटर दूर है। | |||
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Revision as of 05:22, 17 April 2012
- देवीकूप शक्तिपीठ / भद्रकाली पीठ / कुरुक्षेत्र शक्तिपीठ
हिन्दू धर्म के पुराणों के अनुसार जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आया। ये अत्यंत पावन तीर्थ कहलाये। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है। विराट, 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ है।
स्थिति
देवीकूप शक्तिपीठ हरियाणा के कुरुक्षेत्र जंक्शन तथा थानेश्वर रेलवे स्टेशन के दोनों ओर से 4 किलोमीटर दूर झाँसी रोड पर, द्वैपायन सरोवर के पास स्थित एक शक्तिपीठ है।
पौराणिक संदर्भ
यहाँ सती के दाएँ चरण (गुल्फ) का निपात हुआ था। यह शक्तिपीठ श्री देवीकूप (भद्रकाली) पीठ के नाम से मान्य है। यहाँ की शक्ति 'सावित्री' तथा भैरव 'स्थाणु' हैं। इस स्थान का माहात्म्य तंत्र चूड़ामणि में भी मिलता है। कहते हैं कि यहाँ पर पाण्डवों ने महाभारत युद्ध से पूर्व विजय की कामना से माँ काली की उपासना की थी और विजय के पश्चात् स्वर्ण का अश्व चढ़ाया था। आज भी यह प्रथा है कि भक्त यहाँ पर स्वर्ण का तो नहीं, किंतु काठ का घोड़ा चढ़ाते हैं। किम्वदंती है कि कृष्ण तथा बलराम का यहीं पर मुण्डन-संस्कार भी संपन्न हुआ था।
प्रतिमाएँ
इस पीठ में भद्रकाली की विलक्षण प्रतिमा है। गणों के रूप में दक्षिणमुखी हनुमान, गणेश तथा भैरव विद्यमान हैं। यहीं स्थाणु शिव का अद्भुत शिवलिंग भी है,जिसमें प्राकृतिक रूप से ललाट, तिलक एवं सर्प अंकित हैं। मान्यता है कि पहले स्थाणु शिव का दर्शन करके तब भद्रकाली का दर्शन करना चाहिए।
मंदिर और त्योहार
- मंदिर के दक्षिण तरफ द्वैपायन सरोवर तथा उत्तरी-पश्चिमी किनारे पर सूर्य यंत्र तथा दक्षेश्वर महादेव का मंदिर भी है।
- नवरात्रों में तथा प्रत्येक शनिवार को यहाँ अपार भक्त समूह पूजा हेतु आता है।
यातायात और आवास
- यात्रियों के ठहरने के लिए मंदिर परिसर में ही धर्म कक्ष भी मौजूद है।
- दिल्ली-अमृतसर रेलमार्ग पर कुरुक्षेत्र स्टेशन दिल्ली से 55 किलोमीटर दूर है। सड़क मार्ग से मंदिर दिल्ली-अम्बाला मार्ग (जी.टी.रोड) प्रियली बस अड्डे से 9 किलोमीटर दूर है।
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