विजयगढ़, राजस्थान: Difference between revisions
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*यदि उक्त [[तिथि]] का अभिज्ञान ठीक हो तो वारिक-विष्णुवर्धन को समुद्रगुप्त का समकालीन तथा उसका करद सामंत मानना पड़ेगा। | *यदि उक्त [[तिथि]] का अभिज्ञान ठीक हो तो वारिक-विष्णुवर्धन को समुद्रगुप्त का समकालीन तथा उसका करद सामंत मानना पड़ेगा। | ||
*यहाँ से प्राप्त [[अभिलेख]] में विष्णुवर्धन द्वारा पुंडरीक यज्ञों के | *यहाँ से प्राप्त [[अभिलेख]] में विष्णुवर्धन द्वारा पुंडरीक यज्ञों के पश्चात् 'यूपस्तंभ' के निर्माण करवाए जाने का उल्लेख है। | ||
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Latest revision as of 07:33, 7 November 2017
विजयगढ़ भरतपुर ज़िला, राजस्थान का ऐतिहासिक स्थान है। यह बयाना से 2 मील की दूरी पर दक्षिण-पश्चिम की ओर स्थित है। यहाँ से यौधेय-गण का एक शिलालेख (दूसरी शती ई.) प्राप्त हुआ है, जिससे इस काल में यौधेयों के राज्य का प्रसार इस क्षेत्र में सिद्ध होता है।[1]
- गिरनार स्थित रुद्रदामन (लगभग 120 ई.) के अभिलेख में उसकी यौधेयों पर प्राप्त विजय का उल्लेख है। बाद में यौधेयों को गुप्त सम्राट समुद्रगुप्त से भी परास्त होना पड़ा था, जैसा कि 'हरिषेण' लिखित प्रयाग-प्रशस्ति (पंक्ति 22) से ज्ञात होता है।
- विजयगढ़ के इस अभिलेख से इसके खंडित होने के कारण और अधिक ऐतिहासिक जानकारी नहीं मिल सकी।
- विजयगढ़ से वारिककुल के राजा विष्णुवर्धन का एक प्रस्तर स्तंभ लेख भी मिला है। इसमें संवत 428 दिया हुआ है, जो लिपि के आधार पर अभिलेख की परीक्षा करने से, विक्रम संवत[2] जान पड़ता है।
- यदि उक्त तिथि का अभिज्ञान ठीक हो तो वारिक-विष्णुवर्धन को समुद्रगुप्त का समकालीन तथा उसका करद सामंत मानना पड़ेगा।
- यहाँ से प्राप्त अभिलेख में विष्णुवर्धन द्वारा पुंडरीक यज्ञों के पश्चात् 'यूपस्तंभ' के निर्माण करवाए जाने का उल्लेख है।
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