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| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
| {निम्नलिखित भाषाओं में से कौन-सी [[भाषा]] [[उत्तर प्रदेश]] में नहीं बोली जाती?
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| |type="()"}
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| -[[अवधी भाषा]]
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| -[[ब्रजभाषा]]
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| +[[मैथिली भाषा]]
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| -[[खड़ी बोली]]
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| ||'मैथिली भाषा' [[हिन्दी]] प्रदेश की उपभाषा '[[बिहारी भाषाएँ|बिहारी]]' की एक बोली है। मैथिली नाम उस क्षेत्र के '[[मिथिला]]' से सम्बद्ध है। मिथिला शब्द [[भारतीय साहित्य]] में बहुत पहले से ही विद्यमान है। मैथिली भाषा मुख्य रूप से [[भारत]] में उत्तरी [[बिहार]] और [[नेपाल]] के तराई के ईलाक़ों में बोली जाने वाली [[भाषा]] है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मैथिली भाषा]]
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| {[[भक्ति]] को [[रस]] रूप में प्रतिष्ठित करने वाले आचार्य कौन हैं?
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| |type="()"}
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| -[[मधुसूदन सरस्वती]]
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| -[[जीव गोस्वामी]]
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| +[[वल्लभाचार्य]]
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| -[[रूप गोस्वामी]]
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| ||श्री [[वल्लभाचार्य]] जी विष्णुस्वामी संप्रदाय की परंपरा में एक स्वतंत्र भक्तिपंथ के प्रतिष्ठाता, [[शुद्धाद्वैतवाद|शुद्धाद्वैत]] दार्शनिक सिद्धांत के समर्थक, प्रचारक और भगवत-अनुग्रह प्रधान एवं [[भक्ति]] सेवा समन्वित 'पुष्टिमार्ग' के प्रवर्त्तक थे। वे जिस काल में उत्पन्न हुए थे, वह राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक सभी दृष्टियों से बड़े संकट का समय था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वल्लभाचार्य]]
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| {[[हृदय]] की वह कौन-सी स्थायी दशा है, जो सदाचार को प्रेरित करती है?
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| |type="()"}
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| -प्रेम दशा
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| -ज्ञान दशा
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| +शील दशा
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| -[[भक्ति]] दशा
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| {प्रयोगवाद को 'बैठे ठाले का धन्धा' किस आलोचक ने कहा?
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| |type="()"}
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| +नन्द दुलारे वाजपेयी
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| -[[रामविलास शर्मा]]
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| -शिवदानसिंह चौहान
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| -[[नामवर सिंह]]
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| {[[चंदबरदाई]] किसके दरबारी कवि थे?
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| |type="()"}
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| -[[महाराणा प्रताप]] के
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| -[[बीसलदेव|महाराज बीसलदेव]] के
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| +[[पृथ्वीराज चौहान]] के
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| -महाराज [[हम्मीर देव|हम्मीर]] के
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| ||[[चित्र:Prithvi-Raj-Chauhan-Statue-Ajmer.jpg|right|100px|पृथ्वीराज चौहान]][[कन्नौज]] के शासक [[जयचंद्र]] की पुत्री [[संयोगिता]] पृथ्वीराज चौहान से प्रेम करती थी, और पृथ्वीराज उसे भगा ले गए थे। इस घटना के कारण जयचंद्र क्रोध से भर गया था। पर अब अनेक इतिहासकार इस कथन को स्वीकार नहीं करते। यह कहानी बहुत बाद में कवि [[चंदबरदाई]] ने लिखी, जो कि पृथ्वीराज चौहान के दरबार के राजकवि थे। यथार्थ में इन दोनों राजाओं के बीच पुरानी दुश्मनी थी और इसी कारण से जयचंद्र ने [[मुहम्मद ग़ोरी]] के विरुद्ध पृथ्वीराज का साथ नहीं दिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पृथ्वीराज चौहान]]
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| {[[अपभ्रंश]] को 'पुरानी हिन्दी' किसने कहा है? | | {[[अपभ्रंश]] को 'पुरानी हिन्दी' किसने कहा है? |