माधवी सरदेसाई
माधवी सरदेसाई
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पूरा नाम | माधवी सरदेसाई |
जन्म | 7 जुलाई, 1962 |
जन्म भूमि | लिस्बान, पुर्तग़ाल |
मृत्यु | 22 दिसंबर, 2014 |
मृत्यु स्थान | गोवा, भारत |
पति/पत्नी | राजू नायक |
संतान | दो पुत्रियाँ |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | कोंकणी साहित्य |
मुख्य रचनाएँ | भासभास, एकरा पिचराची, जीवित कथा (गांधीजी के जीवन पर आधारित), माणकुलो राजकुमार आदि। |
शिक्षा | एम. ए. (भाषा विज्ञान) पी. एच. डी., गोवा विश्वाविदयालय |
पुरस्कार-उपाधि | साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2014 |
प्रसिद्धि | साहित्यकार |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | संपादक होने से पूर्व माधवी सरदेसाई 'जाग' मासिक की कार्यकारी संपादक थीं। उन्होंने कोंकणी भाषा, साहित्य और भाषा विज्ञान पर महत्वपूर्ण कार्य किया। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
माधवी सरदेसाई (अंग्रेज़ी: Madhavi Sardesai, जन्म- 7 जुलाई, 1962; मृत्यु- 22 दिसंबर, 2014) भारत की महिला साहित्यकार थीं। वह कोंकणी साहित्यिक जर्नल 'जाग' की संपादक थीं। वह मुख्य रूप से गोवा में कोंकणी भाषा में काम करती थीं। माधवी सरदेसाई गोवा विश्वविद्यालय के कोंकणी विभाग की प्रमुख थीं। वर्ष 2014 में माधवी सरदेसाई उन दिनों चर्चा में आईं, जब उन्हें कोंकणी में आलोचनात्मक लेख 'मंथन' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया। गांधीजी के जीवन पर आधारित अपनी पुस्तक 'एका विचाराची जीवित कथा' के अनुवाद के लिए उन्हें पहले भी साहित्य अकादमी सम्मान मिल चुका था।
परिचय
माधवी सरदेसाई का जन्म 7 जुलाई, 1962 को लिस्बान, पुर्तग़ाल में हुआ था। वह कोकणी साहित्यिक पत्रिका 'जाग' की संपादक थीं। माधवी सरदेसाई प्रख्यात कोकणी साहित्य की वरिष्ठ लेखिका एवं कवयित्रि भी थीं। उनके पिता का नाम विजय सरदेसाई था। वह एक भारतीय प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे। माधवी सरदेसाई ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त कोंकणी लेखक रवीन्द्र केलकर की भतीजी थीं।[1]
माधवी सरदेसाई के परिवार में पति राजू नायक और दो बेटियां हैं।
शिक्षा
माधवी सरदेसाई ने अपनी स्कुली शिक्षा कोकणी माध्याम से की थी। उन्होंने चौगुले कॉलेज मारगाओ से अंग्रेजी और दर्शनशास्त्र में स्त्रातक किया। उन्होंने भाषा विज्ञान में एम. ए. किया है। माधवी सरदेसाई ने गोवा विश्वाविदयालय से पी. एच. डी. की।
कार्य
माधवी सरदेसाई ने कोंकणी भाषा पर पुर्तगाली प्रभाव के विषय पर काम किया। उन्होंने अपनी एम. फिल. की डिग्री के लिए कोकणी व्याकरण के कुछ पहलू पर काम किया था। वह गोवा विश्वाविदयालय में सन 1992 से प्रोफेसर के रूप में कार्यरत थीं। उसके बाद वह गोवा विश्वाविदयालय की कोंकणी विभाग की प्रमुख बन गईं।
संपादक होने से पूर्व माधवी सरदेसाई 'जाग' मासिक की कार्यकारी संपादक थीं। उन्होंने कोंकणी भाषा, साहित्य और भाषा विज्ञान पर महत्वपूर्ण कार्य किया। इसके साथ ही उन्होंने कविताओं, लघु कथाओं, शोध पत्रों में भी अपना योगदान दिया।
उपलब्धि
'ए कम्पेरिटिव लिग्विस्टिक एंड कल्चरल स्टीडी ऑफ लेक्सिकल एन्फूएस ऑन कोकणी' विषय पर उनकी थीसेस के लिए उन्हें अंग्रेजी में पीएचडी डिग्री प्रदान की गई।[1]
कृतियाँ
- भासभास
- एकरा पिचराची
- जीवित कथा (गांधीजी के जीवन पर आधारित)
- माणकुलो राजकुमार
- कोकणी भाषा साहित्य और भाषा विज्ञान पर अनेकों विविध शोध पत्र लिखे।
पुरस्कार व सम्मान
- डॉ. माधवी सरदेसाई को 9वें 'ऑल गोवा युवा कोंकणी साहित्य सम्मेलन' के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था।
- उन्हें कोकणी भाषा में महत्वपूर्ण पुस्तक 'मंथन' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2014 प्राप्त हुआ था।
मृत्यु
कोकणी लेखिक माधवी सरदेसाई का कैंसर के कारण 22 दिसंबर, 2014 को निधन हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 माधवी सरदेसाई की जीवनी (हिंदी) jivani.org। अभिगमन तिथि: 27 सितंबर, 2021।
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