पोप ग्रेगरी प्रथम: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replacement - " जगत " to " जगत् ")
m (Text replacement - "khoj.bharatdiscovery.org" to "bharatkhoj.org")
 
Line 2: Line 2:
{{tocright}}
{{tocright}}
==योगदान==
==योगदान==
ईसाई धर्म के व्यापक प्रचार में पोप ग्रेगरी प्रथम ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। [[इंग्लैंड]] से रोमन जाति के हट जाने के बाद वहाँ ईसाई धर्म का लोप होने लगा था। नई अंग्रेज़ जाति<ref> Angles</ref> [[जर्मनी]] से आकर बसने लगी थी, जो कई देवी देवताओं की [[पूजा]] करती थी। इसने आते ही इंग्लैंड के ईसाई धर्म को नष्ट कर दिया। कहते हैं, एक बार पोप ग्रेगरी ने कुछ [[अंग्रेज़]] बालकों का [[रोम]] के बाज़ार में दास के रूप में बिकते देखा। इन बालकों की सुंदरता से ये अत्यधिक प्रभावित हुए और निश्चय किया कि ब्रिटिश द्वीप में जहाँ रोमन काल में ईसाई धर्म को लोगों ने स्वीकार कर लिया था, फिर से इस धर्म का प्रचार किया जाय। धर्म प्रचार के उद्देश्य से इन्होंने 'आगस्टाइन' नाम के एक प्रसिद्ध पादरी को इंग्लैंड भेजा, जिसने केंट के राजा एथलबर्ट के दरबार में जाकर ईसाई धर्म का प्रचार प्रारंभ कर दिया। एथलबर्ट ने [[फ़्राँस]] की एक ईसाई राजकुमारी से [[विवाह]] किया था, अत: उसने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया और आगस्टाइन का केंटरबरी में गिरजाघर बनाने की आज्ञा दे दी। इस प्रकार पोप ग्रेगरी के प्रयत्न के फलस्वरूप इंग्लैंड में ईसाई धर्म का फिर से प्रचार हुआ।<ref name="aa">{{cite web |url=http://khoj.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%AA%E0%A5%8B%E0%A4%AA_%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A5%80 |title=पोप ग्रेगरी प्रथम|accessmonthday=13 जून |accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= भारतखोज|language= हिन्दी}}</ref>
ईसाई धर्म के व्यापक प्रचार में पोप ग्रेगरी प्रथम ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। [[इंग्लैंड]] से रोमन जाति के हट जाने के बाद वहाँ ईसाई धर्म का लोप होने लगा था। नई अंग्रेज़ जाति<ref> Angles</ref> [[जर्मनी]] से आकर बसने लगी थी, जो कई देवी देवताओं की [[पूजा]] करती थी। इसने आते ही इंग्लैंड के ईसाई धर्म को नष्ट कर दिया। कहते हैं, एक बार पोप ग्रेगरी ने कुछ [[अंग्रेज़]] बालकों का [[रोम]] के बाज़ार में दास के रूप में बिकते देखा। इन बालकों की सुंदरता से ये अत्यधिक प्रभावित हुए और निश्चय किया कि ब्रिटिश द्वीप में जहाँ रोमन काल में ईसाई धर्म को लोगों ने स्वीकार कर लिया था, फिर से इस धर्म का प्रचार किया जाय। धर्म प्रचार के उद्देश्य से इन्होंने 'आगस्टाइन' नाम के एक प्रसिद्ध पादरी को इंग्लैंड भेजा, जिसने केंट के राजा एथलबर्ट के दरबार में जाकर ईसाई धर्म का प्रचार प्रारंभ कर दिया। एथलबर्ट ने [[फ़्राँस]] की एक ईसाई राजकुमारी से [[विवाह]] किया था, अत: उसने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया और आगस्टाइन का केंटरबरी में गिरजाघर बनाने की आज्ञा दे दी। इस प्रकार पोप ग्रेगरी के प्रयत्न के फलस्वरूप इंग्लैंड में ईसाई धर्म का फिर से प्रचार हुआ।<ref name="aa">{{cite web |url=http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%AA%E0%A5%8B%E0%A4%AA_%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A5%80 |title=पोप ग्रेगरी प्रथम|accessmonthday=13 जून |accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= भारतखोज|language= हिन्दी}}</ref>
==प्रशासनिक योग्यता==
==प्रशासनिक योग्यता==
पोप ग्रेगरी प्रथम ने ईसाई धर्म के सर्वोच्च नेता के रूप में बड़े ऊँचे दर्जे की प्रशसनिक प्रतिभा का परिचय दिया। चाहे धर्म संबंधी तर्क हों या चर्च की संपत्ति की व्यवस्था संबंधी बातें, इन्होंने सबका प्रबंध पटुता से किया। छोटी से छोटी बातों की ओर भी इन्होंने व्यक्तिगत ध्यान दिया और पूरे ईसाई जगत् की प्रशासनिक आवश्यकताओं से परिचित रहने की चेष्टा की। इनके पत्रों से इनकी व्यावहारिक बुद्धि और प्रशासनिक योग्यता का यथेष्ट आभास मिलता है।<ref name="aa"/>
पोप ग्रेगरी प्रथम ने ईसाई धर्म के सर्वोच्च नेता के रूप में बड़े ऊँचे दर्जे की प्रशसनिक प्रतिभा का परिचय दिया। चाहे धर्म संबंधी तर्क हों या चर्च की संपत्ति की व्यवस्था संबंधी बातें, इन्होंने सबका प्रबंध पटुता से किया। छोटी से छोटी बातों की ओर भी इन्होंने व्यक्तिगत ध्यान दिया और पूरे ईसाई जगत् की प्रशासनिक आवश्यकताओं से परिचित रहने की चेष्टा की। इनके पत्रों से इनकी व्यावहारिक बुद्धि और प्रशासनिक योग्यता का यथेष्ट आभास मिलता है।<ref name="aa"/>

Latest revision as of 12:28, 25 October 2017

पोप ग्रेगरी प्रथम (अंग्रेज़ी: Pope Gregory I, जन्म- 540 ई., रोम; मृत्यु- 12 मार्च, 604 ई., रोम) को ईसाई धर्म का सर्वोपरि नेता चुने जाने के पहले रोमन सिनेटर का सम्मान प्राप्त था। राजनीतिक क्षेत्र में रहते हुए भी इन्होंने अवश्य ही यश और ख्याति अर्जित की, लेकिन इन्होंने राजनीति को छोड़कर धर्म के क्षेत्र में आना श्रेयस्कर समझा। सन 590 में ये पोप चुने गए थे। पोप ग्रेगरी प्रथम ने ईसाई धर्म से पहले की कथाओं[1] की जगह ईसाई संतों की कहानियों का प्रचार करवाया।

योगदान

ईसाई धर्म के व्यापक प्रचार में पोप ग्रेगरी प्रथम ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। इंग्लैंड से रोमन जाति के हट जाने के बाद वहाँ ईसाई धर्म का लोप होने लगा था। नई अंग्रेज़ जाति[2] जर्मनी से आकर बसने लगी थी, जो कई देवी देवताओं की पूजा करती थी। इसने आते ही इंग्लैंड के ईसाई धर्म को नष्ट कर दिया। कहते हैं, एक बार पोप ग्रेगरी ने कुछ अंग्रेज़ बालकों का रोम के बाज़ार में दास के रूप में बिकते देखा। इन बालकों की सुंदरता से ये अत्यधिक प्रभावित हुए और निश्चय किया कि ब्रिटिश द्वीप में जहाँ रोमन काल में ईसाई धर्म को लोगों ने स्वीकार कर लिया था, फिर से इस धर्म का प्रचार किया जाय। धर्म प्रचार के उद्देश्य से इन्होंने 'आगस्टाइन' नाम के एक प्रसिद्ध पादरी को इंग्लैंड भेजा, जिसने केंट के राजा एथलबर्ट के दरबार में जाकर ईसाई धर्म का प्रचार प्रारंभ कर दिया। एथलबर्ट ने फ़्राँस की एक ईसाई राजकुमारी से विवाह किया था, अत: उसने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया और आगस्टाइन का केंटरबरी में गिरजाघर बनाने की आज्ञा दे दी। इस प्रकार पोप ग्रेगरी के प्रयत्न के फलस्वरूप इंग्लैंड में ईसाई धर्म का फिर से प्रचार हुआ।[3]

प्रशासनिक योग्यता

पोप ग्रेगरी प्रथम ने ईसाई धर्म के सर्वोच्च नेता के रूप में बड़े ऊँचे दर्जे की प्रशसनिक प्रतिभा का परिचय दिया। चाहे धर्म संबंधी तर्क हों या चर्च की संपत्ति की व्यवस्था संबंधी बातें, इन्होंने सबका प्रबंध पटुता से किया। छोटी से छोटी बातों की ओर भी इन्होंने व्यक्तिगत ध्यान दिया और पूरे ईसाई जगत् की प्रशासनिक आवश्यकताओं से परिचित रहने की चेष्टा की। इनके पत्रों से इनकी व्यावहारिक बुद्धि और प्रशासनिक योग्यता का यथेष्ट आभास मिलता है।[3]

धार्मिक ग्रंथों की समीक्षा

पोप ग्रेगरी प्रथम ने धार्मिक ग्रंथों की समीक्षा तथा धर्म संबंधी बातों की वार्तालाप[4] के रूप में विवेचना भी की। लैटिन भाषा की इन रचनाओं में इन्होंने गुण विषयों के निरूपण के लिये अधिकांशत: रूपक शैली का प्रयोग किया है। पोप ग्रेगरी प्रथम अपने शब्दों में दो अर्थ रखते हैं; एक तो ऊपरी जो स्पष्ट होता है और दूसरा लाक्षणिक, जिससे धर्म संबंधी गुण विचार भी सरलता से समझ में आ जाते हैं।

प्रचार कार्य

पोप ग्रेगरी प्रथम ने ईसाई धर्म से पहले की कथाओं की जगह ईसाई संतों की कहानियों का प्रचार करवाया। इन्होंने जो कुछ भी लिखा, धर्म के व्यापक प्रचार की भावना से लिखा। इनका ध्यान विचारों की स्पष्ट अभिव्यक्ति पर था, न कि शैली पर। लेकिन फिर भी इनकी भाषा में सौंदर्य और प्रभाव है।[3]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. Tales
  2. Angles
  3. 3.0 3.1 3.2 पोप ग्रेगरी प्रथम (हिन्दी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 13 जून, 2015।
  4. Dialogues

संबंधित लेख

नया पन्नाहिन्दी विश्वकोश