परिषा: Difference between revisions

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Latest revision as of 07:28, 9 January 2020

परिषा मौर्य काल के शासन प्रबन्ध में राज्य की मंत्रिपरिषद को कहा जाता था। सम्राट अशोक के शिलालेखों में भी 'परिषा' का उल्लेख है।

  • राजा बहुमत के निर्णय के अनुसार कार्य करता था। जहाँ तक मंत्रियों तथा मंत्रिपरिषद के अधिकार का सवाल है, उनका मुख्य कार्य राजा को परामर्श देना था। वे राजा की निरंकुशता पर नियंत्रण रखते थे, किन्तु मंत्रियों का प्रभाव बहुत कुछ उनकी योग्यता तथा कर्सठता पर निर्भर करता था।
  • अशोक के छठे शिलालेख से अनुमान लगता है कि परिषद राज्य की नीतियों अथवा राजाज्ञाओं पर विचार-विमर्श करती थी और यदि आवश्यक समझती थी तो उनमें संशोधन का सुझाव भी देती थी।
  • यह राजा के हित में था कि वह मंत्री या परिषद के सदस्यों के परामर्श से लाभ उठाए। किन्तु किसी नीति या कार्य के विषय में अन्तिम निर्णय राजा के ही हाथ में होता था।


  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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