विपाशा: Difference between revisions
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*[[वाल्मीकि रामायण]] में [[अयोध्या]] के दूतों की [[केकय देश]] की यात्रा के प्रसंग में विपाशा को पार करने का उल्लेख है<ref>’विष्णु:पदं प्रेक्षमाणा विपाशां चापि शाल्मलीम्, नदीर्वापीताटाकानि पल्वलानी सरांसि च’ ,अयोध्याकाण्ड 68,19</ref>। | *[[वाल्मीकि रामायण]] में [[अयोध्या]] के दूतों की [[केकय देश]] की यात्रा के प्रसंग में विपाशा को पार करने का उल्लेख है<ref>’विष्णु:पदं प्रेक्षमाणा विपाशां चापि शाल्मलीम्, नदीर्वापीताटाकानि पल्वलानी सरांसि च’ ,अयोध्याकाण्ड 68,19</ref>। | ||
[[महाभारत]] में भी विपाशा के तट पर विष्णुपद तीर्थ का वर्णन है।<ref>एतद् विष्णुपदं नाम दृश्यते तीर्थमुत्तमम्, एषा रम्या विपाशा च नदी परमपावनी’, [[वनपर्व महाभारत|वनपर्व]]</ref> | *[[महाभारत]] में भी विपाशा के तट पर विष्णुपद तीर्थ का वर्णन है।<ref>एतद् विष्णुपदं नाम दृश्यते तीर्थमुत्तमम्, एषा रम्या विपाशा च नदी परमपावनी’, [[वनपर्व महाभारत|वनपर्व]]</ref> | ||
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Revision as of 13:54, 1 August 2013
विपाशा पंजाब की व्यास नदी का पौराणिक नाम है। कहा जाता है कि वशिष्ठ ऋषि के पुत्र आत्महत्या करने की इच्छा से अपने हाथ पैर बाँध कर इस नदी में कूद गये थे, किंतु नदी ने उनको पाशमुक्त करके वापस किनारे की ओर फेंक दिया था, इसी से इसका नाम 'विपाशा' अर्थात 'पाशमुक्तकारिणी' पड़ा।
- वाल्मीकि रामायण में अयोध्या के दूतों की केकय देश की यात्रा के प्रसंग में विपाशा को पार करने का उल्लेख है[1]।
- महाभारत में भी विपाशा के तट पर विष्णुपद तीर्थ का वर्णन है।[2]
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