जावर उदयपुर: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "{{राजस्थान के पर्यटन स्थल}}" to "{{राजस्थान}}") |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "{{राजस्थान}}" to "{{राजस्थान के पर्यटन स्थल}}") |
||
Line 4: | Line 4: | ||
==सम्बंधित लिंक== | ==सम्बंधित लिंक== | ||
{{राजस्थान}} | {{राजस्थान के पर्यटन स्थल}} | ||
[[Category:राजस्थान]][[Category:उदयपुर_के_पर्यटन_स्थल]][[Category:पर्यटन_कोश]]__INDEX__ | [[Category:राजस्थान]][[Category:उदयपुर_के_पर्यटन_स्थल]][[Category:पर्यटन_कोश]]__INDEX__ |
Revision as of 09:38, 23 June 2010
उदयपुर राजस्थान का एक ख़ूबसूरत शहर है और उदयपुर पर्यटन का सबसे आकर्षक स्थल माना जाता है। उदयपुर से यह स्थान पर्वत-मालाओं के बीच २० मील की दूरी पर दक्षिण में स्थित है। जावर माला नामक स्थान एक ऊँची पहाड़ी के मध्य में है जहाँ महाराणा प्रताप अकबर के साथ लड़ाईयों के दौरान कभी-कभी रहा करते थे। यहाँ की आबादी महाराणा लाखा के समय चाँदी और शीशे की खानों में कार्य होने के कारण अच्छी थी लेकिन बाद में खान का कार्य बन्द हो जाने से जनसंख्या भी कम होती गई। नया जावर क्षेत्र वर्तमान में एक छोटे से कस्बे के रुप में है जहाँ अधिकांश जनसंख्या भीलों की है।
जावर माता नामक देवी का मंदिर जावर में स्थित है। यहाँ पर इसके अलावा कई जैन, शिव तथा विष्णु के मंदिर स्थित हैं। राजकुमारी रमाबाई महाराणा कुंभा की पुत्री थीं जिसका विवाह गिरनार (जूनागढ़, काठियावाड़) के राजा मंडीक चतुर्थ के साथ हुआ था अपने पति से अनबन हो जाने पर अपने भाई महाराणा रायमल के समय गिरनार से वापस आकर जावर में बस गई जहाँ उन्होंने रमाकुण्ड नाम का एक विशाल जलाशय खुदवाया। रामस्वामी नामक एक सुन्दर विष्णुमंदिर उन्होंने उसी के तट पर बनवाया। मंदिर की दीवार पर लगे शिलालेख से ज्ञात होता है कि सन् 1497(विक्रम संवत्1554) में इसका निर्माण कराया गया है। महाराणा रायमल का राजतिलक जावर में ही हुआ था।