निषद पर्वत: Difference between revisions
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Latest revision as of 14:13, 10 September 2012
निषद पर्वत को विष्णु पुराण[1] के अनुसार मेरु के दक्षिण में स्थित बताया गया है-
'त्रिकूट: शिशिरश्चेव पतंगो रुचकस्तथा निषदाद्या दक्षिणतस्तस्य केसरपर्वता:'।
जैन ग्रंथ 'जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति' में निषद की जंबूद्वीप के छ: वर्ष पर्वतों में गणना की गई है।[2]
विस्तार
महाभारत के वर्णनानुसार हेमकूट पर्वत के उत्तर की ओर सहस्रों योजनों तक निषद पर्वत की श्रेणी पूर्व पश्चिम समुद्र तक फैली हुई है- 'हिमवान् हेमकूटश्च निषधश्च नगोत्तम:' भीष्मपर्व[3]
श्री चि.वि. वैद्य का अनुमान है कि यह पर्वत वर्तमान अलताई पर्वत श्रेणी का ही प्राचीन भारतीय नाम है। हेमकूट और निषध पर्वत के बीच के भाग का नाम 'हरिवर्ष' कहा गया है। महाभारत के वर्णन में निषद पर नाग जाति का निवास माना गया है-
'सर्पानागाश्च निषधे गोकर्ण च तपोवनम्'[4]
- विष्णु पुराण[5] में भी इस पर्वत का उल्लेख हुआ है-
'हिमवान् हेमकूटश्च निषधश्चास्य दक्षिणे'
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