तेलंगाना: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 27: Line 27:
|पुरुष=
|पुरुष=
|उच्च न्यायालय=
|उच्च न्यायालय=
|राज्यपाल=तमिलसाई सुंदरराजन
|राज्यपाल=[[तमिलसाई सुंदरराजन]]
|उपराज्यपाल=
|उपराज्यपाल=
|प्रशासक=
|प्रशासक=

Revision as of 05:40, 28 August 2021

तेलंगाना
राजधानी हैदराबाद
राजभाषा(एँ) तेलुगू, उर्दू
स्थापना 2 जून, 2014
जनसंख्या 35,286,757
· घनत्व 310 /वर्ग किमी
क्षेत्रफल 1,14,840 वर्ग किमी
भौगोलिक निर्देशांक 17.366° उत्तर, 78.476° पूर्व
ज़िले 10
महानगर हैदराबाद
राज्यपाल तमिलसाई सुंदरराजन
मुख्यमंत्री के. चन्द्रशेखर राव
विधानसभा सदस्य 119
विधान परिषद सदस्य 40
लोकसभा क्षेत्र 17
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट
अद्यतन‎

तेलंगाना (अंग्रेज़ी: Telangana, तेलुगू : తెలంగాణ), भारत के आन्ध्र प्रदेश राज्य से अलग होकर बनने वाला 29वाँ नवगठित राज्य है। हैदराबाद को दस साल के लिए तेलंगाना और आन्ध्र प्रदेश की संयुक्त राजधानी बनाया गया है। यह परतन्त्र भारत के हैदराबाद नामक राजवाडे के तेलुगू भाषी क्षेत्रों से मिलकर बना है। 'तेलंगाना' शब्द का अर्थ है - 'तेलुगूभाषियों की भूमि'। गौरतलब है कि 1,14,800 वर्ग किलोमीटर में फैले तेलंगाना में आंध्र प्रदेश के 23 ज़िलों में से 10 ज़िले हैदराबाद, रंगारेड्डी, मेदक, नलगोंडा, महबूबनगर, वारंगल, करीमनगर, निज़ामाबाद , आदिलाबाद और खम्मम आते हैं। आंध्र प्रदेश की 294 में से 119 विधानसभा क्षेत्र और 17 लोकसभा क्षेत्र भी इसी में आते हैं। क़रीब 3.5 करोड़ आबादी वाले तेलंगाना की भाषा तेलुगु और दक्कनी उर्दू है। तेलंगाना को एक अलग राज्य बनाने की मांग काफ़ी पहले से ही की जाती रही थी और इसके लिए आंदोलन भी किया जाता रहा।

इतिहास

तेलंगाना मूल रूप से निज़ाम की हैदराबाद रियासत का हिस्सा था। 1948 में भारत ने निज़ाम की रियासत का अंत कर दिया और हैदराबाद राज्य का गठन किया गया। 1956 में हैदराबाद का हिस्सा रहे तेलंगाना को नवगठित आंध्र प्रदेश में मिला दिया गया। निज़ाम के शासनाधीन रहे कुछ हिस्से कर्नाटक और महाराष्ट्र में मिला दिए गए। भाषा के आधार पर गठित होने वाला आंध्र प्रदेश पहला राज्य था।

तेलंगाना आंदोलन

चालीस के दशक में कामरेड वासुपुन्यया की अगुवाई में कम्‍युनिस्टों ने पृथक् तेलंगाना की मुहिम की शुरूआत की थी। उस समय इस आंदोलन का उद्देश्य था भूमिहीनों को भूपति बनाना। छह वर्षों तक यह आंदोलन चला लेकिन बाद में इसकी कमर टूट गई और इसकी कमान नक्सलवादियों के हाथ में आ गई। आज भी इस इलाक़े में नक्सलवादी सक्रिय हैं। 1969 में तेलंगाना आंदोलन फिर शुरू हुआ था। दरअसल दोनों इलाक़ों में भारी असमानता है। आंध्र मद्रास प्रेसेडेंसी का हिस्सा था और वहाँ शिक्षा और विकास का स्तर काफ़ी ऊँचा था जबकि तेलंगाना इन मामलों में पिछड़ा है। तेलंगाना क्षेत्र के लोगों ने आंध्र में विलय का विरोध किया था। उन्हें डर था कि वो नौकरियों के मामले में पिछड़ जाएंगे। अब भी दोनों क्षेत्र में ये अंतर बना हुआ है। साथ ही सांस्कृतिक रूप से भी दोनों क्षेत्रों में अंतर है। तेलंगाना पर उत्तर भारत का ख़ासा प्रभाव है।

आंदोलन का शुरुआती प्रभाव

शुरुआत में तेलंगाना को लेकर छात्रों ने आंदोलन शुरू किया था लेकिन इसमें लोगों की भागीदारी ने इसे ऐतिहासिक बना दिया। इस आंदोलन के दौरान पुलिस फ़ायरिंग और लाठी चार्ज में साढे तीन सौ से अधिक छात्र मारे गए थे। उस्मानिया विश्वविद्यालय इस आंदोलन का केंद्र था। उस दौरान एम. चेन्ना रेड्डी ने 'जय तेलंगाना' का नारा उछाला था लेकिन बाद में उन्होंने अपनी पार्टी तेलंगाना प्रजा राज्यम पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया। इससे आंदोलन को भारी झटका लगा। इसके बाद इंदिरा गांधी ने उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया था। 1971 में नरसिंह राव को भी आंध्र प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था क्योंकि वे तेलंगाना क्षेत्र के थे। [[चित्र:K-Chandrasekhar-Rao.jpg|thumb|left|के. चन्द्रशेखर राव]]

चंद्रशेखर राव की भूमिका

  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य

नब्बे के दशक में के. चंद्रशेखर राव 'तेलुगू देशम पार्टी' के हिस्सा हुआ करते थे। 1999 के चुनावों के बाद चंद्रशेखर राव को उम्मीद थी कि उन्हें मंत्री बनाया जाएगा, लेकिन उन्हें डिप्टी स्पीकर बनाया गया। वर्ष 2001 में उन्होंने पृथक् तेलंगाना का मुद्दा उठाते हुए 'तेलुगू देशम पार्टी' छोड़ दी और 'तेलंगाना राष्ट्र समिति' का गठन कर दिया। 2004 में वाई. एस. राजशेखर रेड्डी ने चंद्रशेखर राव से हाथ मिला लिया और पृथक् तेलंगाना राज्य का वादा किया। लेकिन बाद में उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया। इसके बाद 'तेलंगाना राष्ट्र समिति' के विधायकों ने इस्तीफ़ा दे दिया और चंद्रशेखर राव ने भी केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा दे दिया था।[1]

पृथक् राज्य का गठन

7 फ़रवरी, 2014 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विधेयक पास करके और हैदराबाद को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की सीमांध्र नेताओं की मांग खारिज कर दी थी। इसके बाद सीमांध्र और तेलंगाना सांसदों के बीच हंगामे और झड़प के बीच विधेयक लोकसभा में पेश किया गया। 18 फ़रवरी, 2014 को लोकसभा ने तेलंगाना विधेयक पास कर दिया और फिर अगले ही दिन किरण रेड्डी ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। 20 फ़रवरी, 2014 को राज्य सभा ने विधेयक पास किया। तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सीमांध्र के लिए पैकेज की घोषणा कर दी। 1 मार्च, 2014 को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने तेलंगाना विधेयक पर अपनी सहमति दे दी और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ। इसके बाद 30 अप्रैल, 2014 को 119 सदस्यीय तेलंगाना विधानसभा और 17 लोकसभा सीटों पर एक साथ चुनाव हुए। 2 जून, 2014 को नए राज्य के रूप में तेलंगाना का जन्म हुआ और के. चंद्रशेखर राव ने राज्य के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. तेलंगाना की पृष्ठभूमि (हिंदी) बीबीसी हिंदी। अभिगमन तिथि: 30 जुलाई, 2013।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख