गोविन्द मिश्र
गोविन्द मिश्र
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पूरा नाम | गोविन्द मिश्र |
जन्म | 1 अगस्त, 1939 |
जन्म भूमि | बाँदा, उत्तर प्रदेश |
अभिभावक | माधव प्रसाद मिश्र और सुमित्रा देवी मिश्रा |
कर्म-क्षेत्र | साहित्यकार एवं कवि |
मुख्य रचनाएँ | धूल पौधों पर, कोहरे में कैद रंग, पाँच आंगनों वाला घर, हुजूर दरबार, धुंध भरी सुर्खी, लाल पीली जमीन आदि |
विषय | कहानी, उपन्यास, निबंध |
भाषा | हिन्दी, अंग्रेज़ी |
विद्यालय | इलाहाबाद विश्वविद्यालय |
शिक्षा | एम.ए. (अंग्रेज़ी साहित्य) |
पुरस्कार-उपाधि | सरस्वती सम्मान (2013), व्यास सम्मान (1998), साहित्य अकादमी पुरस्कार हिन्दी (2008) |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | इनके उपन्यास 'तुम्हारी रोशनी में' और 'धीर समीरे' का गुजराती में, 'पाँच आंगनों वाला घर' का गुजराती और मराठी में अनुवाद प्रकाशित हो चुका है। उनकी विभिन्न कहानियाँ दूसरी भाषाओं जैसे अंग्रेज़ी, बंगाली, पंजाबी, गुजराती और कन्नड़ में अनूदित हुई हैं। |
अद्यतन | 12:40, 11 सितम्बर 2021 (IST)
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इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
गोविन्द मिश्र (अंग्रेज़ी: Govind Mishra, जन्म: 1 अगस्त, 1939) हिन्दी के प्रसिद्ध कवि एवं लेखक हैं। उनको उनकी साहित्य सेवाओं के लिए उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, भारतीय भाषा परिषद कलकत्ता, साहित्य अकादमी दिल्ली तथा व्यास सम्मान द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। गोविन्द मिश्र के अब तक 10 उपन्यास और 12 कहानी-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त यात्रा वृत्तांत, बाल साहित्य, साहित्यिक निबंध और कविता-संग्रह भी प्रकाशित हुए हैं। अनेक विश्वविद्यालयों में उनकी रचनाओं पर शोध हुए हैं। वे पाठ्यक्रम की पुस्तकों में शामिल किए गए हैं, रंगमंच पर उनकी रचनाओं का मंचन किया गया है और टीवी धारावाहिकों में भी उनकी रचनाओं पर चलचित्र प्रस्तुत किए गए हैं।
जीवन परिचय
गोविन्द मिश्र का जन्म 1 अगस्त, 1939 में उत्तर प्रदेश के नगर बाँदा में हुआ। उनके पिता का नाम माधव प्रसाद मिश्र तथा माता का नाम सुमित्रा देवी मिश्रा था। उनका बचपन गाँव के प्राकृतिक वातावरण में व्यतीत हुआ। उनकी माँ अध्यापिका थीं, जिनसे मध्यवर्गीय कुलीनता से संस्कार सहज ही उन्होंने ग्रहण किए। गुरु देवेन्द्रनाथ खरे से उन्होंने साहित्यिक संस्कार पाए। उनके आठवीं कक्षा तक की शिक्षा गंगा सिंह हाईस्कूल चारबारी में हुई। नौवीं से बारहवीं की पढ़ाई बाँदा के डी.ए.वी. स्कूल तथा राजकीय इंटर कॉलेज में हुई। दोनो परीक्षाओं में ही उन्होंने प्रथम स्थान प्राप्त किया। स्नातक की उपाधि के लिए वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय गए, जहाँ उन्होंने संस्कृत साहित्य, मध्यकालीन इतिहास और अंग्रेज़ी साहित्य के साथ यह उपाधि प्राप्त की। उन्होंने 1957 में हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग की विशारद परीक्षा उत्तीर्ण की और 1959 में (अंग्रेज़ी साहित्य में) इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम.ए. की उपाधि प्राप्त की।
परीक्षा पास करते ही वे सेंट एंड्रू कॉलेज गोरखपुर में प्राध्यापक बन गए। लगभग एक साल तक वहाँ काम करने के बाद वे अतर्रा डिग्री कालेज में विभागाध्यक्ष बनकर आ गए। इसके साथ ही वे भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी करते रहे। 1960 में पहले ही प्रयत्न में वे चुन लिए गए और 1961 में उनकी पहली नियुक्ति धनबाद में हुई। कर्म के क्षेत्र में उन्होंने जिस ईमानदारी और कार्य कुशलता का परिचय दिया उसने उन्हें राजस्व सेवा के सर्वोच्च पद अध्यक्ष, केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड तक पहुँचाया। इसके बाद वे केन्द्रीय अनुवाद ब्यूरो के निदेशक भी बने और 1997 में सेवानिवृत्ति हुई। गोविन्द मिश्र ने 1963 से नियमित लेखन के संसार में प्रवेश किया जो अभी तक निर्बाध गति से जारी है।[1]
कृतियाँ
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विशिष्ट उपलब्धियाँ
- लाल पीली जमीन श्रेष्ठ लेखन के लिए ऑथर्स गिल्ड ऑफ इण्डिया द्वारा सम्मानित।
- हुजूर दरबार उत्तर प्रदेश हिन्दी प्रतिष्ठान द्वारा प्रेमचन्द पुरस्कार से सम्मानित।
- धीर समीरे भारतीय भाषा परिषद, कलकत्ताा द्वारा सम्मानित।
- दिल्ली अकादमी द्वारा साहित्य में योगदान के लिए सम्मानित।
- भारत सरकार के सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम के अन्तर्गत जर्मनी, चेकोस्लोवाकिया और हंगरी की यात्रा। इस दौरान हाइडिलबर्ग विश्वविद्यालय को सम्बोधित किया।
- केम्ब्रिज विश्वविद्यालय में अपनी एक कहानी का पाठ।
- त्रिनिडाड और टोबैगो में अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन के लिए भारत के प्रतिनिधि मंडल में शामिल।
- मौशस की हिन्दी प्रसारणी सभा की स्वर्ण जयन्ती में भारत का प्रतिनिधित्व।
- हुजूर दरबार मुम्बई विश्वविद्यालय के लिए और तुम्हारी रोशनी में एस. एन. डी. टी. विश्वविद्यालय के पाठयक्रम में सम्मिलित। पूणे बोर्ड की 12वीं कक्षा के लिए नियत हिन्दी की पाठयपुस्तक में लेखक की एक कहानी शामिल।
- फांस और गलत नम्बर जैसी कहानियाँ दूरदर्शन पर प्रस्तुत।
- ख्याति प्राप्त थियेटर ग्रुप - अनामिका द्वारा कलकत्ता में पाँच कहानियाँ नाटक रूप में प्रस्तुत।
- दृष्टांत शीर्षक के अन्तर्गत तेरह कहानियों पर सीरियल दूरदर्शन दिल्ली द्वारा प्रस्तुत।
- पाँच आंगनों वाला घर के लिए 1998 का प्रतिष्ठित व्यास सम्मान।
- 2001 का 'सुब्रह्मण्यम भारती सम्मान' समग्र साहित्यिक योगदान के लिए राष्ट्रपति जी द्वारा दिया गया।[2]
- 'धूल पौधों पर' नामक उपन्यास के लिए गोविन्द मिश्र को वर्ष 2013 के सरस्वती सम्मान से सम्मानित किया गया। यह उपन्यास (धूल पौधों पर) वर्ष 2008 में प्रकाशित हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ गोविन्द मिश्र / परिचय (हिन्दी) गद्य कोश। अभिगमन तिथि: 10 मार्च, 2015।
- ↑ गोविन्द मिश्र की विशिष्ट उपलब्धियाँ (हिन्दी) हिन्दी नेस्ट। अभिगमन तिथि: 10 मार्च, 2015।
बाहरी कड़ियाँ
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