अतीस: Difference between revisions

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'''अतीस''' रैननकुलैसी परिवार का एक पौधा है। इसका वानस्पतिक नाम 'एकोनिटक हेटेरोफिल्रलम' है। यह पौधा आल्पस, पाइरेनीज तथा [[यूरोप]] और [[एशिया]] के अन्य पर्वतीय प्रदेशों में पाया जाता है। समशीतोष्ण प्रदेशों में इसकी [[कृषि]] सर्वाधिक की जाती है। अतीस [[हिमालय]] के पश्चिमी समशीतोष्ण प्रदेशों में घास के रूप में उगता है। इसकी सात नस्लें या जातियाँ पाई जाती हैं।<ref>{{cite web |url= http://khoj.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%85%E0%A4%A4%E0%A5%80%E0%A4%B8|title= अतीस|accessmonthday= 19 जून|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= भारतखोज|language= हिन्दी}}</ref>
'''अतीस''' रैननकुलैसी परिवार का एक पौधा है। इसका वानस्पतिक नाम 'एकोनिटक हेटेरोफिल्रलम' है। यह पौधा आल्पस, पाइरेनीज तथा [[यूरोप]] और [[एशिया]] के अन्य पर्वतीय प्रदेशों में पाया जाता है। समशीतोष्ण प्रदेशों में इसकी [[कृषि]] सर्वाधिक की जाती है। अतीस [[हिमालय]] के पश्चिमी समशीतोष्ण प्रदेशों में घास के रूप में उगता है। इसकी सात नस्लें या जातियाँ पाई जाती हैं।<ref>{{cite web |url= http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%85%E0%A4%A4%E0%A5%80%E0%A4%B8|title= अतीस|accessmonthday= 19 जून|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= भारतखोज|language= हिन्दी}}</ref>


*यह एक सीधा, वर्षानुवर्षी शाक है। इसका तना पत्तियों से भरा हुआ एक से तीन फुट तक ऊँचा तथा आधार पर से ही शाखान्वित होता है। इसकी नीचे की सतह चिकनी होती है।
*यह एक सीधा, वर्षानुवर्षी शाक है। इसका तना पत्तियों से भरा हुआ एक से तीन फुट तक ऊँचा तथा आधार पर से ही शाखान्वित होता है। इसकी नीचे की सतह चिकनी होती है।

Latest revision as of 12:23, 25 October 2017

अतीस रैननकुलैसी परिवार का एक पौधा है। इसका वानस्पतिक नाम 'एकोनिटक हेटेरोफिल्रलम' है। यह पौधा आल्पस, पाइरेनीज तथा यूरोप और एशिया के अन्य पर्वतीय प्रदेशों में पाया जाता है। समशीतोष्ण प्रदेशों में इसकी कृषि सर्वाधिक की जाती है। अतीस हिमालय के पश्चिमी समशीतोष्ण प्रदेशों में घास के रूप में उगता है। इसकी सात नस्लें या जातियाँ पाई जाती हैं।[1]

  • यह एक सीधा, वर्षानुवर्षी शाक है। इसका तना पत्तियों से भरा हुआ एक से तीन फुट तक ऊँचा तथा आधार पर से ही शाखान्वित होता है। इसकी नीचे की सतह चिकनी होती है।
  • अतीस की पत्तियों की लंबाई दो से चार इंच तक, पत्रदल का आकार अंडे के समान या लगभग गोल होता है।
  • इसके पत्रदल का किनारा दाँत के समान कटा हुआ तथा आगे का भाग कुछ नुकीला या गोल होता है। इसमें कई पुष्प एक ही स्थान से निकलते हैं और गुच्छों के रूप में लटके रहते हैं।
  • यह पौधा अत्यंत विषैला होता है तथा इसकी ट्यूबरस जड़ों में कुछ ऐल्‌केलॉइडस भी पाए जाते हैं, जिनमें एकोनिटम मुख्य है। इसी से 'एकोनाइट' नामक दवा बनाई जाती है। इस औषधि का प्रयोग ज्वर तथा शरीर का दर्द दूर करने में किया जाता है। इसके अतिरिक्त बलकारक औषधि के रूप में, शरीर की लाल सूजन दूर करने आदि में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
  • होमियोपैथी में जुकाम, बुखार, गठिया, ट्यूमर आदि में इसका प्रयोग किया जाता है।
  • अतीस, कगरासिंघी, नागरमोथा तथा पीपल को एक साथ मिलाकर 'चौहड्डी' नामक औषधि बनाई जाती है, जिसको शहद के साथ मिलाकर खाने से खाँसी दूर दो जाती है।
  • शरीर के बाहरी हिस्सों में इसका प्रयोग मुख और सिर की नसों का दर्द दूर करने के लिए किया जाता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अतीस (हिन्दी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 19 जून, 2014।

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