पर्यावरण सम्मेलन नैरोबी: Difference between revisions
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Revision as of 07:03, 9 July 2012
पर्यावरण का नैरोबी सम्मेलन (नैरोबी घोषणा) 1982 को हुई। 5 दिसम्बर, 1980 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा यह निर्णय लिया गया कि 1972 में स्टॉकहोम मानवीय पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र का जो सम्मेलन हुआ था, उसकी 10वीं वर्षगांठ मनाई जाये। तदनुसार नैरोबी में 10-18 मई, 1982 तक एक सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें 105 देश शामिल हुए। इस सम्मेलन में सर्वसम्मपति से स्वीकार की गई घोषणा को ही 'नैरोबी घोषणा' कहते हैं। इस घोषणा में यह स्वीकार किया गया कि स्टॉकहोम घोषणा के सिद्धान्त आज भी उतने ही प्रांसगिक हैं जितने यह सिद्धान्त स्टॉकहोम सम्मेलन 1972 के समय थे। नैरोबी में हुए सम्मेलन में इस बात पर सहमति व्यक्त की गयी कि पर्यावरण को जितना खतरा गरीबी से है, उतना ही उपभोग की वस्तुओं तथा उपभोग के तरीकों से है। यह दोनों ही जनमानस को पर्यावरण के दोहन के लिए प्रेरित करते हैं। विकसित देशों और अन्य देशों को उन विकासशील देशों की पर्यावरण क्षेत्र में सहायता करनी चाहिए, जो अपनी अत्यधिक गम्भीर पर्यावरणीय समस्याओं को हल करने में अपने घरेलू मामलें एवं पर्यावरणीय विच्छिन्नता से प्रभावित हैं। सम्मेलन में यह भी कहा गया है कि पर्यावरणीय क्षति के निवारण को प्राथमिकता दिये जाने की आवश्यकता है। सम्मेलन में शामिल देशों में स्टॉकहोम घोषणा और कार्य के प्रति पुनः प्रतिबद्धता व्यक्त की गयी।
- आधुनिक समाज की चुनौतियों से सम्बन्धित समिति
यह समिति 1969 में नाटों राष्ट्र द्वारा गठित की गई थी। इसे संक्षेप में सी.सी.एम.ए. कहते हैं इसका गठन मानव पर्यावरण से सम्बन्धित समस्याओं का अध्ययन करने के लिए किया गया था। यह समिति अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर संकटापन्न अपशिष्टों के विसर्जन, अपशिष्ट जल को शुद्ध करने की आधुनिक तकनीक, तटीय जल प्रदूषण, अन्तः स्थलीय जल और वायु प्रदूषण पर विशेष ध्यान देती हैं।
- अन्तर्राष्ट्रीय जैव कार्यक्रम
इसकी स्थापना जैव समस्याओं के निराकरण के लिए 1963 में की गई थी। 1967 तक विश्व के 38 देशों ने इसके कार्यक्रमों में शामिल होने की सहमति दी थी।
- विश्व वन्य जीव कोष
यह कोष 1961 में वन्य जीवों के संरक्षण हेतु स्थापित किया गया था। 1982 तक इस कोष के 20 सदस्य थे। इसका मुख्यालय स्विट्जरलैण्ड में हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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