कांडला बंदरगाह: Difference between revisions
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कांडला बंदरगाह एक समुद्री बंदरगाह है, जो गुजरात के ज़िला कच्छ में स्थित है। यह भारत के पश्चिमी तट का एक महत्वपूर्ण बंदरगाह है। इसे विभाजन के बाद 1950 में बनवाया गया था, क्योंकि कराची का बंदरगाह पाकिस्तान में चला गया था। आब यह भारत का सबसे बड़ा बंदरगाह है और अधिकारियों की अनुमति लेकर यहां घूमा भी जा सकता है।
- कांडला राष्ट्रीय बंदरगाह है और देश के 11 सबसे महत्वपूर्ण बंदरगाहों में एक है। यह कांडला नदी पर बना हुआ है।
- खासतौर पर कच्चे तेल के निर्यात के लिए कांडला बंदरगाह पश्चिमी और उत्तरी भारत के लिए प्रमुख द्वार के रूप में स्थापित है। उत्तर-पश्चिम भारत में ऐसी कई रिफाइनरियां हैं, जिन्हें एसपीएम जैसी सुविधाओं की आवश्यकता होती है।
- बुनियादी ढांचे पर मंत्रिमंडलीय समिति ने कच्चे तेल के आयात के लिए 621.53 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत पर 30 वर्षों की अवधि के लिए निर्माण, संचालन और हस्तांतरण आधार पर कांडला बंदरगाह पर कच्छ की खाड़ी में एकल बिंदु लंगर और संबंधित सुविधाओं के विकास की परियोजना को मंजूरी दी थी।
- उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों में मौजूदा रिफाइनरियों के विस्तार से पश्चिमी तट पर एसपीएम सुविधाओं के लिए अतिरिक्त मांग के बढ़ने की संभावना को ध्यान में रखते हए कांडला बंदरगाह के लिए इस परियोजना को तैयार किया गया था। एसपीएम परियोजना से कांडला पत्तन न्यास की क्षमता में 12 एमटीपीए की वृद्धि होगी और माल ढुलाई की कुल क्षमता 104 एटीपीए तक हो जाएगी और इससे देश की ऊर्जा सुरक्षा में भी वृद्धि होगी।[1]
- बंदरगाह संचालित करने वाली सरकारी कंपनी 'कांडला पोर्ट ट्रस्ट' को वर्ष 2011-2012 के लिए देश के बड़े बंदरगाह का पुरस्कार मिला। इस पुरस्कार की होड़ में तीन बंदरगाह 'चेन्नई पोर्ट ट्रस्ट', 'विशाखापत्तनम पोर्ट ट्रस्ट' और 'कांडला पोर्ट ट्रस्ट' शामिल था।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कांडला बंदरगाह (हिन्दी) राष्ट्रीय न्यूज नेटवर्क। अभिगमन तिथि: 07 जून, 2014।
- ↑ कांडला पोर्ट को मिला बड़े बंदरगाह का पुरस्कार (हिन्दी) नवभारत। अभिगमन तिथि: 07 जून, 2014।