दैमाबाद: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (श्रेणी:नया पन्ना (को हटा दिया गया हैं।))
Line 18: Line 18:
[[Category:महाराष्ट्र]]
[[Category:महाराष्ट्र]]
[[Category:महाराष्ट्र के ऐतिहासिक स्थान]]
[[Category:महाराष्ट्र के ऐतिहासिक स्थान]]
[[Category:नया पन्ना]]
__INDEX__
__INDEX__

Revision as of 14:42, 13 November 2014

महाराष्ट्र के अहमदनगर ज़िला से गोदावरी नदी की सहायक नदी प्रवरा की घाटी पर स्थित दैमाबाद ऐतिहासिक स्थान का उत्खनन किया गया।

इतिहास

दैमाबाद से उत्तर-हड़प्पा के बाद के ताम्रपाषाणयुगीन जीवन-यापन के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। दैमाबाद स्थान का इसलिए विशेष महत्त्व है क्योंकि महाराष्ट्र के आद्य इतिहास सम्बन्धी जीवनयापन का आधारभूत अनुक्रम यहीं से प्राप्त हुआ है। दैमाबाद का सबसे प्रारम्भिक काल ऐसे सांस्कृतिक स्तर का प्रतिनिधित्व करता है, जिस पर कुछ विद्वानों के अनुसार सिंधु सभ्यता का कुछ प्रभाव लक्षित होता है, विशेषतः उसके परवर्ती चरण का, जो पश्चिमी भारत में पाया गया है। दूसरे कालखण्ड का सम्बन्ध दक्षिण में पायी गयी है, जिसे जोर्वे संस्कृति कहा जाता है, जो ठेठ महाराष्ट्र की संस्कृति है। साधारणतः इस संस्कृति की तिथि ईसा पूर्व 1400 और 1000 के बीच निर्धारित की जाती है।

दैमाबाद के घर वर्गाकार, आयताकार या वृत्ताकार होते थे। दीवारें मिट्टी और गारा मिलाकर बनाई जाती थीं। और उसमें लकड़ी के डण्डों की टेक दी जाती थी। मृद्भाण्ड के डिजाइन बहुधा ज्यामितीय हैं। जिनमें तिरछी समानांतर रेखाओं का प्रयोग किया गया है। टोंटीदार नलीवाले लाल तल पर काले डिजाइन वाले मृद्भाण्ड प्रचलित थे। अल्पमूल्य रत्न भी मिले हैं। लघु-अश्मों के अतिरिक्त ताम्र की एक सूई, टूटा हुआ चाकू व कुल्हाड़ी के भाग मिले हैं। एक कुत्ते व कूबड़दार साँड की मृण्मूर्तियाँ भी प्राप्त हुई हैं। दैमाबाद में ताँबे की चार वस्तुएँ मिली हैं। रथ चलाते हुए मनुष्य, साँड़, गेंडे और हाथी की आकृतियाँ, जिनमें प्रत्येक ठोस धातु की बनी हैं। उनका वजन कई किलो है परंतु ये वस्तुएँ उत्खनित स्तरीकृत संदर्भ की हैं, इसमें संदेह है।

कालखण्ड

दैमाबाद के प्रथम कालखण्ड में बस्तियों के बीच ही शवाधान मिले, जिनके सिर उत्तर दिशा की ओर था। कालखण्ड द्वितीय में भी विस्तारित शवाधान उत्तर-दक्षिण दिशा में रखे गये थे। शिशु अस्थि-कलशों में दफ़नाये जाते थे।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख