मेवाड़ की नदियाँ: Difference between revisions

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==मुख्य नदियाँ==
==मुख्य नदियाँ==

Revision as of 11:25, 5 March 2013

thumb|300px|बनास नदी मेवाड़ में ऐसी कोई नदी नहीं है, जो कि वर्ष भर प्रवाहित होती हो। चंबल नदी यहाँ के कुछ प्रदेशों, जैसे कोटा के निकट से होकर अवश्य बहती है, किंतु इसे मेवाड़ की नदी नहीं कहा जा सकता। बनास यहाँ की महत्त्वपूर्ण नदी है। इसके अतिरिक्त खारी, मानसी, कोठारी, बेड़च, जाकम तथा सोम भी मुख्य नदियाँ हैं।

मुख्य नदियाँ

मेवाड़ की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण तथा प्रमुख बनास नदी है, जिसका उद्गम स्थल अरावली पर्वतमाला में कुंभलगढ़ के निकट है। बनास नदी यहाँ से प्रवाहित होती हुई मैदानी भाग में पहुँचती है और अंत में मांडलगढ़, जो उदयपुर के उत्तर-पूर्व में लगभग 100 मील (लगभग 160 कि.मी.) की दूरी पर स्थित है, के निकट इसमें बेड़च नदी आकर मिल जाती है। इस स्थान को 'त्रिवेणी तीर्थ' माना जाता था। अन्त में यह अजमेर तथा जयपुर रियासत की सीमा में पहुँच जाती है और चंबल नदी में जा मिलती है। बनास नदी के अतिरिक्त मेवाड़ की अन्य नदियों में खारी, मानसी, कोठारी, बेड़च, जाकम तथा सोम इस प्रदेश की मुख्य नदियाँ हैं।

सहायक नदियाँ

खारी नदी उत्तर की ओर पड़ने वाली पहली नदी है। यह दिवेर ज़िले की पहाड़ियों से निकलती है तथा अन्त में बनास नदी में जा मिलती है। इसके दक्षिण में कुछ मील के अंतर पर इसकी सहायक नदी मानसी 60 मील (लगभग 96 कि.मी.) तक इसके समानान्तर बहती है और अजमेर की सीमा के फुलिया के समीप इसमें मिल जाती है। खारी के दक्षिण की तरफ़ कोठारी, जिसे 'कोटेशरी' भी कहा जाता है, बहती है और जो अरावली के पहाड़ों से निकलकर दिवेर के दक्षिण की ओर से 90 मील (लगभग 144 कि.मी.) बहने के बाद नन्दराम से एक कोस की दूरी पर बनास नदी में जा मिलती है। बनास के ही दक्षिण में बेड़च नदी बहती है, जो उदयपुर के पश्चिम की पहाड़ियों से निकलती है। इस नदी को उदयसागर तालाब में गिरने से पहले 'आहड़ की नदी' के नाम से जाना जाता है। इसके बाद उदयसागर का नाला कुछ दूरी पर बेड़च कहा जाता है। अंततः यह चित्तौड़ होते हुए आगे बढ़ती है तथा बनास में जा गिरती है।

जाकुम नदी छोटी सादड़ी के समीप से निकलती है। कुछ आगे बाईं ओर से उसमें करमरी नदी आ मिलती है, फिर वहाँ से अन्ततः सोम नदी में जा मिलती है। यह अपना समस्त बहाव चट्टानों व जंगलों में रखती है और यही कारण है कि यह कई स्थानों पर रमणीक आभा प्रस्तुत करती है। रियासत के समस्त नैऋत्य कोण के हिस्से का तथा जयसमन्द के निकास का पानी सोम नदी में जाता है, जो वहाँ पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है। फिर दक्षिण में बबराना गाँव के पास मुड़कर माही नदी गिर जाती है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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