व्यास सम्मान: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 85: | Line 85: | ||
|- | |- | ||
| [[2006]] | | [[2006]] | ||
| कविता का | | कविता का यथार्थ | ||
| [[ | | [[परमानन्द श्रीवास्तव]] | ||
| | | [[चित्र:Parmanand-Shrivastav.jpg|80px|center|link=परमानन्द श्रीवास्तव]] | ||
|- | |- | ||
| [[2005]] | | [[2005]] |
Revision as of 11:02, 12 September 2021
व्यास सम्मान (अंग्रेज़ी: Vyas Samman) भारतीय साहित्य में किये गये योगदान के लिए दिया जाने वाला ज्ञानपीठ पुरस्कार के बाद दूसरा सबसे बड़ा साहित्य-सम्मान है। इस पुरस्कार को 1991 में के. के. बिड़ला फाउंडेशन ने प्रारंभ किया था। पहला व्यास सम्मान वर्ष 1991 में रामविलास शर्मा की कृति 'भारत के प्राचीन भाषा परिवार और हिन्दी' के लिए दिया गया था। सच्चिदानंद हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय', कुंवर नारायण तथा केदारनाथ सिंह को भी इस पुरस्कार से अलंकृत किया जा चुका है।
विशेषता
- व्यास सम्मान के तहत प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह और 2.5 लाख रुपये नकद प्रदान किये जाते हैं। सम्मान राशि फाउंडेशन द्वारा निर्धारित की जाती है।
- यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष पिछले 10 वर्षों के भीतर प्रकाशित हिन्दी की कोई भी साहित्यिक कृति को दिया जाता है।
- समिति की राय में यदि किसी वर्ष कोई भी कृति व्यास सम्मान के लिए अपेक्षित स्तर की न हो तो उस वर्ष पुरस्कार न देने का भी प्रावधान है।
- व्यास सम्मान के नियमों के अनुसार कृति साहित्य की किसी विधा में हो सकती है। सृजनात्मक साहित्य के अतिरिक्त अन्य विधाओं जैसे- आत्मकथा, ललित निबंध, समीक्षा व आलोचना, साहित्य और भाषा का इतिहास आदि पुस्तकों पर भी विचार किया जाता है।
- व्यास सम्मान की विशिष्टता यह है कि इसे साहित्यकार को केंद्र में न रखकर साहित्यिक कृति को दिया जाता है।
- सम्मान मरणोपरांत नहीं दिया जाता, लेकिन चयन समिति में विचार-विमर्श आरम्भ हो जाने के बाद यदि प्रस्तावित कृति के लेखक की मृत्यु होने पर कृति पर विचार किया जा सकता है।
- भविष्य में सम्मानित लेखक की किसी अन्य कृति पर विचार नहीं किया जाता है।
व्यास सम्मान से अलंकृत साहित्यकार
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख