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गोरख प्रसाद
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पूरा नाम | गोरख प्रसाद |
जन्म | 28 मार्च, 1896 |
जन्म भूमि | गोरखपुर, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु | 5 मई, 1961 |
मृत्यु स्थान | वाराणसी |
कर्म भूमि | भारत |
मुख्य रचनाएँ | फलसंरक्षण', 'लकड़ी पर पालिश', 'सरल विज्ञानसागर', 'आकाश की सैर', 'सूर्यसारिणी', 'चंद्रसारिणी' तथा 'भारतीय ज्योतिष का इतिहास' आदि। |
भाषा | हिन्दी |
विद्यालय | काशी हिंदू विश्वविद्यालय |
शिक्षा | एम.एस-सी., डी.एस-सी. की उपाधि (1924) |
पुरस्कार-उपाधि | 'मंगला प्रसाद पारितोषिक' (1931), 'डॉ. छन्नूलाल पुरस्कार', 'ग्रीब्ज़ पदक' तथा 'रेडिचे पदक'। |
प्रसिद्धि | हिन्दी विद्वान् तथा लेखक |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | गोरख प्रसाद ज्योतिष और खगोल के प्रकांड विद्वान् थे। 21 जुलाई, 1925 ई. से प्रयाग विश्वविद्यालय के गणित विभाग में रीडर के पद पर कार्य किया। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
गोरख प्रसाद (28 मार्च, 1896, गोरखपुर; मृत्यु- 5 मई, 1961, वाराणसी) गणितज्ञ, 'हिंदी विश्वकोश' के संपादक तथा हिंदी में वैज्ञानिक साहित्य के लब्धप्रतिष्ठ और बहुप्रतिभ लेखक थे। ज्योतिष और खगोल के वे प्रकांड विद्वान् थे। आप 'हिंदी साहित्य सम्मेलन' के परीक्षामंत्री भी कई वर्ष तक रहे। गोरख प्रसाद काशी (वर्तमान बनारस) में 'हिंदी सहित्य सम्मेलन' के 28वें अधिवेशन में विज्ञान परिषद के अध्यक्ष थे। 'बनारस मैथमैटिकल सोसायटी' के भी आप अध्यक्ष रहे थे। हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा 1931 ई. में 'फोटोग्राफी' ग्रंथ पर इनको 'मंगलाप्रसाद पारितोषिक' मिला था।
जीवन परिचय
गोरख प्रसाद का जन्म 28 मार्च, 1896 ई. को गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था। सन 1918 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय से इन्होंने एम.एस-सी. परीक्षा उत्तीर्ण की। ये डॉ. गणेश प्रसाद के प्रिय शिष्य थे। उनके साथ इन्होंने सन 1920 तक अनुसंधान कार्य किया। महामना पं. मदनमोहन मालवीय जी की प्रेरणा से ऐडिनबरा गए और सन 1924 में गणित की गवेषणाओं पर वहाँ के विश्वविद्यालय से डी.एस-सी. की उपाधि प्राप्त की। 21 जुलाई, 1925 ई. से प्रयाग विश्वविद्यालय के गणित विभाग में रीडर के पद पर कार्य किया। वहाँ से 20 दिसंबर, 1957 ई. को पदमुक्त होकर नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा संयोजित 'हिंदी विश्वकोश' का संपादन भार ग्रहण किया। सन 1952 से 1959 तक विज्ञान परिषद (प्रयाग) के उपसभापति और सन 1960 से मृत्युपर्यंत उसके सभापति रहे। हिंदी साहित्य सम्मेलन के परीक्षामंत्री भी कई वर्ष तक रहे। काशी में हिंदी सहित्य सम्मेलन के 28वें अधिवेशन में विज्ञान परिषद के अध्यक्ष थे। बनारस मैथमैटिकल सोसायटी के भी आप अध्यक्ष रहे।
पुस्तकें
- फलसंरक्षण (1937)
- उपयोगी नुस्खे (1939)
- तर्कीबें और हुनर (1939)
- लकड़ी पर पालिश (1940)
- घरेलू डाक्टर (1940)
- तैरना (1944)
- सरल विज्ञानसागर (1946)
गोरख प्रसाद ज्योतिष और खगोल के प्रकांड विद्वान् थे। इन पर इनकी 'नीहारिका' (1954), 'आकाश की सैर' (1936), 'सूर्य' (1959), 'सूर्यसारिणी' (1948), 'चंद्रसारिणी' (1945) और 'भारतीय ज्योतिष का इतिहास' (1956) पुस्तकें हैं। अंग्रेज़ी में गणित पर बी. एस-सी. स्तर के कई पाठ्य ग्रंथ हैं, जिनमें 'अवकलन गणित' (Differential Calculus), तथा 'समाकलन गणित' (Integral Calculus) हैं। इनका संबंध अनेक साहित्यिक एवं वैज्ञानिक संस्थाओं से था।
सम्मान
हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा 1931 ई. में 'फोटोग्राफी' ग्रंथ पर गोरख प्रसाद को 'मंगला प्रसाद पारितोषिक' मिला। संवत् 1989 (सन 1932-33 ई.) में काशी नागरी प्रचारिणी सभा से उनकी पुस्तक 'सौर परिवार' पर डॉ. छन्नूलाल पुरस्कार, ग्रीब्ज़ पदक तथा रेडिचे पदक मिले।
निधन
गोरख प्रसाद जी की 5 मई, 1961 ई. को वाराणसी में अपने नौकर की प्राणरक्षा के प्रयत्न में जलसमाधि हो गई।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ गोरख प्रसाद (हिंदी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 21 जुलाई, 2014।
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