संतोख सिंह भाई
संतोख सिंह भाई (जन्म- 1788. अमृतसर, मृत्यु- 1843) वेदांत और सिख दर्शन के विद्वान होने के साथ-साथ साहित्यकार भी थे। उन्होंने ज्ञानी संत सिंह से काव्य शास्त्र का अध्ययन किया और काशी में संस्कृत की शिक्षा पाई।
परिचय
भाई संतोख सिंह का जन्म 1788 ई. में अमृतसर में हुआ था। इनके पिता का नाम देवी सिंह और माता का नाम राजा देई था। भाई संतोख सिंह की वेदांत और सिख दर्शन के विद्वान तथा ज्ञानी संप्रदाय के विचारक के रूप में बड़ी ख्याति थी। उन्होंने काशी में संस्कृत की शिक्षा ली और ज्ञानी संत सिंह से काव्य शास्त्र का अध्ययन किया। उनका अधिकांश समय पटियाला और कैथल में बीता। भाई संतोख सिंह रुढ़िवादी के कट्टर विरोधी थे। उनके पूर्वज ब्राह्मण थे पर उन्होंने पारिवारिक परंपराओं की उपेक्षा करके रोहिल्ला परिवार में विवाह किया।[1]
रचनाएं
संतोख सिंह भाई की उल्लेखनीय रचनाएं इस प्रकार हैं-
- 'नाम कोश' ( जो अमरकोश का भाषा अनुवाद है)
- गुरु नानक प्रकाश( इसमें गुरु नानक की जीवनी है)
- जपुजी,( इसमें गुरु नानक की रचनाओं की टीका है)
- आंत्म पुराण,
- बाल्मीकि रामायण (बाल्मीकि की रचना के आधार पर स्वतंत्र ग्रंथ)
- गुरू प्रताप सूर्य( दो खंडों के इस ग्रंथ के पहले भाग में गुरु नानक का तथा दूसरे भाग में शेष 9 गुरुओं का जीवनचरित है) आदि।
मृत्यु
संतोख सिंह भाई का 1843 ई. में निधन हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 879 |
बाहरी कड़ियाँ
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