अल्वा: Difference between revisions

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'''अल्वा''' गुजरात राज्य के अंतर्गत एक क्षेत्र। सन्‌ 1950 ई. से पहले यह क्षेत्र रेवाकंठ नाम की देशी रियासत की जागीर था। इसमें सात गाँव सम्मिलित हैं। उत्तर और दक्षिण में वीरपुर और पांटलावडी हैं जबकि पूर्व में तीन छोटे-छोटे गाँव और पांटलावडी का भाग पड़ता है। पश्चिम में देवलिया नामक प्रसिद्ध गाँंव है। इस क्षेत्र का क्षेत्रफल केवल पाँच वर्गमील है, परंतु यहाँ भील जाति के पिछड़े हुए लोग रहते हैं जिनमें से अधिकांश जंगली जीवन व्यतीत करते हैं और प्राय: शिकार पर ही निर्भर रहते हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद राज्य सरकार का ध्यान इस इलाके की ओर आकर्षित हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप विकास कार्यक्रमों को यहाँ तेजी से लागू किया जा रहा है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=270 |url=}}</ref>
'''अल्वा''' गुजरात राज्य के अंतर्गत एक क्षेत्र। सन्‌ 1950 ई. से पहले यह क्षेत्र रेवाकंठ नाम की देशी रियासत की जागीर था। इसमें सात गाँव सम्मिलित हैं। उत्तर और दक्षिण में वीरपुर और पांटलावडी हैं जबकि पूर्व में तीन छोटे-छोटे गाँव और पांटलावडी का भाग पड़ता है। पश्चिम में देवलिया नामक प्रसिद्ध गाँंव है। इस क्षेत्र का क्षेत्रफल केवल पाँच वर्गमील है, परंतु यहाँ भील जाति के पिछड़े हुए लोग रहते हैं जिनमें से अधिकांश जंगली जीवन व्यतीत करते हैं और प्राय: शिकार पर ही निर्भर रहते हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद राज्य सरकार का ध्यान इस इलाके की ओर आकर्षित हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप विकास कार्यक्रमों को यहाँ तेज़ीसे लागू किया जा रहा है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=270 |url=}}</ref>





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अल्वा गुजरात राज्य के अंतर्गत एक क्षेत्र। सन्‌ 1950 ई. से पहले यह क्षेत्र रेवाकंठ नाम की देशी रियासत की जागीर था। इसमें सात गाँव सम्मिलित हैं। उत्तर और दक्षिण में वीरपुर और पांटलावडी हैं जबकि पूर्व में तीन छोटे-छोटे गाँव और पांटलावडी का भाग पड़ता है। पश्चिम में देवलिया नामक प्रसिद्ध गाँंव है। इस क्षेत्र का क्षेत्रफल केवल पाँच वर्गमील है, परंतु यहाँ भील जाति के पिछड़े हुए लोग रहते हैं जिनमें से अधिकांश जंगली जीवन व्यतीत करते हैं और प्राय: शिकार पर ही निर्भर रहते हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद राज्य सरकार का ध्यान इस इलाके की ओर आकर्षित हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप विकास कार्यक्रमों को यहाँ तेज़ीसे लागू किया जा रहा है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 270 |

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