बड़ा तालाब, भोपाल: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 50: | Line 50: | ||
बड़े तालाब में मछलियाँ पकड़ने हेतु 'भोपाल नगर निगम' ने मछुआरों की सहकारी समिति को लम्बे समय तक एक इलाका किराये पर दिया हुआ है। इस सहकारी समिति में लगभग 500 मछुआरे हैं, जो कि इस तालाब के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में मछलियाँ पकड़कर जीवन यापन करते हैं। इस [[झील]] से बड़ी मात्रा में सिंचाई भी की जाती है। इस झील के आस-पास लगे हुए 87 गाँव और [[सीहोर ज़िला|सीहोर ज़िले]] के भी कुछ गाँव इसके पानी से खेतों में सिंचाई करते हैं। इस इलाके में रहने वाले ग्रामीणों का मुख्य काम खेती और पशुपालन ही है। इनमें कुछ बड़े और कुछ बहुत ही छोटे-छोटे किसान भी हैं। भोपाल का यह बड़ा तालाब स्थानीय और बाहरी पर्यटकों को भी बहुत आकर्षित करता है। यहाँ बोट क्लब पर [[भारत]] का पहला 'राष्ट्रीय सेलिंग क्लब' भी स्थापित किया जा चुका है। इस क्लब की सदस्यता हासिल करके पर्यटक कायाकिंग, कैनोइंग, राफ़्टिंग, वाटर स्कीइंग और पैरासेलिंग आदि का मजा उठा सकते हैं। विभिन्न निजी और सरकारी बोटों से पर्यटकों को बड़ी झील में भ्रमण करवाया जाता है। इस झील के दक्षिणी हिस्से में स्थापित 'वन विहार राष्ट्रीय उद्यान' भी पर्यटकों के आकर्षण का एक और केन्द्र है। चौड़ी सड़क के एक तरफ़ प्राकृतिक वातावरण में पलते जंगली पशु-पक्षी और सड़क के दूसरी तरफ़ प्राकृतिक सुन्दरता मन मोह लेती है।<ref name="aa"/> | बड़े तालाब में मछलियाँ पकड़ने हेतु 'भोपाल नगर निगम' ने मछुआरों की सहकारी समिति को लम्बे समय तक एक इलाका किराये पर दिया हुआ है। इस सहकारी समिति में लगभग 500 मछुआरे हैं, जो कि इस तालाब के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में मछलियाँ पकड़कर जीवन यापन करते हैं। इस [[झील]] से बड़ी मात्रा में सिंचाई भी की जाती है। इस झील के आस-पास लगे हुए 87 गाँव और [[सीहोर ज़िला|सीहोर ज़िले]] के भी कुछ गाँव इसके पानी से खेतों में सिंचाई करते हैं। इस इलाके में रहने वाले ग्रामीणों का मुख्य काम खेती और पशुपालन ही है। इनमें कुछ बड़े और कुछ बहुत ही छोटे-छोटे किसान भी हैं। भोपाल का यह बड़ा तालाब स्थानीय और बाहरी पर्यटकों को भी बहुत आकर्षित करता है। यहाँ बोट क्लब पर [[भारत]] का पहला 'राष्ट्रीय सेलिंग क्लब' भी स्थापित किया जा चुका है। इस क्लब की सदस्यता हासिल करके पर्यटक कायाकिंग, कैनोइंग, राफ़्टिंग, वाटर स्कीइंग और पैरासेलिंग आदि का मजा उठा सकते हैं। विभिन्न निजी और सरकारी बोटों से पर्यटकों को बड़ी झील में भ्रमण करवाया जाता है। इस झील के दक्षिणी हिस्से में स्थापित 'वन विहार राष्ट्रीय उद्यान' भी पर्यटकों के आकर्षण का एक और केन्द्र है। चौड़ी सड़क के एक तरफ़ प्राकृतिक वातावरण में पलते जंगली पशु-पक्षी और सड़क के दूसरी तरफ़ प्राकृतिक सुन्दरता मन मोह लेती है।<ref name="aa"/> | ||
====जैव विविधता==== | ====जैव विविधता==== | ||
[[चित्र:Upper-Lake-Bhopal.jpg|thumb|600px|बड़ा तालाब, भोपाल]] | |||
बड़े तालाब और इसके निकट ही छोटे तालाब में जैव-विविधता के कई [[रंग]] देखने को मिलते हैं। वनस्पति और विभिन्न [[जल]] आधारित प्राणियों के जीवन और वृद्धि के लिये यह जल संरचना एक आदर्श स्थल मानी जा सकती है। प्रकृति आधारित वातावरण और जल के चरित्र की वजह से एक उन्नत किस्म की जैव-विविधता का विकास हो चुका है। प्रतिवर्ष यहाँ पक्षियों की लगभग 20,000 प्रजातियाँ देखी जा सकती हैं, जिनमें मुख्य हैं- व्हाईट स्टॉर्क, काले गले वाले सारस, हंस आदि। कुछ प्रजातियाँ तो लगभग विलुप्त हो चुकी थीं, लेकिन आहिस्ता-आहिस्ता अब वे पुनः दिखाई देने लगी हैं। हाल ही में यहाँ [[भारत]] का विशालतम पक्षी 'सारस क्रेन' भी देखा गया था, जो कि अपने आकार और उड़ान के लिये प्रसिद्ध है। | बड़े तालाब और इसके निकट ही छोटे तालाब में जैव-विविधता के कई [[रंग]] देखने को मिलते हैं। वनस्पति और विभिन्न [[जल]] आधारित प्राणियों के जीवन और वृद्धि के लिये यह जल संरचना एक आदर्श स्थल मानी जा सकती है। प्रकृति आधारित वातावरण और जल के चरित्र की वजह से एक उन्नत किस्म की जैव-विविधता का विकास हो चुका है। प्रतिवर्ष यहाँ पक्षियों की लगभग 20,000 प्रजातियाँ देखी जा सकती हैं, जिनमें मुख्य हैं- व्हाईट स्टॉर्क, काले गले वाले सारस, हंस आदि। कुछ प्रजातियाँ तो लगभग विलुप्त हो चुकी थीं, लेकिन आहिस्ता-आहिस्ता अब वे पुनः दिखाई देने लगी हैं। हाल ही में यहाँ [[भारत]] का विशालतम पक्षी 'सारस क्रेन' भी देखा गया था, जो कि अपने आकार और उड़ान के लिये प्रसिद्ध है। | ||
Revision as of 13:42, 19 July 2013
बड़ा तालाब, भोपाल
| |||
विवरण | 'बड़ा तालाब' भोपाल में मानव निर्मित एक झील है। इसके पूर्वी छोर पर भोपाल शहर बसा हुआ है, जबकि इसके दक्षिण में 'वन विहार राष्ट्रीय उद्यान' स्थित है। | ||
राज्य | मध्य प्रदेश | ||
ज़िला | भोपाल | ||
निर्माता | राजा भोज | ||
निर्माण काल | 11वीं सदी | ||
संबंधित लेख | मध्य प्रदेश, भोपाल | क्षेत्रफल | तालाब का कुल क्षेत्रफ़ल 31 वर्ग किलोमीटर है और इसमें लगभग 361 वर्ग किलोमीटर इलाके से पानी एकत्रित किया जाता है। |
विशेष | इसे एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील भी माना जाता है। तालाब के बीच में 'तकिया द्वीप' है, जिसमें शाहअली शाह रहमतुल्लाह का मकबरा बना हुआ है। | ||
अन्य जानकारी | मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के पश्चिमी हिस्से में स्थित यह तालाब भोपाल के निवासियों के पीने के पानी का सबसे मुख्य स्रोत है। |
बड़ा तालाब मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के मध्य में स्थित मानव निर्मित एक झील है। इस तालाब का निर्माण 11वीं सदी में किया गया था। भोपाल में एक कहावत है- "तालों में ताल भोपाल का ताल बाकी सब तलैया", अर्थात "यदि सही अर्थों में तालाब कोई है तो वह है भोपाल का तालाब"। भोपाल की यह विशालकाय जल संरचना अंग्रेज़ी में 'अपर लेक' कहलाती है। इसी को हिन्दी में 'बड़ा तालाब' कहा जाता है। इसे एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील भी माना जाता है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के पश्चिमी हिस्से में स्थित यह तालाब भोपाल के निवासियों के पीने के पानी का सबसे मुख्य स्रोत है।
निर्माण
भोपाल के 'बड़े तालाब' का निर्माण 11वीं सदी में परमार वंश के राजा भोज ने करवाया था। इस तालाब के निर्माण के बारे में कई किंवदंतियाँ भी है। भोपाल तालाब का कुल भराव क्षेत्रफल 31 किलोमीटर है, पर अतिक्रमण एवं सूखे के कारण यह क्षेत्र 8-9 किलोमीटर में ही सिमट कर रह गया है। भोपाल की लगभग 40 प्रतिशत जनसंख्या को यह झीलनुमा तालाब लगभग तीस मिलियन गैलन पानी रोज देता है। इस बड़े तालाब के साथ ही एक 'छोटा तालाब' भी यहाँ मौजूद है और यह दोनों जल क्षेत्र मिलकर एक विशाल 'भोज वेटलैण्ड' का निर्माण करते हैं, जो कि अन्तर्राष्ट्रीय रामसर सम्मेलन के घोषणा पत्र में संरक्षण की संकल्पना हेतु शामिल है।
भौगोलिक स्थिति
'बड़ा तालाब' के पूर्वी छोर पर भोपाल शहर बसा हुआ है, जबकि इसके दक्षिण में 'वन विहार राष्ट्रीय उद्यान' स्थित है। तालाब के पश्चिमी और उत्तरी छोर पर कुछ मानवीय बस्तियाँ हैं, जिसमें से अधिकतर इलाका कृषि वाला है। इस झील का कुल क्षेत्रफ़ल 31 वर्ग किलोमीटर है और इसमें लगभग 361 वर्ग किलोमीटर इलाके से पानी एकत्रित किया जाता है। इस तालाब से लगने वाला अधिकतर हिस्सा ग्रामीण क्षेत्र है, लेकिन अब समय के साथ कुछ शहरी इलाके भी इसके नज़दीक बस चुके हैं। कोलास नदी, जो कि पहले हलाली नदी की एक सहायक नदी थी, लेकिन एक बाँध तथा एक नहर के जरिये कोलास नदी और बड़े तालाब का अतिरिक्त पानी अब कलियासोत नदी में चला जाता है।[1]
महत्त्व
11वीं शताब्दी में इस विशाल तालाब का निर्माण किया गया और भोपाल शहर इसके आस-पास ही विकसित होना शुरू हुआ। इन दोनों बड़ी-छोटी झीलों को केन्द्र में रखकर भोपाल का निर्माण हुआ था। भोपाल शहर के निवासी धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से इन दोनों झीलों से गहराई तक जुड़े हैं। रोज़मर्रा की आम जरूरतों का पानी उन्हें इन्हीं झीलों से मिलता है, इसके अलावा आस-पास के गाँवों में रहने वाले लोग इसमें कपड़े भी धोते हैं। हालांकि यह इन झीलों की सेहत के लिये खतरनाक है। सिंघाड़े की खेती भी इस तालाब में की जाती है। स्थानीय प्रशासन की रोक और मना करने के बावजूद विभिन्न त्यौहारों पर देवी-देवताओं की मूर्तियाँ इन तालाबों में विसर्जित की जाती हैं। बड़े तालाब के बीच में 'तकिया द्वीप' है, जिसमें शाहअली शाह रहमतुल्लाह का मकबरा भी बना हुआ है, जो कि अभी भी धार्मिक और पुरातात्विक महत्व रखता है।
व्यवसाय व मनोरंजन
बड़े तालाब में मछलियाँ पकड़ने हेतु 'भोपाल नगर निगम' ने मछुआरों की सहकारी समिति को लम्बे समय तक एक इलाका किराये पर दिया हुआ है। इस सहकारी समिति में लगभग 500 मछुआरे हैं, जो कि इस तालाब के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में मछलियाँ पकड़कर जीवन यापन करते हैं। इस झील से बड़ी मात्रा में सिंचाई भी की जाती है। इस झील के आस-पास लगे हुए 87 गाँव और सीहोर ज़िले के भी कुछ गाँव इसके पानी से खेतों में सिंचाई करते हैं। इस इलाके में रहने वाले ग्रामीणों का मुख्य काम खेती और पशुपालन ही है। इनमें कुछ बड़े और कुछ बहुत ही छोटे-छोटे किसान भी हैं। भोपाल का यह बड़ा तालाब स्थानीय और बाहरी पर्यटकों को भी बहुत आकर्षित करता है। यहाँ बोट क्लब पर भारत का पहला 'राष्ट्रीय सेलिंग क्लब' भी स्थापित किया जा चुका है। इस क्लब की सदस्यता हासिल करके पर्यटक कायाकिंग, कैनोइंग, राफ़्टिंग, वाटर स्कीइंग और पैरासेलिंग आदि का मजा उठा सकते हैं। विभिन्न निजी और सरकारी बोटों से पर्यटकों को बड़ी झील में भ्रमण करवाया जाता है। इस झील के दक्षिणी हिस्से में स्थापित 'वन विहार राष्ट्रीय उद्यान' भी पर्यटकों के आकर्षण का एक और केन्द्र है। चौड़ी सड़क के एक तरफ़ प्राकृतिक वातावरण में पलते जंगली पशु-पक्षी और सड़क के दूसरी तरफ़ प्राकृतिक सुन्दरता मन मोह लेती है।[1]
जैव विविधता
thumb|600px|बड़ा तालाब, भोपाल बड़े तालाब और इसके निकट ही छोटे तालाब में जैव-विविधता के कई रंग देखने को मिलते हैं। वनस्पति और विभिन्न जल आधारित प्राणियों के जीवन और वृद्धि के लिये यह जल संरचना एक आदर्श स्थल मानी जा सकती है। प्रकृति आधारित वातावरण और जल के चरित्र की वजह से एक उन्नत किस्म की जैव-विविधता का विकास हो चुका है। प्रतिवर्ष यहाँ पक्षियों की लगभग 20,000 प्रजातियाँ देखी जा सकती हैं, जिनमें मुख्य हैं- व्हाईट स्टॉर्क, काले गले वाले सारस, हंस आदि। कुछ प्रजातियाँ तो लगभग विलुप्त हो चुकी थीं, लेकिन आहिस्ता-आहिस्ता अब वे पुनः दिखाई देने लगी हैं। हाल ही में यहाँ भारत का विशालतम पक्षी 'सारस क्रेन' भी देखा गया था, जो कि अपने आकार और उड़ान के लिये प्रसिद्ध है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 भोपाल का बड़ा तालाब (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 19 जुलाई, 2013।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख