राजौरी: Difference between revisions
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'''राजौरी''' पश्चिमोत्तर [[जम्मू-कश्मीर]] राज्य, [[उत्तरी भारत]] का प्रमुख नगर है। इसका उल्लेख [[कल्हण]] की '[[राजतरंगिणी]]' (12वीं शताब्दी) में 'राजपुरी' के रूप में आता है। [[1947]] के पख्तून आक्रमण के समय इस नगर के लगभग सभी लोंगों को मौत के घाट उतार दिया गया था। अपने औषधीय गुणों के लिए विख्यात गर्म पानी के सोतों वाला 'तत्तापानी' और एक [[मुस्लिम]] तीर्थ केंद्र 'शाहदरा शरीफ़' नगर के समीप ही स्थित हैं। राजौरी [[जम्मू]] से पुंछ को जोडने वाले सड़क मार्ग पर स्थित है। | '''राजौरी''' पश्चिमोत्तर [[जम्मू-कश्मीर]] राज्य, [[उत्तरी भारत]] का प्रमुख नगर है। इसका उल्लेख [[कल्हण]] की '[[राजतरंगिणी]]' (12वीं शताब्दी) में 'राजपुरी' के रूप में आता है। [[1947]] के पख्तून आक्रमण के समय इस नगर के लगभग सभी लोंगों को मौत के घाट उतार दिया गया था। अपने औषधीय गुणों के लिए विख्यात गर्म पानी के सोतों वाला 'तत्तापानी' और एक [[मुस्लिम]] तीर्थ केंद्र 'शाहदरा शरीफ़' नगर के समीप ही स्थित हैं। राजौरी [[जम्मू]] से पुंछ को जोडने वाले सड़क मार्ग पर स्थित है। | ||
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Revision as of 11:42, 6 August 2016
thumb|250px|राजौरी राजौरी पश्चिमोत्तर जम्मू-कश्मीर राज्य, उत्तरी भारत का प्रमुख नगर है। इसका उल्लेख कल्हण की 'राजतरंगिणी' (12वीं शताब्दी) में 'राजपुरी' के रूप में आता है। 1947 के पख्तून आक्रमण के समय इस नगर के लगभग सभी लोंगों को मौत के घाट उतार दिया गया था। अपने औषधीय गुणों के लिए विख्यात गर्म पानी के सोतों वाला 'तत्तापानी' और एक मुस्लिम तीर्थ केंद्र 'शाहदरा शरीफ़' नगर के समीप ही स्थित हैं। राजौरी जम्मू से पुंछ को जोडने वाले सड़क मार्ग पर स्थित है।
इतिहास
ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह नगर काफ़ी महत्त्वपूर्ण है। इस नगर को पहले राजपुरी यानी 'राजाओं की भूमि' के नाम से जाना जाता था। यहाँ मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे और झीलों की काफ़ी अधिक संख्या है। इसके अलावा 'देहरा की गली', 'लाव बावली' और 'नंदन सर' आदि यहाँ के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से हैं। 1967 ई. में राजौरी पुंछ ज़िले का ही एक हिस्सा था। लेकिन 1 जनवरी, 1968 को राजौरी को एक ज़िले के रूप में घोषित कर दिया गया। यह ज़िला पुंछ, उधमपुर और जम्मू ज़िले से घिरा हुआ है।
पुराण उल्लेख
पुराने समय से राजौरी का इतिहास काफ़ी महत्त्वपूर्ण माना जाता है। महाभारत में इस जगह का उल्लेख एक राज्य के रूप में हुआ है, जिसे पांचाल देश के नाम से भी जाना जाता था। इस राज्य के राजा, जो कि पांचाल नरेश थे, उन्होंने अपनी पुत्री द्रौपदी का विवाह पांडवों के साथ किया था।
अर्थ व्यवस्था
राजौरी के आस-पास के क्षेत्र में प्रमुखत पश्चिमोत्तर-दक्षिणपूर्व की ओर झुकाव वाली पीर पंजाल पर्वत शृंखलाएँ (मध्य हिमालय की 2,745 मीटर की औसत ऊँचाई वाली) हैं। चिनाब नदी यहाँ की प्रमुख नदी है। पहाड़ की ढलानें चीड़, स्प्रूस और देवदार कें जंगलों से आच्छादित हैं। कृषि, खनन और वनोपज इस क्षेत्र की अर्थ व्यवस्था का आधार हैं। सीढ़ीदार पहाड़ी ढलानों और नदी घाटियों में चावल, मक्का, रागी, ज्वार और जौ उगाए जाते हैं।
जनसंख्या
यहाँ की जनसंख्या सन 2001 के अनुसार नगर में 20,874 और ज़िले में कुल 4,78,595 है।
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