ओरियेंटल रिसर्च इंस्टीटयूट, मैसूर: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 6: | Line 6: | ||
|नगर=[[मैसूर]] | |नगर=[[मैसूर]] | ||
|निर्माण= | |निर्माण= | ||
|स्थापना= [[20 जून]] [[1887]] | |स्थापना= [[20 जून]] [[1887]] में चामराज वाडेयार द्वारा | ||
|भौगोलिक स्थिति= | |भौगोलिक स्थिति= | ||
|मार्ग स्थिति= | |मार्ग स्थिति= | ||
|प्रसिद्धि=इस संग्रहालय में 60 हज़ार से अधिक पांडुलिपियों तथा 30 हज़ार से अधिक उत्कृषट स्तर की किताबों का संग्रह उपलब्ध है। | |प्रसिद्धि=इस संग्रहालय में 60 हज़ार से अधिक पांडुलिपियों तथा 30 हज़ार से अधिक उत्कृषट स्तर की किताबों का संग्रह उपलब्ध है। | ||
|मानचित्र लिंक= | |मानचित्र लिंक=[http://maps.google.co.in/maps?saddr=Mysore,+Karnataka&daddr=Oriental+Research+Institute,&hl=en&ll=12.308809,76.638308&spn=0.042684,0.084543&sll=12.306122,76.64003&sspn=0.042684,0.084543&geocode=FYKeuwAdlGyRBCn5LlcdOHCvOzFtOfjA6OyJKw%3BFcrGuwAdHm-RBCGx2UZTPfJHDynFcZlGp3qvOzGx2UZTPfJHDw&oq=myso&mra=ls&t=m&z=14&iwloc=ddw1 गूगल मानचित्र] | ||
|संबंधित लेख= | |संबंधित लेख= | ||
|शीर्षक 1= | |शीर्षक 1= | ||
|पाठ 1= | |पाठ 1= | ||
|शीर्षक 2= | |शीर्षक 2= | ||
|पाठ 2= | |पाठ 2= |
Latest revision as of 11:43, 21 April 2013
ओरियेंटल रिसर्च इंस्टीटयूट, मैसूर
| |
विवरण | इस इंस्टीट्यूट अथवा संग्रहालय को संक्षिप्त रूप में ओआरआई (Oriental Research Institute) कहा जाता है। |
राज्य | कर्नाटक |
नगर | मैसूर |
स्थापना | 20 जून 1887 में चामराज वाडेयार द्वारा |
प्रसिद्धि | इस संग्रहालय में 60 हज़ार से अधिक पांडुलिपियों तथा 30 हज़ार से अधिक उत्कृषट स्तर की किताबों का संग्रह उपलब्ध है। |
चित्र:Map-icon.gif | गूगल मानचित्र |
ओरियेंटल रिसर्च इंस्टीटयूट कर्नाटक राज्य के मैसूर नगर में स्थित है। इस इंस्टीट्यूट अथवा संग्रहालय को संक्षिप्त रूप में ओआरआई (Oriental Research Institute) भी कहा जाता है।
स्थापना
वर्ष 1887 में मैसूर के शासक चामराज वाडेयार ने भी यहां एक संग्रहालय की स्थापना की थी। इसे ओआरआई के नाम से जाना जाता है। इसकी स्थापना तत्कालीन अंग्रेज़ सरकार ने करवाई थी। इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य मैसूर के विभिन्न विद्वानों द्वारा लिखी जाने वाली उत्कृष्ट पुस्तकों का संरक्षणकरना तथा अगली पीढ़ी के हाथों तक उन्हें सुरक्षित पहुंचाना था। इस संग्रहालय में 60 हज़ार से अधिक पांडुलिपियों तथा 30 हज़ार से अधिक उत्कृषट स्तर की किताबों का संग्रह उपलब्ध है। इस संग्रहालय की तरफ प्रत्येक वर्ष विदेशी पर्यटक बड़ी संख्या में आकर्षित होते हैं।[1]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संग्रहालयों का भी शहर है मैसूर (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) दक्षिण भारत राष्ट्रमत। अभिगमन तिथि: 1 जनवरी, 2013।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख