रामावतार शर्मा

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रामावतार शर्मा (जन्म- 1877,छपरा, बिहार; मृत्यु- 1921) लेखक‍ और कई भाषाओं के ज्ञाता थे। वे अपनी विद्वता और तार्किकता के कारण पूरे देश में प्रसिद्ध थे।

परिचय

असाधारण विद्वता के लिए प्रसिद्ध महामहोपाध्याय पंडित राम अवतार शर्मा का जन्म 1877 ईस्वी में बिहार के छपरा जिले में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद कुछ समय के लिये वाराणसी के हिंदू कॉलेज में, पटना कॉलेज में और बाद में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में अध्यापन का कार्य किया। अपनी विद्वता और तार्किकता के कारण वे पूरे देश में विख्यात थे। जो ज्ञान अंग्रेजी में उपलब्ध था उसे उन्होंने संस्कृत भाषा के माध्यम से उपलब्ध कराया।[1]

भाषाओं का ज्ञान

रामावतार शर्मा कई भाषाओं के ज्ञाता थे। वे संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी, जर्मनी, फ्रेंच, लैट्रिन आदि भाषाओं के विद्वान थे। उन्हें भारत की लगभग अन्य सभी भाषाओं का ज्ञान था।

रचनाएं

रामावतार शर्मा ने दर्शन काव्य, साहित्य व्याकरण, इतिहास, धर्मशास्त्र, भाषा-विज्ञान आदि सभी विषयों पर निबंध लिखे। कुछ प्रमुख प्रकाशित पुस्तकें इस प्रकार हैं-

  1. 'भारत का इतिहास',
  2. 'भारत ईश्वरवाद',
  3. 'आत्मबोध तरंगिनी',
  4. 'धर्म प्रबोध आदि।

राष्ट्रभाषा परिषद बिहार से उनकी निबंधावली भी प्रकाशित हो चुकी है।

मृत्यु

प्रसिद्ध महामहोपाध्याय पंडित रामावतार शर्मा का निधन 1921 में हो गया।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 743 |

बाहरी कड़ियाँ

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