प्रार्थना: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - " नही " to " नहीं ")
Line 39: Line 39:
[[Category:आरती स्तुति स्तोत्र]]
[[Category:आरती स्तुति स्तोत्र]]
[[Category:हिन्दू संस्कार]]  
[[Category:हिन्दू संस्कार]]  
[[Category:हिन्दू धर्म कोश]]
[[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]]
[[Category:हिन्दू धर्म]]
[[Category:हिन्दू धर्म]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

Revision as of 12:16, 21 March 2014

[[चित्र:Prarthana.jpg|right|thumb|250px|कौसानी के अनासक्ति आश्रम में आयोजित दैनिक प्रार्थना सभा]] प्रार्थना एक धार्मिक क्रिया है जो ब्रह्माण्ड के किसी 'महान शक्ति' से सम्बन्ध जोड़ने की कोशिश करती है। प्रार्थना व्यक्तिगत हो सकती है और सामूहिक भी। इसमें शब्दों (मंत्र, गीत आदि) का प्रयोग हो सकता है या प्रार्थना मौन भी हो सकती है।

एल. क्राफार्ड ने कहा था- ‘‘प्रार्थना परिष्कार एवं परिमार्जन की उत्तम प्रक्रिया है।’’

प्रार्थना संकलन

[[चित्र:Prarthana1.jpg|हरदोई के गांधी भवन परिसर में प्रार्थना|left|thumb]]

चित्र:Blockquote-open.gif गिरजों में घुसते ही बाहर की अशान्ति भूल जाती है। लोगों का व्यवहार बदल जाता है। लोग अदब से पेश आते हैं। वहाँ कोलाहल नहीं होता। कुमारी मरियम की मूर्ति के सम्मुख कोई न कोई प्रार्थना करता ही रहता है। यह सब वहम नहीं है, बल्कि हृदय की भावना है, ऐसा प्रभाव मुझ पर पड़ा था और बढ़ता ही गया है। कुमारिका की मूर्ति के सम्मुख घुटनों के बल बैठकर प्रार्थना करने वाले उपासक संगमरमर के पत्थर को नहीं पूजते थे, बल्कि उसमें मानी हुई अपनी कल्पित शक्ति को पूजते थे। ऐसा करके वे ईश्वर की महिमा को घटाते नहीं बल्कि बढ़ाते थे।[1] चित्र:Blockquote-close.gif

मैंने यह अनुभव किया है कि जब हम सारी आशा छोड़कर बैठ जाते हैं, हमारे दोनों हाथ टिक जाते हैं, तब कहीं न कहीं से मदद आ पहुंचती है। स्तुति, उपासना, प्रार्थना वहम नहीं है, बल्कि हमारा खाना पीना, चलना बैठना जितना सच है, उससे भी अधिक सच यह चीज है। यह कहने में अतिशयोक्ति नहीं है कि यही सच है और सब झूठ है। ऐसी उपासना, ऐसी प्रार्थना निरा वाणी विलास नहीं होती उसका मूल कंठ नहीं हृदय है।[2]---महात्मा गाँधी

प्रार्थना निवेदन करके उर्जा प्राप्त करने की शक्ति है और अपने इष्ट अथवा विद्या के प्रधान देव से सीधा संवाद है। प्रार्थना लौकिक व अलौकिक समस्या का समाधान है।[3]---आदि शक्ति

मुझे इस विषय में कोई शंका नहीं है कि विकार रूपी मलों की शुद्धि के लिए हार्दिक उपासना एक रामबाण औषधि है।[4]---महात्मा गाँधी


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महात्मा गांधी जीवनी सत्य के प्रयोग से संग्रहित
  2. महात्मा गांधी जीवनी पृष्ट 92 से संग्रहित
  3. आदि शक्ति से संग्रहित
  4. सत्य के प्रयोग पृष्ट 69

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख