जुएल उरांव: Difference between revisions
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Latest revision as of 08:43, 21 March 2020
जुएल उरांव
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पूरा नाम | जुएल उरांव |
जन्म | 22 मार्च, 1961 |
जन्म भूमि | सुंदरगढ़, ओडिशा |
पति/पत्नी | झिंगिया उरांव |
संतान | दो पुत्री |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | राजनीतिज्ञ |
पार्टी | भारतीय जनता पार्टी |
पद | कैबिनेट मंत्री (जनजातीय मामले) |
कार्य काल | 26 मई, 2014 से 24 मई, 2019 तक |
धर्म | हिंदू |
अन्य जानकारी | जुएल उरांव ओडिशा के सुंदरगढ़ संसदीय क्षेत्र से लगातार तीन बार 12वीं, 13वीं और 14वीं लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। |
जुएल उरांव (अंग्रेज़ी: Jual Oram, जन्म:22 मार्च, 1961) 16वीं लोकसभा सांसद एवं मोदी मंत्रिमण्डल में जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री रहे हैं। वह ओडिशा में भाजपा के अनुभवी नेताओं में से एक हैं। वह ओडिशा में भाजपा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। जुएल उरांव ने 1989 में भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा था। वह 1993 से 1995 के बीच भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे। 2014 के लोकसभा चुनाव में जुएल उरांव को लोकसभा सीट पर जीत हासिल हुई थी। उन्होंने इन चुनावों में बीजू जनता दल के दिलीप टर्की को मात दी थी। वह ओडिशा से जीतने वाले भाजपा के एकमात्र सांसद थे।
संक्षिप्त परिचय
जुएल उरांव का जन्म 22 मार्च, 1961 को ओडिशा के सुंदरगढ़ में हुआ था। उन्होंने 16वीं लोकसभा में सुंदरगढ़ संसदीय क्षेत्र से बीजू जनता दल (बीजद) के दिलीप तिर्की को कड़ी शिकस्त दी थी। सुंदरगढ़ संसदीय क्षेत्र से लगातार तीन बार 12वीं, 13वीं और 14वीं लोकसभा में चुनाव जीतने वाले जुएल उरांव 15वीं लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी व पूर्व मुख्यमंत्री हेमानंद से पराजित हो गए थे। जुएल उरांव भारत सरकार में पूर्व कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं।
जुएल उरांव ईसाई समुदाय से आते हैं। उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लिया है। राजनीति में कदम रखने से पहले उन्होंने भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड में असिस्टेंट इंजीनियर की नौकरी भी की। उन्होंने एक इंटरव्यू में एक बार कहा था कि- "अगर वह राजनीति में नहीं आते तो इंजीनियर की नौकरी कर रहे होते।" उनका विवाह झिंजिया उरांव से जुआ है और उनकी दो बेटियां हैं।[1]
राजनीतिक शुरुआत
जुएल उरांव ने 1989 में भारतीय जनता पार्टी का दमान थामा। वे ओडिशा की बोनाई विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। अगले विधानसभा चुनावों में भी उन्हें यहां से जीत मिली। जुएल उरांव 1993 से 1995 के बीच भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे। इसके बाद वह दो साल तक पार्टी के राष्ट्रीय सचिव भी रहे। 1997 में उन्हें ओडिशा का अध्यक्ष बनाया गया। जुएल दो साल तक इस पद पर रहे।
देश के पहले आदिवासी मामलों के मंत्री
जुएल उरांव 1998 में सुंदरगढ़ से सांसद चुने गए। अगली बार भी वह इस सीट से सांसद चुने गए। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में जब आदिवासी मामलों का मंत्रालय बना तो जुएल उरांव देश के पहले आदिवासी मामलों के मंत्री बने। 2004 में पार्टी ने उन्हें फिर से ओडिशा का प्रभारी बनाया। इस पद पर उन्होंने दो साल तक पार्टी के लिए काम किया। 2006 से 2009 के बीच वह पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे।
भाजपा के अकेले विजयी नेता-2009
2009 के लोकसभा चुनाव में जुएल उरांव के हाथ से सुंदरगढ़ सीट फिसल गई। 2009 में जुएल उरांव को तीसरी बार ओडिशा का अध्यक्ष बनाया गया। 2013 में उन्हें पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया गया। 2014 के लोकसभा चुनाव में जुएल उरांव को फिर से लोकसभा सीट पर जीत हासिल हुई। उन्होंने इन चुनावों में बीजू जनता दल के दिलीप टर्की को मात दी थी। उस समय वह ओडिशा से जीतने वाले भाजपा के एकमात्र सांसद थे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ देश के पहले आदिवासी मंत्री जुएल उरांव, इंजीनियरिंग से आये राजनीति में (हिंदी) aajtak.intoday.in। अभिगमन तिथि: 21 मार्च, 2020।