नंदलाल बोस: Difference between revisions

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इसके बाद ही नंदलाल का संपर्क [[रवीन्द्रनाथ ठाकुर]], आनंद कुमार स्वामी, [[सिस्टर निवेदिता|भगिनी निवेदिता]] आदि से हुआ। उनके चित्रों की प्रशंसा होने लगी और चित्रकार के रूप में उनकी ख्याति बढ़ती गई। पहले वे पौराणिक विषयों और नर-नारी के चित्र अधिक बनाते थे। अब रवि बाबू की कविताओं के आधार पर जीवन की समस्याओं से संबंधित चित्र बनाने लगे। अजंता के चित्रों की प्रतिकृति बनाना उनके जीवन की एक बड़ी सफलता थी। अब उनक चित्रों की प्रशंसा भारत ही नहीं विदेशों में भी होने लगी। राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन का भी उनकी कला पर प्रभाव पड़ा। उन्होंने कांग्रेस अधिवेशनों के पैनल बनाए और [[महात्मा गांधी]] का लाइफ साइज रेखाचित्र बनाया, जो बहुत प्रसिद्ध हुआ।
इसके बाद ही नंदलाल का संपर्क [[रवीन्द्रनाथ ठाकुर]], आनंद कुमार स्वामी, [[सिस्टर निवेदिता|भगिनी निवेदिता]] आदि से हुआ। उनके चित्रों की प्रशंसा होने लगी और चित्रकार के रूप में उनकी ख्याति बढ़ती गई। पहले वे पौराणिक विषयों और नर-नारी के चित्र अधिक बनाते थे। अब रवि बाबू की कविताओं के आधार पर जीवन की समस्याओं से संबंधित चित्र बनाने लगे। अजंता के चित्रों की प्रतिकृति बनाना उनके जीवन की एक बड़ी सफलता थी। अब उनके चित्रों की प्रशंसा भारत ही नहीं विदेशों में भी होने लगी। राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन का भी उनकी कला पर प्रभाव पड़ा। उन्होंने कांग्रेस अधिवेशनों के पैनल बनाए और [[महात्मा गांधी]] का लाइफ साइज रेखाचित्र बनाया, जो बहुत प्रसिद्ध हुआ।


==सम्मान==
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Revision as of 07:34, 3 June 2012

thumb|150px|नंदलाल बोस नंदलाल बोस या नंदलाल बसु (जन्म 3 दिसम्बर, 1882 मुंगेर ज़िले, बिहार; मृत्यु 16 अप्रैल, 1966) भारत के एक प्रसिद्ध चित्रकार थे। नंदलाल बोस ने संविधान की मूल प्रति का डिजाइन बनाया था। उनके प्रसिद्ध चित्रों में है--'डांडी मार्च', 'संथाली कन्या', 'सती का देह त्याग', इत्यादि है। नंदलाल बोस ने चित्रकारों और कला अध्यापन के अतिरिक्त इन्होंने तीन पुस्तिकाएँ भी लिखीं—रूपावली, शिल्पकला और शिल्प चर्चा। ये अवनीन्द्रनाथ ठाकुर के प्रख्यात शिष्य थे।

जीवन परिचय

प्रसिद्ध चित्रकार नंदलाल बोस का जन्म 3 दिसम्बर 1882 ई. में खड़गपुर, बिहार में हुआ था। शिक्षा प्राप्त करने के लिए उन्हें अनेक विद्यालयों में भर्ती कराया गया, पर वे पढ़ाई में मन न लगने के कारण सदा असफल होते। उनकी रूचि आरंभ से ही चित्रकला की ओर थी। उन्हें यह प्रेरणा अपनी मां क्षेत्रमणि देवी से मिट्टी के खिलौने आदि बनाते देखकर मिली। अंत में नंदलाल को कला विद्यालय में भर्ती कराया गया। इस प्रकार 5 वर्ष तक उन्होंने चित्रकला की विधिवत शिक्षा ली।

प्रसिद्धि

इसके बाद ही नंदलाल का संपर्क रवीन्द्रनाथ ठाकुर, आनंद कुमार स्वामी, भगिनी निवेदिता आदि से हुआ। उनके चित्रों की प्रशंसा होने लगी और चित्रकार के रूप में उनकी ख्याति बढ़ती गई। पहले वे पौराणिक विषयों और नर-नारी के चित्र अधिक बनाते थे। अब रवि बाबू की कविताओं के आधार पर जीवन की समस्याओं से संबंधित चित्र बनाने लगे। अजंता के चित्रों की प्रतिकृति बनाना उनके जीवन की एक बड़ी सफलता थी। अब उनके चित्रों की प्रशंसा भारत ही नहीं विदेशों में भी होने लगी। राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन का भी उनकी कला पर प्रभाव पड़ा। उन्होंने कांग्रेस अधिवेशनों के पैनल बनाए और महात्मा गांधी का लाइफ साइज रेखाचित्र बनाया, जो बहुत प्रसिद्ध हुआ।

सम्मान

उन्हें विश्वभारती ने ‘देशोत्तम’ की अनेक विश्वविद्यालयों ने डी. लिट्. की उपाधि से सम्मानित किया। 1954 में भारत सरकार द्वारा ‘पद्मविभूषण’ से सम्मानित किए गए।

निधन

नंदलाल बोस का 16 अप्रैल, 1966 में देहांत हो गया था।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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