विद्याभूषण विभु
विद्याभूषण विभु
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पूरा नाम | विद्याभूषण विभु |
जन्म | 4 दिसम्बर, 1892 |
जन्म भूमि | नाहरपुर, एटा, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु | 1966 |
मृत्यु स्थान | इलाहाबाद |
कर्म भूमि | भारत |
मुख्य रचनाएँ | 'चित्रकूट चित्रण', 'सोहराबरुस्तम', 'पद्यपयोनिधि', 'अभिधान अनुशीलन', 'ज्योत्स्ना' तथा 'पुरंदरपुरी'। |
भाषा | हिन्दी |
विद्यालय | आगरा विश्वविद्यालय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय |
शिक्षा | एम. ए., डी. फिल. |
प्रसिद्धि | साहित्यकार |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | विद्याभूषण विभु 'बाल साहित्य के प्रणेता' के रूप में काफ़ी प्रसिद्ध रहे। विभिन्न विषयों पर रोचक शैली में सहज और सरल ढंग से लिखना विभु जी की अपनी विशेषता है। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
विद्याभूषण विभु (जन्म- 4 दिसम्बर, 1892, एटा, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 1966, इलाहाबाद) प्रसिद्ध साहित्यकारों में से एक थे। इनकी सबसे प्रमुख कृति 'अभिधान अनुशीलन' है। इसके लेखन में लेखक ने अथक परिश्रम किया है। विद्याभूषण जी ने बाल साहित्य पर भी अनेकों पुस्तकों की रचना की है।
जन्म तथा शिक्षा
विद्याभूषण विभु का जन्म 4 दिसम्बर, 1892 ई. में उत्तर प्रदेश के एटा ज़िले में जलेसर ग्राम के नाहरपुर नामक स्थान पर हुआ था। आगरा विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम. ए. करने के उपरांत उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 'अभिधान अनुशीलन' विषय पर डी. फिल. की उपाधि प्राप्त की। इस ग्रंथ को उत्तर प्रदेश सरकार ने पुरस्कृत किया।[1]
अध्यापन
'सी.एम.एस. हाईस्कूल', अलीगढ़ और 'डी.ए.वी. कॉलेज', इलाहाबाद में विद्याभूषण विभु ने अध्यापन कार्य किया। रामगढ़ के 'नारायण स्वामी इंटर कॉलेज' के वे प्राचार्य भी रहे। अलीगढ़ से प्रकाशित 'माहौर मित्र' तथा प्रयाग से प्रकाशित 'शिशु' का सम्पादन कार्य भी इन्होंने किया।
साहित्यिक कृतियाँ
विद्याभूषण विभु जी की साहित्यिक कृतियाँ इस प्रकार हैं-
- 'पद्यपयोनिधि' (1923)
- 'सोहराबरुस्तम' (1923)
- 'चित्रकूट चित्रण' (1924)
- 'अभिधान अनुशीलन' (1958)
- 'ज्योत्स्ना' (1939)
- 'विरजानंद विजय' (1924)
- 'पुरंदरपुरी'
- 'यम का अतिथि'
इनके अतिरिक्त विद्याभूषण जी ने लगभग तीस पुस्तकें बाल साहित्य पर लिखीं।[1]
बाल साहित्य के प्रणेता
विद्याभूषण विभु 'बाल साहित्य के प्रणेता' के रूप में काफ़ी प्रसिद्ध रहे। विभिन्न विषयों पर रोचक शैली में सहज और सरल ढंग से लिखना विभु जी की अपनी विशेषता है। मनोरंजन के साथ-साथ बालक की ज्ञान वृद्धि भी हो, लेखक का उद्देश्य यही रहा है। वस्तुत: हिन्दी बाल साहित्य में विभुजी का अपना एक स्थान है।
अभिधान अनुशीलन
विभु जी की महत्त्वपूर्ण कृति 'अभिधान अनुशीलन' है, जिसके लेखन में लेखक ने अथक परिश्रम किया है। भाषा-विज्ञान से संबंधित इस विषय का यह प्रथम ग्रंथ है, जिसमें हिन्दी प्रदेश में प्रचलित पुरुष-नामों का विस्तृत अध्ययन प्रस्तुत किया गया है। नामों का उद्गम और स्वरूप, विश्लेषणात्क विवेचन, निर्माण के मूल तत्त्व तथा उनके ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्त्व आदि विभिन्न पक्षों पर अत्यंत गम्भीरता एवं वैज्ञानिक ढंग से विचार किया गया है।[1]
निधन
विद्याभूषण विभु जी निधन 1966 में इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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